जम्मू-कश्मीर में 8 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के तुरंत बाद लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा 5 विधायकों को मनोनीत करेंगे. गृह मंत्रालय के आदेश के बाद LG अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए 5 सदस्यों को विधानसभा में नॉमिनेट करेंगे. ऐसे में वोटों की गिनती से पहले बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. क्योंकि 5 सदस्यों के नॉमिनेट होने के बाद विधायकों की कुल संख्या 95 हो जाएगी. ऐसे में बहुमत का आंकड़ा बढ़कर 48 हो जाएगा. जिसे BJP के लिए बड़े फायदे के तौर पर देखा जा रहा है. माना जा रहा है कि बहुमत के नए आंकड़े, निर्दलियों के समर्थन और नॉमिनेट विधायकों के सहारे BJP ने नतीजे आने से पहले ही सरकार बनाने का फॉर्मूला तय कर लिया है.
BJP को जम्मू संभाग इलाके से 32 से 35 सीटें मिलने की उम्मीद
BJP को उम्मीद है कि उसे जम्मू संभाग इलाके की 43 विधानसभा सीटों में से 32 से 35 सीटें मिल सकती हैं. वहीं, कश्मीर संभाग की 47 विधानसभी सीटों पर बेहतर प्रदर्शन की भी पार्टी उम्मीद कर रही है. इसके साथ ही निर्दलीय उम्मीदवार किंगमेकर की भूमिका निभा सकते हैं. इसको लेकर BJP ने फील्डिंग सजानी शुरू कर दी है. जम्मू-कश्मीर में BJP ने 62 सीटों पर ही चुनाव लड़ा है, बाकी 28 सीटों पर निर्दलीय और छोटे दलों को समर्थन किया था. ऐसे में BJP का यह दांव उसे सत्ता का मजबूत दावेदार बना सकता है.
5 नॉमिनेट विधायक किंगमेकर की भूमिका में
BJP दूसरे दलों, निर्दलियों और बागी उम्मीदवारों को साधने की कोशिश तभी करेगी, जब उसे सरकार बनाने के आसार नजर आएंगे. वहीं, जम्मू-कश्मीर LG की ओर से नामित किए जाने वाले 5 विधायक सरकार गठन में अहम भूमिका निभा सकते हैं. मनोनीत सदस्य निर्वाचित विधायकों के बराबर काम करते हैं. उन्हें वोटिंग का अधिकार होता है. ऐसे में इनकी भूमिका किंगमेकर की हो सकती है.
जम्मू-कश्मीर रीऑर्गेनाइजेशन एक्ट के तहत LG को मिला ये अधिकार
दरअसल, जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर रीऑर्गेनाइजेशन एक्ट 2019 के तहत विधानसभा में 5 विधायकों को LG नॉमिनेट कर सकते हैं. यह नियम महिलाओं, कश्मीरी पंडितों और PoK के प्रतिनिधित्व के लिए लाया गया था. गृह मंत्रालय ने जुलाई 2023 में इस एक्ट में कुछ संशोधन किए और मनोनीत विधायकों को वोटिंग के अधिकार समेत कई विशेषाधिकार भी दिए. राजनीतिक पार्टियों का कहना है कि उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को दी गई विशेष शक्ति से BJP को जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने का मौका देना है.
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जम्मू-कश्मीर में कभी अकेले के दम पर शासन नहीं कर पाई BJP
BJP ने जम्मू-कश्मीर में कभी अपने दम पर शासन नहीं किया. 2014 के चुनाव के बाद BJP ने PDP के साथ मिलकर सरकार बनाई थी. लेकिन 2018 में BJP इस गठबंधन से बाहर हो गई थी. इसके अगले ही साल 5 अगस्त 2019 में सरकार ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटा दिया था. ये आर्टिकल जम्मू-कश्मीर को स्पेशल स्टेटस देता था. सरकार ने जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था. एक दशक में जम्मू-कश्मीर में यह पहला विधानसभा चुनाव है.
फिर परिसीमन ने कुछ हद तक BJP के लिए जमीन तैयार कर दी है. जम्मू क्षेत्र को कश्मीर की 47 सीटों के मुकाबले 43 सीटें मिल गई हैं. पार्टियों का कहना है कि 5 और सांसद BJP को भारी फायदा दे सकते हैं. परिसीमन आयोग ने अपने आदेश में कहा गया था कि ये 5 मनोनीत विधायक "निर्वाचित प्रतिनिधियों की तरह ही पूर्ण विधायी शक्तियां और विशेषाधिकार रखेंगे."
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कांग्रेस ने जताया विरोध, अब्दुल्ला बोले- SC तक जाएंगे
कांग्रेस ने इस कदम का कड़ा विरोध किया है. पार्टी ने कहा कि ऐसा कोई भी कदम लोकतंत्र, लोगों के जनादेश और संविधान के मूल सिद्धांतों पर हमला है. वहीं, नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कहा है कि अगर नामांकन हुआ, तो वह सुप्रीम कोर्ट जाएंगे. फारूक अब्दुल्ला ने कहा, "वे क्या करना चाहते हैं, मुझे नहीं पता. हालांकि, अगर वे ऐसा करते हैं, तो हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे. हमें इन सबके खिलाफ लड़ना होगा."
PDP नेता बोली- ये नतीजे से पहले जनादेश का अपमान
वहीं, PDP नेता इल्तिजा मुफ्ती ने भी LG की इस शक्ति का विरोध किया है. इल्तिजा मुफ्ती ने कहा कि उपराज्यपाल को विधानसभा में पांच सदस्यों को नामित करने की शक्ति देना चुनाव के नतीजे से पहले सीधे तौर पर धांधली करना है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट किया, "LG की ओर से नामित सभी पांच विधायक BJP के सदस्य हैं या पार्टी से जुड़े हैं. ये सीधे तौर पर नतीजे से पहले जनादेश का अपमान है."
जम्मू-कश्मीर में 3 फेज में हुई वोटिंग
बता दें कि जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद 90 विधानसभा सीटों पर तीन फेज में वोटिंग हुई थी. 18 सितंबर को पहले फेज में 24 सीटों पर वोटिंग हुई. 25 सितंबर को दूसरे फेज में 26 सीटों पर वोट डाले गए. 1 अक्टूबर को 40 सीटों पर मतदान हुए थे.
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