उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए दो चरणों का मतदान शेष रह गया है, लेकिन इन दोनों चरणों में भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के नये-पुराने घटक दलों की ताकत की परीक्षा होगी. इन दोनों चरणों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से जुड़े क्षेत्रों में मतदान होना है, ऐसे में इनका महत्व बढ़ जाता है.
तीन मार्च को जहां गोरखपुर सहित 10 जिलों की 57 सीटों पर मतदान होना है, वहीं सात मार्च को वाराणसी सहित नौ जिलों की 54 सीटों पर मतदाता अपने मताधिकारों का इस्तेमाल करेंगे. पूर्वांचल क्षेत्र में होने वाले दो चरणों के मतदान में भाजपा से हटकर सपा का दामन थामने वाले स्वामी प्रसाद मौर्या और दारा सिंह चौहान जैसी राजनीतिक हस्तियों की चुनावी किस्मत का फैसला होना है, जबकि ओम प्रकाश राजभर के नेतृत्व वाले क्षेत्रीय दल की ताकत की भी परीक्षा होनी है.
भाजपा गठबंधन के घटक ‘अपना दल' और नये घटक ‘निषाद पार्टी' के दमखम की भी परीक्षा इन दोनों चरणों में ही होनी है, क्योंकि जिन सीटों से उनके उम्मीदवार लड़ रहे हैं उनमें से ज्यादातर सीटों पर इन्हीं दो चरणों में मतदान होना है.
केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के नेतृत्व वाले अपना दल और संजय निषाद के नेतृत्व वाली निषाद पार्टी क्रमश: 17 और 16 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. दो प्रमुख पिछड़ी जातियों- कुर्मी और निषाद- में इनकी गहरी पैठ का दावा किया जाता रहा है.
भाजपा ने जहूराबाद से अपने पूर्व सहयोगी ओ. पी. राजभर के खिलाफ कालीचरण राजभर को मैदान में उतारा है, जो सपा छोड़कर आए हैं. प्रधानमंत्री मोदी के वाराणसी में चुनाव प्रचार अभियान के लिए अंतिम तीन दिन बिताने की उम्मीद है. ऐसा 2017 में भी उन्होंने किया था. भाजपा के खिलाफ खुद को दमदार चुनौती करार देने वाले अखिलेश यादव को भी अपनी समाजवादी पार्टी से इस क्षेत्र में व्यापक सफलता की उम्मीद है.
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