राज्यसभा में तीन तलाक बिल पास होने के बाद AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने केंद्र की BJP सरकार पर जमकर हमला बोला. एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने कहा कि तीन तलाक विधेयक को 2014 में भाजपा नीत राजग (NDA) सरकार के सत्ता में आने के बाद से 'मुस्लिम अस्मिता' पर हुए कई हमलों के महज एक हिस्से के रूप में देखा जाना चाहिए. ओवैसी ने आरोप लगाया कि विधेयक मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ है और यह उन्हें और अधिक हाशिए पर धकेलेगा.
#TripleTalaqBill should be seen only as one part of many attacks on Muslim identity & citizenship since 2014. Mob violence, police atrocities & mass incarceration won't bog us down
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) July 30, 2019
With a firm belief in the Constitution, we've withstood oppression, injustices & denial of rights
हैदराबाद से लोकसभा सदस्य ने ट्वीट किया, 'तीन तलाक विधेयक को 2014 से मुस्लिम अस्मिता तथा नागरिकता पर हुए कई हमलों के महज एक हिस्से के रूप में देखा जाना चाहिए.' उन्होंने कहा, 'भीड़ हिंसा, पुलिस की ज्यादती और बड़े पैमाने पर जेल में डालना हमें नहीं रोक पाएगा. संविधान में हमारा दृढ विश्वास है. हमने अत्याचार, नाइंसाफी और अधिकारों से वंचित किए जाने को सहा है.'
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उन्होंने कहा कि विधेयक जुर्म साबित करने की जिम्मेदारी मुस्लिम महिला पर डालता है और उसे गरीबी के दुष्चक्र में ले जाता है. सांसद ने कहा कि यह एक महिला को एक ऐसे व्यक्ति के साथ वैवाहिक संबंध बनाए रखने को मजबूर करेगा जो जेल में कैद है और जिसने महिला को मौखिक और भावनात्मक रूप से प्रताड़ित किया है. ओवैसी ने उम्मीद जताई कि ऑल इंडिया पसर्नल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) तीन तलाक संबंधी विधेयक की संवैधानिक वैधता को चुनौती देगा.
I hope @AIMPLB_Official will challenge its constitutionality in our fight to save India's constitutional values of pluralism & diversity
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) July 30, 2019
Laws don't reform society. If they did: sex-selective abortions, child abuse, wife abandonment & dowry would've been history
उन्होंने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि एआईएमपीएलबी भारतीय संविधान के बहुलवाद और विविधता के मूल्यों को बचाने के लिए हमारी लड़ाई में इसकी संवैधानिक वैधता को चुनौती देगा.' उन्होंने कहा कि कानून समाज को नहीं सुधारते हैं. अगर ऐसा होता तो लिंग चयन आधारित गर्भपात, बाल उत्पीड़न, पत्नी को छोड़ना और दहेज प्रथा इतिहास बन गए होते.
VIDEO: राज्यसभा में पास हुआ तीन तलाक बिल
(इनपुट: भाषा)
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