फाइल फोटो
पटना:
बिहार विधानपरिषद चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रितक गठबंधन (एनडीए) के हाथों बिहार की सत्ताधारी पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) और लालू प्रसाद के राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) अपनी करारी हार के बाद घावों को सहला रहे हैं।
सत्ताधारी गठबंधन की उम्मीदों के उलट विधानपरिषद चुनाव में 24 सीटों में से 12 पर जीत दर्ज कर बिहार चुनाव से पहले बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए के मनोबल में काफी इजाफा हुआ है।
बीजेपी द्वारा समर्थित एक स्वतंत्र उम्मीदवार की भी इस चुनाव में जीत हुई है। इस जीत के साथ बीजेपी नेताओं को भरोसा है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में वे अपना प्रदर्शन दोहराएंगे।
राजनीतिक विश्लेषकों ने स्वीकार किया कि इस परिणाम से बीजेपी और उसके गठबंधन दलों को मानसिक रूप से निश्चित लाभ होगा। वरिष्ठ बीजेपी नेता सुशील मोदी ने कहा, 'परिणाम राज्य की जनता की मनोदशा को दर्शाता है।'
वहीं इस परिणाम ने जद (यू) नेता और राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, राजद प्रमुख लालू प्रसाद और कांग्रेस को हिला कर रख दिया है। जद (यू), राजद, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के गठबंधन ने इस चुनाव में मात्र 10 सीटें ही जीती हैं। एक अन्य सीट पर राजद के करीबी एक स्वतंत्र उम्मीदवार ने जीत दर्ज की।
जद (यू) और राजद के नजदीकी, नेता और कार्यकर्ता सदमे में हैं। हालांकि चुनाव से पहले उन्हें भरोसा था कि वे भाजपा को करारी शिकस्त देंगे।
बिहार के सत्ताधारी गठबंधन दलों के नेताओं की शिकायत है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने वोट बटोरने के लिए खुले तौर पर जाति कार्ड खेला है। शाह ने दावा किया था कि भाजपा ने सबसे अधिक ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) मुख्यमंत्री और देश का पहला प्रधानमंत्री दिया।
हालांकि दोनों गठबंधनों के बीच केवल दो सीटों का फासला है, लेकिन राजद के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने स्वीकार करते हुए कहा, 'परिणाम हमारे लिए खतरे का संकेत है।'
हालांकि जद (यू) प्रवक्ता नीरज कुमार ने राजग की जीत को कमतर आंकते हुए मुख्यमंत्री के ही शब्दों को दोहराया। उन्होंने कहा कि यह कोई ऐसा चुनाव नहीं है जहां पर आम लोग मतदान करते हैं।
राजनीतिक विश्लेषक सत्य नारायण मदान ने कहा कि विधान परिषद चुनाव के परिणामों से भाजपा के नेतृत्व वाले राजग को आने वाले चुनाव में लाभ होगा।
सत्ताधारी गठबंधन की उम्मीदों के उलट विधानपरिषद चुनाव में 24 सीटों में से 12 पर जीत दर्ज कर बिहार चुनाव से पहले बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए के मनोबल में काफी इजाफा हुआ है।
बीजेपी द्वारा समर्थित एक स्वतंत्र उम्मीदवार की भी इस चुनाव में जीत हुई है। इस जीत के साथ बीजेपी नेताओं को भरोसा है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में वे अपना प्रदर्शन दोहराएंगे।
राजनीतिक विश्लेषकों ने स्वीकार किया कि इस परिणाम से बीजेपी और उसके गठबंधन दलों को मानसिक रूप से निश्चित लाभ होगा। वरिष्ठ बीजेपी नेता सुशील मोदी ने कहा, 'परिणाम राज्य की जनता की मनोदशा को दर्शाता है।'
वहीं इस परिणाम ने जद (यू) नेता और राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, राजद प्रमुख लालू प्रसाद और कांग्रेस को हिला कर रख दिया है। जद (यू), राजद, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के गठबंधन ने इस चुनाव में मात्र 10 सीटें ही जीती हैं। एक अन्य सीट पर राजद के करीबी एक स्वतंत्र उम्मीदवार ने जीत दर्ज की।
जद (यू) और राजद के नजदीकी, नेता और कार्यकर्ता सदमे में हैं। हालांकि चुनाव से पहले उन्हें भरोसा था कि वे भाजपा को करारी शिकस्त देंगे।
बिहार के सत्ताधारी गठबंधन दलों के नेताओं की शिकायत है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने वोट बटोरने के लिए खुले तौर पर जाति कार्ड खेला है। शाह ने दावा किया था कि भाजपा ने सबसे अधिक ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) मुख्यमंत्री और देश का पहला प्रधानमंत्री दिया।
हालांकि दोनों गठबंधनों के बीच केवल दो सीटों का फासला है, लेकिन राजद के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने स्वीकार करते हुए कहा, 'परिणाम हमारे लिए खतरे का संकेत है।'
हालांकि जद (यू) प्रवक्ता नीरज कुमार ने राजग की जीत को कमतर आंकते हुए मुख्यमंत्री के ही शब्दों को दोहराया। उन्होंने कहा कि यह कोई ऐसा चुनाव नहीं है जहां पर आम लोग मतदान करते हैं।
राजनीतिक विश्लेषक सत्य नारायण मदान ने कहा कि विधान परिषद चुनाव के परिणामों से भाजपा के नेतृत्व वाले राजग को आने वाले चुनाव में लाभ होगा।
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