बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन एनडीए का जोर अपनी एकता और मजबूती दिखाने पर है. बिहार में एनडीए की पाँच पार्टियां मिलकर चुनाव लड़ रही हैं और वे खुद को पांडव के रूप में प्रस्तुत कर रही हैं. सीट बंटवारे में विरोधी गठबंधन से लीड ली. प्रचार, संगठन और संसाधनों में आपस में सटीक तालमेल और समन्वय किया.
एनडीए एकजुट
लेकिन एकता का यह संदेश केवल बिहार तक ही सीमित नहीं है. कोशिश यह है देश में सरकार चला रहा पूरा एनडीए भी एकजुट दिखे. इसीलिए बीजेपी ने एनडीए के ऐसे घटक दलों को भी बिहार चुनाव मैदान में उतारा है जिनकी राज्य में उपस्थिति नहीं है. महाराष्ट्र में शिवसेना के प्रमुख और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे बिहार में चुनाव प्रचार में हिस्सा ले चुके हैं. उन्होंने एनडीए के उम्मीदवारों के लिए चुनाव प्रचार किया.
अनुप्रिया और जयंत ने भी किया प्रचार
इसी तरह पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के दो प्रमुख सहयोगी दलों अपना दल सोनेलाल की नेता और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल और राष्ट्रीय लोक दल के नेता जयंत चौधरी ने भी प्रचार में हिस्सा लिया. अब आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू के बेटे और टीडीपी के महासचिव और आईटी मंत्री नारा लोकेश भी बिहार पहुंच रहे हैं, वे एनडीए के समर्थन में प्रेस कांफ्रेंस करेंगे. कोशिश यह दिखाने की है कि न केवल बिहार में बल्कि पूरे देश में एनडीए मज़बूत है और सभी सहयोगी दल एक दूसरे के साथ चट्टान की तरह खड़े हैं.
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