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This Article is From May 06, 2022

नीतीश कुमार के 'सत्य के महत्व' वाले बयान पर प्रशांत किशोर ने दिया जवाब, कही ये बात

सीएम नीतीश कुमार से पत्रकारों ने आज पूछा कि प्रशांत किशोर का कहना है कि आपने 15 साल में बिहार के लिए कुछ नहीं किया. इस पर सीएम ने बड़े ही सधे शब्दों में जवाब दिया कि लोगों को पता है कि क्या किया है और क्या नहीं किया.

नीतीश कुमार के 'सत्य के महत्व' वाले बयान पर प्रशांत किशोर ने दिया जवाब, कही ये बात
नीतीश कुमार ने दिया प्रशांत किशोर को जवाब
पटना:

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishore) ने गुरुवार को ऐलान किया कि वह बिहार के लोगों के लिए काम करेंगे.  इस ऐलान के दौरान ही उन्होंने कहा कि बिहार आज 30 साल के लालू और नीतीश के राज के बाद भी देश का सबसे पिछड़ा और गरीब राज्य है. विकास के कई मानकों पर बिहार आज भी देश के सबसे निचले पायदान पर है.  बिहार अगर आने वाले समय में अग्रणी राज्यों की सूची में आना चाहता है तो इसके लिए नई सोच और नए प्रयास की जरूरत है.

सीएम नीतीश कुमार से पत्रकारों ने आज पूछा कि प्रशांत किशोर का कहना है कि आपने 15 साल में बिहार के लिए कुछ नहीं किया. इस पर सीएम ने बड़े ही सधे शब्दों में जवाब दिया कि लोगों को पता है कि क्या किया है और क्या नहीं किया. कौन क्या बोलता है, इसका महत्व नहीं है. सत्य का महत्व है. आप सभी जानते हैं क्या हुआ, क्या नहीं तो आप ही उन्हें जवाब दे दीजिए.

नीतीश कुमार के इस बयान पर प्रशांत किशोर ने ट्वीट करते हुए लिखा है, 'नीतीश जी ने ठीक कहा - महत्व #सत्य का है और सत्य यह है कि 30 साल के लालू-नीतीश के राज के बाद भी बिहार आज देश का सबसे गरीब और पिछड़ा राज्य है. बिहार को बदलने के लिए एक नई सोच और प्रयास की ज़रूरत है और यह सिर्फ़ वहां के लोगों के सामूहिक प्रयास से ही सम्भव है.'
 

नीतीश से जुड़े सवाल पर प्रशांत किशोर ने गुरुवार को कहा कि हां मैंने नीतीश के साथ काम किया है. व्यक्तिगत तौर पर मेरा उनके साथ कोई झगड़ा नहीं है और मेरे उनके साथ व्यक्तिगत तौर पर संबंध बहुत अच्छे हैं, लेकिन व्यक्तिगत रिलेशन होना एक बात है और साथ काम करना या सहमति होना अलग बात है. नीतीश जब दिल्ली आए थे तो मैं उनसे मिलने गया था, साथ खाना खाया था, लोगों ने अटकलें लगानी शुरू कर दी थीं कि मैं उन्हें राष्ट्रपति बनवाना चाह रहा हूं. नीतीश बुलाएंगे तो हम जरूर मिलने जाएंगे, वह यहां के मुख्यमंत्री हैं. लेकिन साथ खाने या मिलने का मतलब ये नहीं है कि आगे साथ काम करने की सहमति बन चुकी है. वो बिल्कुल अलग मामला है. नीतीश मेरे पिता जैसे हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि मैं अलग राजनीति यात्रा नहीं कर सकता.

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