- बिहार में चुनाव से पहले पिछले सत्रह दिनों में पचास से अधिक हत्या की घटनाएं हुई हैं, जिनमें गैंगस्टर चंदन मिश्रा की अस्पताल में गोली मारकर हत्या भी शामिल है.
- बिहार पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, जनवरी से मई 2025 में हत्या, डकैती, लूट, दंगा और रेप के मामले पिछले वर्ष की तुलना में कम हुए हैं.
- बिहार पुलिस के डीजीपी विनय कुमार ने कहा है कि हर साल मई, जून और जुलाई में छुट्टियां होने के कारण लोग ज्यादा फ्री होते हैं.
बिहार में अपराध लगातार बढ़ रहे हैं. बिहार में हत्या की दो और वारदात हुईं हैं. इनमें पहली वारदात में गैंगस्टर चंदन मिश्रा को कुछ लोगों ने अस्पताल में गोलियों से भून दिया और दूसरी वारदात में खगड़िया में एक JDU नेता की हत्या हो गई. चुनाव से पहले बिहार में इतना खून-खराब क्यों हो रहा है. यह बड़ा सवाल है. एनडीटीवी के शो 'कचहरी' में शुभांकर मिश्रा ने इसी मुद्दे को उठाया है.
क्या आपको पता है कि हकीकत और आंकड़ों में बहुत बारिक सा अंतर होता है. हकीकत वो होती है, जो आपको दिखाई दे रही होती है और आंकड़े वो होते हैं, जो हमें दिखाए जा रहे होते हैं. आज इस बात को बिहार के संदर्भ में समझने की जरूरत है, जहां चुनाव से पहले काफी तनाव है. बिहार में पिछले 17 दिनों में 51 मर्डर हो चुके हैं. पांच अपराधी पटना के एक अस्पताल में दाखिल हुए और वहां एक वॉर्ड में भर्ती गैंगस्टर चंदन मिश्रा की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी. CCTV वीडियो मे चार बातें नोट करने वाली थीं.
क्या है वो चार बातें?
पहली बात किसी भी अपराधी ने अपना चेहरा ढका हुआ नहीं था. ऐसा इसलिए हो सकता है कि अपराधी खुद चाहते थे कि उनका चेहरा पूरा बिहार और देश देखे. दूसरी बात, अपराधी खुलेआम हथियार लेकर घूम रहे थे और उन्हें ना अंदर जाते हुए किसी ने रोका और ना ही बाहर निकलते वक्त पकड़ा गया. ये भी तब हुआ, जब कुछ ही दूर पर वहां एक पुलिस चौकी है और पास में ही एक पुलिस स्टेशन भी है. तीसरी बात, ये घटना उस वक्त हुई, जब बिहार पहले से हाई अलर्ट पर है और चौथी बात, ये मर्डर एक गैंगवार का नतीजा है. पुलिस को ऐसा शक है कि चंदन मिश्रा की दुश्मनी शेरू गैंग के लोगों से थी और इस दुश्मनी में चंदन मिश्रा का मर्डर हुआ.
एक और इत्तेफाक ये है कि चंदन मिश्रा वही गैंगस्टर है, जिस पर जेल के अंदर से अपराध का नेटवर्क चलाने के आरोप लगते थे. इसकी एक पूरी गैंग थी और खुद चंदन मिश्रा 10 से ज़्यादा हत्या के मामलों में नामजद था और पटना की बेऊर जेल में बंद था. ये वही जेल है, जहां से दावा है कि पटना के कारोबारी गोपाल खेमका की हत्या की साजिश रची गई यानी अगर आप कड़ियों को जोड़ेंगे तो हर हत्या कहीं ना कहीं से लिंक नजर आएगी.
14 दिनों में 50 मर्डर, खड़े हो रहे सवाल
जेल के अंदर से हत्याएं, जेल से बाहर हत्याएं और जेल से बाहर आने वालों की हत्याएं, कई गंभीर सवाल खड़े करती हैं. 15 जुलाई तक 14 दिनों में पूरे बिहार में 50 मर्डर हो चुके थे और अब बिहार के एक अस्पताल में कुछ गैंगस्टर्स ने एक दूसरे गैंगस्टर की हत्या कर दी है.
ये तो वो हकीकत है, जो आप खुद अपनी आंखों से देख रहे हैं, लेकिन अब आप वो आंकड़े देखिए, जो आपको दिखाए जाते हैं.
मामले | जनवरी से मई 2024 | जनवरी से मई 2025 | बदलाव % (+/-) |
हत्या | 1112 | 1099 | - 1.2 |
डकैती | 93 | 83 | - 10.75 |
सेंध | 843 | 667 | - 20.87 |
चोरी | 18147 | 19368 | + 4.69 |
दंगा | 1390 | 1107 | - 20.35 |
रेप | 880 | 864 | - 1.8 |
बिहार सरकार और पुलिस के मुताबिक 2024 के मुकाबले 2025 में हत्या, लूट और डकैती की घटनाएं कम हुई हैं. हत्या के मामले 1.2 फीसदी कम हुए, डकैती के 10.7 फीसदी, लूट के 20.8 फीसदी, दंगों के 20.3 फीसदी और रेप के 1.8 फीसदी मामले कम हुए हैं.
एक और आंकड़ा ये है कि बिहार में आज से 20 साल पहले गैंगस्टर्स और अपराधियों का जो आतंक था, अब वो खत्म हो गया है. बिहार में मर्डर तो अब भी होते हैं लेकिन उनकी संख्या कम हुई है. तो हमने आपको ये भी दिखा दिया कि आजकल क्या हो रहा है और ये भी दिखा दिया कि सरकार अपने आंकड़ों में क्या कह रही है.
बिहार पुलिस का तर्क भी जान लीजिए
हालांकि ये खबर तब तक अधूरी रहेगी, जब तक आप इन हत्याओं पर बिहार की पुलिस का तर्क ना जान लें. बिहार पुलिस के डीजीपी विनय कुमार ने कहा है कि हर साल मई, जून और जुलाई में छुट्टियां होने के कारण लोग ज्यादा फ्री होते हैं, इसलिए इस दौरान बिहार में हत्याएं बढ़ जाती हैं, वरना बाकी महीने सब सही रहता है.
डीजीपी के इस बयान के बाद बिहार के लोग ये कह रहे हैं कि क्या उन्हें इन महीनों में अपनी जान बचाने के लिए कहीं और चले जाना चाहिए? और ये कैसा तर्क है, जिससे इन हत्याओं का इतना सामान्यीकरण किया जा रहा है.
खैर हम जानते हैं कि इस मुद्दे पर राजनीति होगी. विपक्ष कुछ कहेगा, सरकार कुछ कहेगी लेकिन हम यही कहेंगे कि ये घटनाएं रुकनी चाहिए और इन हत्याओं को सामान्य नहीं कहा जा सकता है.
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