फाइल फोटो
नई दिल्ली:
भीमा कोरेगांव केस में सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से 5 आरोपियों सुरेंद्र गडलिंग, सोमा सेन, महेश राउत, सुधीर धवले और रोना विल्सन के खिलाफ दाखिल चार्जशीट पेश करने को कहा है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि मराठी में दाखिल चार्जशीट को ट्रांसलेट कर दाखिल किया जाए. कोर्ट देखना चाहता है कि पांचों के खिलाफ आरोप क्या हैं. वहीं महाराष्ट्र सरकार ने कहा कि इन सभी के खिलाफ गंभीर आरोप हैं इसलिए तकनीकी आधार पर जमानत नहीं मिलनी चाहिए. आरोपियों की पेश वकील इंदिरा जयसिंह ने आरोप लगाया कि गडलिंग पर एक केस और दर्ज कर दिया गया है. इस पर कोर्ट ने कहा कि उसका भी ब्यौरा दाखिल किया जाए. फिलहाल अब इस मामले की सुनवाई 11 दिसंबर को होगी.
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गौरतलब है कि पुणे पुलिस को चार्जशीट दाखिल करने के लिए और वक्त मिल गया था और सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी. हाईकोर्ट ने पुणे पुलिस को आरोपत्र दाखिल करने के लिए 90 दिन की मोहलत देने के निचली अदालत के आदेश को रद्द कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी गडलिंग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. महाराष्ट्र सरकार की ओर से मुकुल रोहतगी ने कहा कि तकनीकी वजह से चार्जशीट दाखिल नहीं हो पाई. अगले दस दिनों में चार्जशीट दाखिल होगी. इसके बाद चार्जशीट दाखिल कर दी गई. आपको बता दें कि भीमा कोरेगांव मामले में महाराष्ट्र सरकार की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई कर रहा है. सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी है जिसमें पुणे पुलिस को आरोपत्र दाखिल करने के लिए 90 दिन की मोहलत देने के निचली अदालत के आदेश को रद्द कर दिया था. बॉम्बे हाईकोर्ट ने कोरेगांव-भीमा हिंसा मामले में गिरफ्तार वकील सुरेंद्र गाडलिंग और अन्य आरोपियों के मामले में पुणे पुलिस को तगड़ा झटका दिया था. हाईकोर्ट ने आरोप-पत्र पेश करने के लिए पुलिस को दी गई 90 दिन की अतिरिक्त मोहलत के आदेश को रद्द कर दिया.
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हाइकोर्ट की एकल बेंच की जस्टिस मृदुला भाटकर ने कहा कि आरोप-पत्र पेश करने के लिए अतिरिक्त समय देना और गिरफ्तार लोगों की हिरासत अवधि बढ़ाने का निचली कोर्ट का आदेश गैरकानूनी है. हाईकोर्ट के इस आदेश से गाडलिंग और अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं की जमानत पर रिहाई का रास्ता खुल गया, लेकिन राज्य सरकार के अनुरोध पर जस्टिस भाटकर ने अपने आदेश पर स्टे लगाते हुए इस पर सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के लिए राज्य सरकार को एक नवंबर तक का समय दिया था. पुणे पुलिस ने गडलिंग के अलावा नागपुर के यूनिवर्सिटी के अंग्रेजी की प्रोफेसर शोमा सेन, दलित कार्यकर्ता सुधीर धवाले, सामाजिक कार्यकर्ता महेश राउत और केरल की रहने वाली रोना विल्सन को कोरेगांव-भीमा गांव में 31 दिसंबर 2017 और एक जनवरी 2018 को हुई हिंसा में 6 जून को गिरफ्तार किया था.
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गौरतलब है कि पुणे पुलिस को चार्जशीट दाखिल करने के लिए और वक्त मिल गया था और सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी. हाईकोर्ट ने पुणे पुलिस को आरोपत्र दाखिल करने के लिए 90 दिन की मोहलत देने के निचली अदालत के आदेश को रद्द कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी गडलिंग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. महाराष्ट्र सरकार की ओर से मुकुल रोहतगी ने कहा कि तकनीकी वजह से चार्जशीट दाखिल नहीं हो पाई. अगले दस दिनों में चार्जशीट दाखिल होगी. इसके बाद चार्जशीट दाखिल कर दी गई. आपको बता दें कि भीमा कोरेगांव मामले में महाराष्ट्र सरकार की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई कर रहा है. सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी है जिसमें पुणे पुलिस को आरोपत्र दाखिल करने के लिए 90 दिन की मोहलत देने के निचली अदालत के आदेश को रद्द कर दिया था. बॉम्बे हाईकोर्ट ने कोरेगांव-भीमा हिंसा मामले में गिरफ्तार वकील सुरेंद्र गाडलिंग और अन्य आरोपियों के मामले में पुणे पुलिस को तगड़ा झटका दिया था. हाईकोर्ट ने आरोप-पत्र पेश करने के लिए पुलिस को दी गई 90 दिन की अतिरिक्त मोहलत के आदेश को रद्द कर दिया.
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हाइकोर्ट की एकल बेंच की जस्टिस मृदुला भाटकर ने कहा कि आरोप-पत्र पेश करने के लिए अतिरिक्त समय देना और गिरफ्तार लोगों की हिरासत अवधि बढ़ाने का निचली कोर्ट का आदेश गैरकानूनी है. हाईकोर्ट के इस आदेश से गाडलिंग और अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं की जमानत पर रिहाई का रास्ता खुल गया, लेकिन राज्य सरकार के अनुरोध पर जस्टिस भाटकर ने अपने आदेश पर स्टे लगाते हुए इस पर सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के लिए राज्य सरकार को एक नवंबर तक का समय दिया था. पुणे पुलिस ने गडलिंग के अलावा नागपुर के यूनिवर्सिटी के अंग्रेजी की प्रोफेसर शोमा सेन, दलित कार्यकर्ता सुधीर धवाले, सामाजिक कार्यकर्ता महेश राउत और केरल की रहने वाली रोना विल्सन को कोरेगांव-भीमा गांव में 31 दिसंबर 2017 और एक जनवरी 2018 को हुई हिंसा में 6 जून को गिरफ्तार किया था.
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