ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड के निगमीकरण के खिलाफ संघ परिवार से जुड़ा भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ अब सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में है. पहले ही बीपीएमएस (BPMS) और लेफ्ट से जुड़े संगठन एआईडीईएफ (AIDEF) हाइकोर्ट में सरकार के खिलाफ केस दर्ज करा चुके हैं. इतना ही नहीं इन संगठनों ने देशभर के 41 कारखानों में एक अक्टूबर को काला दिवस भी मनाने का ऐलान किया है, क्योंकि नये कानून के तहत इसी दिन ये बोर्ड निगम में बदल जाएगा. वैसे इस मामले को लेकर 16 नवंबर को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई भी है.
इस पूरे मामले को लेकर ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड के कर्मचारी गुस्से में भी हैं और अंदेशे में भी. उन्हें लग रहा है कि पहले सरकार ने बोर्ड के निगमीकरण का फैसला किया और फिर द एसेंशियल डिफेंस सर्विस बिल पास कराकर इसके खिलाफ प्रदर्शन करने का उनका अधिकार भी छीन लिया. उनकी नाराजगी देखते हुए बीजेपी और आरएसएस (RSS) से जुड़े भारतीय मजदूर प्रतिरक्षा संगठन ने पहले हाइकोर्ट का रुख किया और अब सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में है. लेफ्ट से जुड़े संगठन पहले ही सरकार के इस कानून के खिलाफ दिल्ली और मद्रास हाइकोर्ट में केस कर चुके हैं. बीपीएमएस (BPMS) के महासचिव मुकेश सिंह ने कहा कि सरकार का यह फैसला गलत है. हम आंदोलन के जरिये विरोध करेंगे. अब हम सुप्रीम कोर्ट में जायेंगे, क्योंकि कानून डिफेंस के कर्मचारियों के समानता के अधिकार का उल्लंघन है.
दरअसल, जैसे ही सरकार ने बोर्ड के निगमीकरण का फैसला किया, मजदूरों ने आंदोलन का ऐलान किया, तो सरकार ने एक नया कानून पास करके इन कारखानों में हड़ताल को ही गैरकानूनी करार दिया. सरकार ने कहा कि इसके लिए दो साल तक की सजा हो सकती है. इसके अलावा जुर्माना भी लगाया जा सकता है. हड़ताल में उकसाने के लिए भी दो साल की सजा है और 15,000 तक का जुर्माना. इस नए कानून के बावजूद निगमीकरण भी जारी है और उसका विरोध भी. एक अक्टूबर से यह निगमीकरण होना है. बोर्ड को हटा कर उसकी जगह सात निगम बना दिए जाएंगे.
एआईडीईएफ (AIDEF) के महासचिव श्रीकुमार ने कहा कि एक अक्टूबर हमारे लिये काला दिन है, क्योंकि 220 साल पुराने संगठन को केंद्र सरकार ने समाप्त करके 7 निगम बनाया है, जो सुरक्षा के खिलाफ है. यही नहीं, सरकार ने विरोध करने का हक भी हमसे छीन लिया है. हम अब हड़ताल भी नहीं कर सकते हैं. ध्यान रहे है पहले 1971 की लड़ाई हो या फिर कारगिल की, इसी संगठन ने देश को हर लड़ाई में जीत दिलाई है. लेकिन मौजूदा सरकार इसे प्राइवेट हाथों में देने जा रही है. वहीं, सरकार का तर्क है कि वह निगमीकरण के जरिये इन्हें विश्वस्तरीय आधुनिक हथियारों के कारखानों में बदलेगी. यहां सेना के लिए यूनिफार्म से लेकर हथियार, गोला बारूद और तोप तक बनाये जाते हैं. इन कारखानों में करीब 74 हजार कर्मचारी काम करते हैं, जो अपने भविष्य को लेकर सहमे हुए हैं. मजदूर संगठनों के एक अंदरूनी सर्वे में 99 फीसदी कर्मचारियों ने इसका विरोध किया है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं