देश की आर्थिक राजधानी मुंबई (Mumbai) मैं अब समुद्र लेवल में वृद्धि से देखी जा रही है. बेंगलुरु थिंक टैंक की रिपोर्ट की माने तो साल 2040 तक, मुंबई का करीब 13.1% इलाका समंदर में समा सकता है. समुद्र के बढ़ते स्तर की वजह से मुंबई की ज़मीन पर खतरा मंडरा रहा है. रिपोर्ट में इसे सिर्फ़ एक अनुमान नहीं, बल्कि सच्चाई बताई गई है जो ग्लोबल वार्मिंग की वजह से तेजी से सामने आ रही है.
बेंगलुरु थिंक टैंक कि रिपोर्ट में क्या है?
बेंगलुरु थिंक टैंक कि एक रिपोर्ट में ये बात सामने आई है की समुद्र स्तर में वृद्धि भारतीय तटीय शहरों के लिए गंभीर खतरा बन रही है जिसपर काम करना बेहद आवश्यक बनता जा रहा है. हमने ग्लोबल डाटा सर्च कर इस रिपोर्ट को तैयार किया है. लेटेस्ट आईपीसीसी मैं मौजूद सभी डाटा को अनल एनालाइज किया है. ग्लोबल ट्रेंड में हिस्टोरिकल पीरियड में हमने सोशल, इकोनॉमिकल और टेक्नोलॉजिकल ट्रेंड्स को देख कर स्टडी किया है. और हाई एमिशन में फॉसिल फ्यूल को देखा गया है. पानी का स्तर बढ़ने से हैबिटेट लॉस जैसे मैंग्रोव और इकोसिस्टम लॉस देखना होगा. और हमारे सोसाइटी में हैबिटेट होना बहुत जरूरी है.
मुंबई की असली पहचान हो जाएगी विलुप्त
पर्यटन विशेषज्ञ ने जलस्तर के बढ़ने को आर्थिक राजधानी के लिए एक बड़ा खतरा बताया है. गेटवे ऑफ़ इंडिया और मरीन लाइन्स जैसे पर्यटन स्थल डूबने से न सिर्फ पर्यटकों की संख्या घटेगी बल्कि मुंबई की असली पहचान भी विलुप्त हो जाएगी. इस प्रकार समुद्र का स्तर बढ़ जाने से पर्यटन इंडस्ट्री को बहुत ज्यादा परेशानी होगी. दूसरे देश से आ रहे पर्यटकों के लिए मुंबई एक एंट्री या एग्जिट स्पॉट जरूर रहता है. इस प्रकार पानी का स्तर बढ़ जाएगा तो लोग मुंबई के अलावा दूसरे शहरों से उड़ान भरने और यात्रा करने को इच्छुक रहेंगे. जिस प्रकार सरकार रोड कंस्ट्रक्शन और दूसरे क्षेत्रों में ध्यान दे रही है उसी प्रकार अब मुंबई की इस बड़ी समस्या पर ध्यान देने की आवश्यकता है.
क्यों बढ़ रहा है समुद्र का जल स्तर
पर्यावरण प्रेमी के अनुसार जल स्तर के बढ़ने के पीछे का कारण समुद्र के पास हो रहे नए इमारतों के निर्माण के चलते भी हो रहा है. जिससे आने वाले सालों में दुष्परिणाम देखने मिल सकता है. समुद्र में जहां जलस्तर बढ़ रहा है और हवा का दाव बदल रहा है, मुंबई जैसा शहर जो एक किनारे पर बसा है, यह संकट बहुत ज्यादा है क्योंकि समुद्र का पानी बढ़ता जा रहा है. तापमान तो बदल ही रहा है लेकिन जो इमीडिएट रिस्पांस है. वॉइस फॉर्म में दिखाई दे रहा है कि जो कंस्ट्रक्शन का काम समुद्र किनारे चल रहा है जिसके चलते एक और जहां पानी को पीछे धकेला जाता है. लेकिन उल्टा पानी दूसरी ओर से अंदर और ज्यादा तीव्रता से आ जाता है. और यदि यही हाल रहा तो आने वाले समय में जान माल और लोगों का बहुत नुकसान होगा.
मछुआरे हैं परेशान
मुंबई के बधवार कोलीवाडा में रहने वाले मछुवारे रविंद्र तांडेल अपना दर्द बयां करते हुए कहते हैं कि समुद्र का स्तर बढ़ने से उनके घरों में अब पानी आने लगा है. पिछले 40 सालों में उन्होंने समुद्र के स्तर में वृद्धि देखी है. लेकिन अब आगे होने वाली वृद्धि को लेकर असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं. 50 सालों से समुद्र किनारे रह रहे मछुवारे अशोक प्रेमनाथ पाटिल भी समुद्र के स्तर में हो रहे वृद्धि से परेशान हैं. सवाल पूछ रहे हैं कि वह जाए कहां? मछलियों की संख्या घटने, आर्थिक नुकसान, तूफानों का खतरा बढ़ने और जीवनशैली के नुकसान और ज्यादा होगा.
शहरों के अस्तित्व पर बढ़ रहा है खतरा
आज पूरी दुनिया समेत भारत के कई क्षेत्रों में समुद्र स्तर में हो रही बढ़ोतरी एक गंभीर चिंता का विषय बनता जा रहा है. जिसके पीछे का मुख्य कारण ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन है. वैज्ञानिकों की माने तो महासागरों का पानी गर्म और बर्फ की चादरें तेजी से पिघल रही हैं जिसका सबसे बड़ा असर हमारे तटीय शहरों पर पड़ रहा है, जहां जल स्तर लगातार बढ़ रहा है. ऐसे में समय रहते इस तबाही के मंजर को रोकने के लिए जल्द कदम नहीं उठाए गए, तो भविष्य में इन शहरों के अस्तित्व पर ही खतरा मंडराने लगेगा.
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