नई दिल्ली:
आय से अधिक संपत्ति के मामले में सजा पाने के बाद अन्नाद्रमुक (AIADMK) की महासचिव वीके शशिकला की राजनीतिक महत्वाकांक्षा पर ब्रेक लग गया है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के चलते शशिकला 10 साल तक कोई चुनाव नहीं लड़ पाएंगी. अब वह किसी पार्टी की सदस्य तो रह सकती हैं, लेकिन सरकार का हिस्सा नहीं बन पाएंगी. शशिकला देश की पहली ऐसी बड़ी नेता नहीं हैं जिन्हें सजा की वजह से कुर्सी का मोह छोड़ना पड़ा है. आइए जानें देश में वे कौन-कौन बड़े नेता हैं जो सजायाफ्ता होने के चलते चुनाव नहीं लड़ पाते हैं.
1. रशीद मसूद: सजा के चलते चुनाव लड़ने का अधिकार गंवाने वाले नेताओं में सबसे पहला नाम कांग्रेस के रशीद मसूद को जाता है. दिल्ली की एक अदालत ने 1990-91 में अयोग्य छात्रों को फर्जी तरीके से एमबीबीएस सीट दिलाने के मामले में मसूद को दोषी ठहराया था और चार साल की सजा सुनाई थी. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत ने मसूद (67) को भ्रष्टाचार और अन्य मामलों में दोषी करार दिया था। उन्हें त्रिपुरा मेडिकल कॉलेज को केंद्रीय कोटे से आवंटित सीटों पर अयोग्य छात्रों को फर्जी तरीके से नामित करने के मामले में दोषी पाया गया था. उत्तर प्रदेश में रशीद मसूद कांग्रेस के बड़े नेता थे. वे विश्वनाथ प्रताप सिंह सरकार में 1990 से 1991 तक स्वास्थ्य मंत्री रहे.
2.लालू प्रसाद यादव: चारा घोटाले में पांच साल की सजा पा चुके बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव चुनाव नहीं लड़ पा रहे हैं. हालांकि लालू अभी भी अपनी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और पर्दे के पीछे से मुख्यधारा की राजनीति में सक्रिय हैं. इस समय बिहार में उनकी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के पास सबसे ज्यादा सीटें हैं और उनके बेटे तेजस्वी यादव राज्य के उपमुख्यमंत्री हैं. लालू यादव को विशेष सीबीआई अदालत ने चारा घोटाले के चाईबासा कोषागार से फर्जी ढंग से 37.7 करोड़ रुपये निकालने के मामले में पांच वर्ष के कठोर कारावास और 25 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी. फिलहाल लालू सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में जमानत पर हैं.
3. जगन्नाथ मिश्र: बिहार के ही पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र सजायाफ्ता होने के चलते चुनाव नहीं लड़ पा रहे हैं. उन्हें भी चारा घोटाले में चार वर्ष कैद और दो लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई थी. फिलहाल जगन्नाथ मिश्र भी जमानत पर हैं.
4. ओम प्रकाश चौटाला: शिक्षक भर्ती घोटाले में 10 साल की सजा पा चुके हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला का राजनीतिक सफर थम गया है. उनके बेटे अजय चौटाला भी उनके साथ सजायाफ्ता हैं. दोनों पिता-पुत्र चुनाव नहीं लड़ पा रहे हैं. चार बार मुख्यमंत्री रहे ओम प्रकाश चौटाला और उनके विधायक बेटे अजय चौटाला को दिल्ली की रोहणी कोर्ट ने 10-10 साल की सजा सुनाई है. 1999-2000 में चौटाला के मुख्यमंत्री रहते हुए 3206 जूनियर बेसिक टीचरों की भर्ती हुई थी. इस समय हरियाणा में आईएनएलडी की सरकार थी और ओम प्रकाश चोटाला राज्य के मुख्यमंत्री थे. अब ओपी चौटाला के पोते दुष्यंत चौटाला उनकी इंडियन नेशनल लोकदल पार्टी का संचालन कर रहे हैं.
5. जगदीश शर्मा: बिहार के जदयू सांसद जगदीश शर्मा भी कोर्ट से दो साल से ज्यादा सजा पाने के चलते चुनाव नहीं लड़ पा रहे हैं. इन्हें सांसद रहते हुए सजा हुई थी. जगदीश शर्मा को विशेष सीबीआई अदालत ने चारा घोटाले के गोड्डा कोषागार से अवैध निकासी के एक मामले में चार साल के सश्रम कारावास और चार लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी थी.
मालूम हो मुख्यमंत्री रह चुके झारखंड के शिबू सोरेन और मधु कोड़ा भी जेल में रहे हैं, लेकिन उनपर अबतक केवल आरोप रहा है, इसलिए वे अभी तक चुनाव लड़ पा रहे हैं.
1. रशीद मसूद: सजा के चलते चुनाव लड़ने का अधिकार गंवाने वाले नेताओं में सबसे पहला नाम कांग्रेस के रशीद मसूद को जाता है. दिल्ली की एक अदालत ने 1990-91 में अयोग्य छात्रों को फर्जी तरीके से एमबीबीएस सीट दिलाने के मामले में मसूद को दोषी ठहराया था और चार साल की सजा सुनाई थी. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत ने मसूद (67) को भ्रष्टाचार और अन्य मामलों में दोषी करार दिया था। उन्हें त्रिपुरा मेडिकल कॉलेज को केंद्रीय कोटे से आवंटित सीटों पर अयोग्य छात्रों को फर्जी तरीके से नामित करने के मामले में दोषी पाया गया था. उत्तर प्रदेश में रशीद मसूद कांग्रेस के बड़े नेता थे. वे विश्वनाथ प्रताप सिंह सरकार में 1990 से 1991 तक स्वास्थ्य मंत्री रहे.
2.लालू प्रसाद यादव: चारा घोटाले में पांच साल की सजा पा चुके बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव चुनाव नहीं लड़ पा रहे हैं. हालांकि लालू अभी भी अपनी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और पर्दे के पीछे से मुख्यधारा की राजनीति में सक्रिय हैं. इस समय बिहार में उनकी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के पास सबसे ज्यादा सीटें हैं और उनके बेटे तेजस्वी यादव राज्य के उपमुख्यमंत्री हैं. लालू यादव को विशेष सीबीआई अदालत ने चारा घोटाले के चाईबासा कोषागार से फर्जी ढंग से 37.7 करोड़ रुपये निकालने के मामले में पांच वर्ष के कठोर कारावास और 25 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी. फिलहाल लालू सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में जमानत पर हैं.
3. जगन्नाथ मिश्र: बिहार के ही पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र सजायाफ्ता होने के चलते चुनाव नहीं लड़ पा रहे हैं. उन्हें भी चारा घोटाले में चार वर्ष कैद और दो लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई थी. फिलहाल जगन्नाथ मिश्र भी जमानत पर हैं.
4. ओम प्रकाश चौटाला: शिक्षक भर्ती घोटाले में 10 साल की सजा पा चुके हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला का राजनीतिक सफर थम गया है. उनके बेटे अजय चौटाला भी उनके साथ सजायाफ्ता हैं. दोनों पिता-पुत्र चुनाव नहीं लड़ पा रहे हैं. चार बार मुख्यमंत्री रहे ओम प्रकाश चौटाला और उनके विधायक बेटे अजय चौटाला को दिल्ली की रोहणी कोर्ट ने 10-10 साल की सजा सुनाई है. 1999-2000 में चौटाला के मुख्यमंत्री रहते हुए 3206 जूनियर बेसिक टीचरों की भर्ती हुई थी. इस समय हरियाणा में आईएनएलडी की सरकार थी और ओम प्रकाश चोटाला राज्य के मुख्यमंत्री थे. अब ओपी चौटाला के पोते दुष्यंत चौटाला उनकी इंडियन नेशनल लोकदल पार्टी का संचालन कर रहे हैं.
5. जगदीश शर्मा: बिहार के जदयू सांसद जगदीश शर्मा भी कोर्ट से दो साल से ज्यादा सजा पाने के चलते चुनाव नहीं लड़ पा रहे हैं. इन्हें सांसद रहते हुए सजा हुई थी. जगदीश शर्मा को विशेष सीबीआई अदालत ने चारा घोटाले के गोड्डा कोषागार से अवैध निकासी के एक मामले में चार साल के सश्रम कारावास और चार लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी थी.
मालूम हो मुख्यमंत्री रह चुके झारखंड के शिबू सोरेन और मधु कोड़ा भी जेल में रहे हैं, लेकिन उनपर अबतक केवल आरोप रहा है, इसलिए वे अभी तक चुनाव लड़ पा रहे हैं.
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