मध्यप्रदेश में एनडीटीवी इंडिया ने बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व (Bandhavgarh Tiger Reserve) में बाघों की मौत पर खबर दिखाई थी. उसका असर ये हुआ है कि मध्य प्रदेश वन मुख्यालय ने एक्शन लिया है. बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व और शहडोल वन मंडल के उप निदेशक और कुछ अन्य अधिकारियों को नोटिस जारी कर दिया गया है. बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में पिछले तीन साल में 34 बाघों की मौत हो चुकी है. एनडीटीवी के हाथ मध्यप्रदेश के वन विभाग की खास रिपोर्ट लगी है. टाइगर रिर्जव में पिछले 3 सालों में 34 बाघों की मौत हुई है. सबसे अधिक मौतें मनपुर बफर जोन में हुई है. 4 अगस्त को एनडीटीवी ने बाघों की मौत की खबर दिखायी थी. इस खबर के बाद भोपाल से लेकर दिल्ली तक हलचल हुई. आनन फानन में बांधवगढ़ और शहडोल वन क्षेत्र में कई अधिकारियों को कारण बताओं नोटिस जारी कर दिया गया.
कई अनियमितता आयी थी सामने
बाघों की मौत की जांच के लिए वन विभाग ने 3 सदस्यों की एक टीम बनायी थी. टीम ने हर पहलू से मौके पर जाकर जांच की. जिसमें अवैध शिकार, बाघों के बीच आपसी झगड़ा और दूसरे कारण शामिल थे. जांच टीम की रिपोर्ट एनडीटीवी के पास मौजूद है. जिसमें 2021 में 12 बाघों की मौत हुई थी. 2022 में 9, 2023 में 13 बाघों की मौत हुई. सबसे अधिक मौत मनपुर बफर जोन में हुई थी. बाघ की मौत के 20 मामलों में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई. कई मामलों में पोस्टर्माटम की वीडियोग्राफी नहीं हुई. कई मामलों में पोस्टमार्टम के दौरान पशु चिकित्सक मौजूद नहीं थे. मौत और हत्या में जांच सही तरीके से नहीं हुई. अवैध शिकार वाले इलाकों में कोई सुरक्षा के उपया नहीं उठाए गए.
रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया कि घटनास्थलों के सुरक्षा के उपाय अपर्याप्त थे. डॉग स्क़ॉड और मेटल डिटेक्टर का उपयोग भी नहीं किया गया. सबूत को भी सुरक्षित नहीं रखा गया जिस कारण अदालत में केस को मजबूती से नहीं उठाया जा सका. कई मामलों में केस डायरी और दास्तावेज तैयार नहीं हुए. मध्यप्रदेश को टाइगर स्टेट के नाम से जाना जाता है. 34 बाघों की मौत टाइगर स्टेट के तमगे पर बड़ा सवाल खड़े करते हैं.
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