VIDEO: पीठ में छुरा घोंपना लोकतंत्र की बड़ी समस्या... शिवसेना में टूट पर खुलकर बोले आदित्य ठाकरे

आदित्य ठाकरे ने कहा कि बालासाहेब ईमानदार, व्यावहारिक और आज भी प्रासंगिक थे. उद्धव ठाकरे के फैसले और शासन की प्रक्रिया उन्हें स्वीकार्य होती. उन्होंने यह तर्क दिया कि पार्टी में कट्टरपंथियों ने उस फैसले को कमजोर बताया था, जो वास्तव में एक समावेशी एजेंडा था.

महाराष्ट्र में शिवसेना के विधायक और पूर्व मंत्री आदित्य ठाकरे ( Aaditya Thackeray) ने एक बार फिर बागी विधायकों को लेकर सवाल उठाया है. उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray)के नेतृत्व में महा विकास अघाड़ी (Maha Vikas Aghadi) सरकार में मंत्री रहे आदित्य ठाकरे ने कहा कि पार्टी ने हर तरीके से विधायकों की मदद की, लेकिन हमें एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के नेतृत्व वाले "गद्दार" गुट से "पीठ में छुरा घोंपने" का सामना करना पड़ा. आज लोकतंत्र इसी बड़ी समस्या का सामना कर रहा है. उन्होंने कहा, 'जो कोई भी समावेशी और प्रगतिशील है, उसके साथ ऐसा हो रहा है.' आदित्य ठाकरे ने एनडीटीवी के साथ एक खास इंटरव्यू में कहा, 'इससे पता चलता है कि ये एक बहुत बड़ी लड़ाई है.'

हालांकि, शिंदे गुट का तर्क है कि पीठ में छुरा घोंपने वाले तो उद्धव ठाकरे थे. इस बारे में पूछे जाने पर आदित्य ठाकरे ने कहा कि अगर ऐसा है तो यह उनके दादा और परदादा को "स्वीकार्य" होता. एकनाथ शिंदे और उनकी सहयोगी बीजेपी ने उद्धव ठाकरे पर शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस के साथ गठजोड़ करने का आरोप लगाया, जो उनके पिता बालासाहेब ठाकरे के लिए अकल्पनीय विकल्प था. उन पर बालासाहेब ठाकरे की हिंदुत्व विचारधारा को कमजोर करने का भी आरोप है.

इसपर आदित्य ठाकरे ने कहा कि बालासाहेब "ईमानदार, व्यावहारिक और आज भी प्रासंगिक थे," और उद्धव ठाकरे के फैसले और शासन की प्रक्रिया उन्हें स्वीकार्य होती. उन्होंने यह भी तर्क दिया कि पार्टी में कट्टरपंथियों ने उस फैसले को कमजोर बताया था, जो वास्तव में एक समावेशी एजेंडा था. ये सभी को आगे लेकर गया.

उन्होंने कहा, "पूर्व मुख्यमंत्री (उद्धव ठाकरे) सभी को साथ लेकर चले, लेकिन आज जो भी प्रगतिशील है, उसे दरकिनार कर दिया जाता है. इससे बड़ा खतरा सिर्फ ठाकरे परिवार या शिवसेना पार्टी को नहीं है. इससे बड़ा खतरा देश के लोकतंत्र को है." आदित्य ठाकरे ने कहा, मेरे पिता बालासाहेब ठाकरे की विरासत को केवल "तार्किक रूप से आगे ले जा रहे थे".

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बता दें कि जून में शिवसेना पार्टी के दो धड़ों में बंटने के बाद एकनाथ शिंदे ने बालासाहेब ठाकरे की विरासत और शिवसेना के चुनाव चिन्ह धनुष-तीर पर दावा किया है. मुंबई के अंधेरी (पूर्व) निर्वाचन क्षेत्र में उपचुनाव से पहले चुनाव आयोग ने चुनाव चिन्ह पर अस्थायी रोक लगा दी है. वहीं, उद्धव ठाकरे ने दिल्ली हाईकोर्ट में आदेश को चुनौती देते हुए आरोप लगाया कि पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न को बिना किसी सुनवाई के फ्रीज कर दिया गया, जो "प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ जाता है".