मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर का निधन (Babulal Gaur Passed Away) हो गया है. 89 वर्षीय बाबूलाल ने बुधवार सुबह भोपाल के नर्मदा अस्पताल में आखिरी सांस ली. वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे. बाबूलाल (Babulal Gaur) के निधन पर कई दिग्गज नेताओं ने शोक व्यक्त किया है. बीजेपी एमपी अध्यक्ष राकेश सिंह ने ट्वीट कर लिखा, ''अत्यंत दुःख की बात है कि हमारे मार्गदर्शक भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री बाबूलाल जी गौर अब हमारे बीच नहीं रहे. उन्होंने प्रदेश में संगठन को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. ईश्वर दिवंगत आत्मा को श्रीचरणों में स्थान प्रदान करे.''
अत्यंत दुःख की बात है कि हमारे मार्गदर्शक भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री बाबूलाल जी गौर अब हमारे बीच नहीं रहे।उन्होंने प्रदेश में संगठन को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।ईश्वर दिवंगत आत्मा को श्रीचरणों में स्थान प्रदान करे pic.twitter.com/SEs1EMGx7f
— Rakesh Singh (@MPRakeshSingh) August 21, 2019
बाबूलाल गौर (Babulal Gaur) एमपी के बड़े नेताओं में गिने जाते थे. बाबूलाल गौर का असली नाम बाबूराम यादव था. उनका जन्म 2 जून 1930 को उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में हुआ था. उन्होंने भोपाल की पुट्ठा मिल में मजदूरी करते हुए अपनी पढ़ाई पूरी की. स्कूल के समय से ही बाबूलाल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा जाया करते थे. वह कई श्रमिक आंदोलनों से जुड़े और ट्रेड यूनियन पॉलिटिक्स में अपनी पकड़ जमाई. बाबूलाल 'भारतीय मज़दूर संघ' के संस्थापक सदस्य थे.
गौर पहली बार 1974 में भोपाल दक्षिण विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में जनता समर्थित उम्मीदवार के रूप में निर्दलीय विधायक चुने गये थे. वे 7 मार्च, 1990 से 15 दिसम्बर, 1992 तक मध्य प्रदेश के स्थानीय शासन, विधि एवं विधायी कार्य, संसदीय कार्य, जनसम्पर्क, नगरीय कल्याण, शहरी आवास तथा पुनर्वास एवं 'भोपाल गैस त्रासदी' राहत मंत्री रहे. वे 4 सितम्बर, 2002 से 7 दिसम्बर, 2003 तक मध्य प्रदेश विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे.
मध्य प्रदेश के पूर्व CM बाबूलाल गौर का निधन, काफी समय से चल रहे थे बीमार
बाबूलाल गौर ऐसे बने थे एमपी के सीएम
बाबूलाल गौर 23 अगस्त, 2004 से 29 नवंबर, 2005 तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. बाबूलाल के मुख्यमंत्री बनने के पीछे भी एक कहानी है. 2003 के विधानसभा चुनाव में उमा भारती की अगुआई में बीजेपी को बड़ी जीत हासिल हुई. जिसके बाद उमा भारती एमपी की मुख्यमंत्री बनीं. उमा भारती के सीएम पद संभालने के एक साल तक सब सही चल रहा था लेकिन फिर एक दिन 10 साल पुराने एक मामले में उमा भारती के खिलाफ 2004 में अरेस्ट वॉरंट जारी हुआ. जिसके बाद भारती को कुर्सी छोड़नी पड़ी और बाबूलाल गौर को एमपी का मुख्यमंत्री बनाया गया. बता दें कि उमा भारती के खिलाफ 1994 में कर्नाटक के हुबली शहर में सांप्रदायिक तनाव भड़काने के आरोप में अरेस्ट वॉरंट जारी हुआ था.
शिवराज सरकार में मिलीं कई जिम्मेदारियां
2005 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल में वाणिज्य, उद्योग, वाणिज्यिक कर रोज़गार, सार्वजनिक उपक्रम तथा भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास विभाग के मंत्री के रूप में शामिल किया गया था. वहीं, 20 दिसंबर, 2008 को उन्हें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल में मंत्री के रूप में फिर से सम्मिलित किया गया था..
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