
पतंजलि को दिल्ली हाईकोर्ट से बीते दिन झटका मिला. कोर्ट ने डाबर च्यवनप्राश के खिलाफ अपमानजनक विज्ञापन प्रसारित करने पर रोक लगा दी. डाबर पतंजलि के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचा, जहां कहा गया कि बाबा रामदेव और पतंजलि ने उसके च्यवनप्राश की छवि को खराब किया है.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल पतंजलि के खिलाफ डाबर ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दर्ज की थी, जिसमें कहा गया था कि पतंजलि अपने विज्ञापन में हमारे च्यवनप्राश को मामूली बता रहा है. डाबर की तरफ से पतंजलि पर 2 करोड़ रुपये का मानहानि दावा भी ठोका गया.
रूह अफजा और पंतजलि का विवाद छाया था सोशल मीडिया पर
पतंजलि और बाबा रामदेव को कई बार कोर्ट से फटकार लग चुकी है. इसके कई उदाहरण मौजूद हैं. अभी कुछ महीनों पहले रूह अफजा और पंतजलि का विवाद सोशल मीडिया पर छाया था. उस विवाद में बाबा रामदेव की तरफ से रूह अफजा को शरबत जिहाद कहा था. इसके बाद रूह अफजा बनाने वाली कंपनी हमदर्द ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. दिल्ली हाईकोर्ट की सख्ती के बाद पंतजलि को ये विज्ञापन भी वापस लेना पड़ा था.
कई बार लगी है फटकार
- मई 2025 में पतंजलि में संदिग्ध लेन-देन पर सरकार ने नोटिस भेजकर मांगी सफाई.
- जनवरी 2025 में भ्रामक विज्ञापन जारी करने पर रामदेव और बालकृष्ण के खिलाफ भ्रामक विज्ञापन जारी करने जमानती वारंट जारी हुआ.
- अगस्त 2022 में कोरोना के समय बाबा रामदेव की तरफ से दावा किया गया कि, हमने कोरोना खत्म करने की दवा बना ली. फिर सरकार ने फटकार लगाई तो दावे को वापस ले लिया.
- मई 2021 में बाबा रामदेव ने एलोपैथी को निशाना बनाते हुए इसे 'बेवकूफ विज्ञान' कहा था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई. बाबा को अखबार में विज्ञापन छपवा कर IMA से माफी मांगनी पड़ी थी.
- साल 2018 में बाबा रामदेव के एक समय करीबी साथी रहे कर्मवीर ने पतंजलि घी की गुणवत्ता पर सवाल उठाए.
- नवंबर 2015 में पतंजलि ने इंस्टेंट आटा नूडल्स लॉन्च किया, बिना फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी की मंजूरी के, जिसके बाद इस प्रोडक्ट को वापस लेना पड़ा
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