किशोर कुणाल।
नई दिल्ली:
अयोध्या में राम मंदिर था, जिसे औरंगजेब के शासनकाल में तोड़ा गया। 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में जो मस्जिद गिराई गई, वह बाबरी मस्जिद नहीं थी। पूर्व आईपीएस और कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व उपकुलपति किशोर कुणाल ने अपनी नई किताब 'अयोध्या रिविज़िटेड' में यह बात कही है। उनका कहना है कि "अयोध्या में राम मंदिर था, इसके प्रमाण हैं। इसे साबित करने के लिए जरूरी साक्ष्य मेरे पास हैं। इसे औरंगजेब के फोस्टर ब्रदर (सौतला भाई) फिदायी खान ने उसके शासनकाल में तुड़वाया था।"
बाबर कभी अयोध्या नहीं गया, उस पर आरोप लगाना गलत
किशोर कुणाल ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में जो मस्जिद गिराई गई, वह बाबरी मस्जिद नहीं थी। न तो बाबर ने उसे बनवाया और न ही मंदिर तुड़वाया। किशोर कुणाल ने एनडीटीवी से कहा, "बाबर उदारवादी शासक था। उसके साथ अन्याय हुआ है। उस पर मंदिर तोड़ने और मस्जिद बनवाने का गलत आरोप लगाया गया है। बाबरी मस्जिद बाबर ने नहीं बनवाई थी। बाबर कभी अयोध्या नहीं गया। जो शिलालेख मस्जिद पर लगे थे वे फर्जी हैं। मैंने किताब में यह बात साबित की है।"
25 साल से चल रही बहस पर सवाल
अयोध्या को लेकर पूर्व आईपीएस अफसर की यह किताब एक राजनीतिक विवाद पैदा कर सकती है। कुणाल ने दावा किया है कि अयोध्या की बाबरी मस्जिद बाबर की बनवाई हुई नहीं है। सबसे बड़ी बात है कि किताब के मुताबिक 1858 से पहले यहां नमाज़ और पूजा दोनों की जाती थीं। लेकिन 1858 के बाद इसे रोक दिया गया। किशोर कुणाल ने अपनी किताब के जरिए पिछले पच्चीस साल से राम मंदिर विवाद पर चल रही बहस पर कई सवाल खड़े किए हैं।
बाबर कभी अयोध्या नहीं गया, उस पर आरोप लगाना गलत
किशोर कुणाल ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में जो मस्जिद गिराई गई, वह बाबरी मस्जिद नहीं थी। न तो बाबर ने उसे बनवाया और न ही मंदिर तुड़वाया। किशोर कुणाल ने एनडीटीवी से कहा, "बाबर उदारवादी शासक था। उसके साथ अन्याय हुआ है। उस पर मंदिर तोड़ने और मस्जिद बनवाने का गलत आरोप लगाया गया है। बाबरी मस्जिद बाबर ने नहीं बनवाई थी। बाबर कभी अयोध्या नहीं गया। जो शिलालेख मस्जिद पर लगे थे वे फर्जी हैं। मैंने किताब में यह बात साबित की है।"
25 साल से चल रही बहस पर सवाल
अयोध्या को लेकर पूर्व आईपीएस अफसर की यह किताब एक राजनीतिक विवाद पैदा कर सकती है। कुणाल ने दावा किया है कि अयोध्या की बाबरी मस्जिद बाबर की बनवाई हुई नहीं है। सबसे बड़ी बात है कि किताब के मुताबिक 1858 से पहले यहां नमाज़ और पूजा दोनों की जाती थीं। लेकिन 1858 के बाद इसे रोक दिया गया। किशोर कुणाल ने अपनी किताब के जरिए पिछले पच्चीस साल से राम मंदिर विवाद पर चल रही बहस पर कई सवाल खड़े किए हैं।
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