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This Article is From Jan 19, 2024

Exclusive : TV के 'श्रीराम' ने बताया रामायण से आज की पीढ़ी को क्या लेनी चाहिए सीख?

अरुण गोविल ने कहा, "रामायण को अगर हम पारिवारिक या सामाजिक परिपेक्ष्य में देखें, तो इससे आप रिश्ते सीख सकते हैं. रिश्तें कैसे होने चाहिए और इन रिश्तों को कैसे निभाना चाहिए, ये आप सीख सकते हैं."

अरुण गोविल और दीपिका चिखलिया को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होंगे.

नई दिल्ली:

अयोध्या में बन रहे भव्य मंदिर (Ayodhya Ram Mandir) में प्रभु श्रीराम विराजमान होने जा रहे हैं  बन रहा है. 22 जनवरी को राम मंदिर का उद्घाटन और श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा (Ram Mandir Consecration) का अनुष्ठान किया जाएगा. टीवी के प्रभु श्रीराम (अरुण गोविल), माता सीता (दीपिका चिखलिया) और लक्ष्मण (सुनील लहरी) को भी प्राण प्रतिष्ठा का न्योता मिला है. तीनों अयोध्या में हैं.  

NDTV ने इस मौके पर दीपिका चिखलिया और अरुण गोविल से खास बातचीत की. इंटरव्यू के दौरान टीवी के 'श्रीराम' यानी अरुण गोविल ने बताया कि आज की युवा पीढ़ी को रामायण से क्या सीख लेनी चाहिए?

अरुण गोविल ने कहा, "आपके मन में सीखने की तैयारी होनी चाहिए. रामायण के हर शब्द, हर दोहे और हर चौपाई से आप कुछ न कुछ सीख सकते हैं. रामायण को अगर हम पारिवारिक या सामाजिक परिपेक्ष्य में देखें, तो इससे आप रिश्ते सीख सकते हैं. रिश्तें कैसे होने चाहिए और इन रिश्तों को कैसे निभाना चाहिए, ये आप सीख सकते हैं. मां-बेटे का रिश्ता, पति-पत्नी का रिश्ता, भाई-भाई का रिश्ता, पिता और बेटे का रिश्ता, दोस्तों के बीच का रिश्ता और यहां तक कि दुश्मनी का भी एक रिश्ता होता है.... इसे आप रामायण से अच्छी तरीके से सीख सकते हैं. इसके साथ ही एक राजा को कैसा होना चाहिए? ये सीखा जा सकता है. यानी आपके अंडर अगर कोई काम करता है, तो उनके साथ आपको कैसा बर्ताव करना चाहिए... ये सीख सकते हैं." 

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गोविल कहते हैं, "अगर आपके रिश्ते ठीक होंगे, तो जहां आप काम करते हैं वो जगह ठीक रहेगी. आपका मोहल्ला, आपका शहर जैसी चीजें अपने आप ठीक हो जाएंगी. आपके मन में शांति होगी. हमारे मन में जो अशांति होती है वो सिर्फ दो या तीन चीजों से ही होती है. मन में अशांति या तो रिश्तों में तनाव से होती है या मटेरियल से होती है. यहां तक कि मटेरियल के लिए हम कई बार अपने रिश्तों को भी खराब कर देते हैं. पैसों के लिए हम भाई-भाई भी लड़ जाते हैं. इसलिए अगर आप रिश्तों का मतलब और इसे निभाना सीख लेंगे, तो आपके जीवन में बहुत कुछ अपने आप आ जाएगा. इसके लिए रामायण से अच्छा और कुछ भी नहीं है."

रामायण से मिल सकती है एमबीए की समझ
दीपिका चिखलिया बताती हैं, "जो युवा एमबीए करने जाते हैं, वो अगर अच्छे से रामायण देख लें या पढ़ लें; उन्हें एमबीए की समझ इसी से मिल जाएगी. मतलब अगर आप सीखने के इच्छुक हैं, तो आप जरूर सीख सकते हैं. रामायण की सबसे अच्छी बात ये है कि इसका हर दोहा और हर चौपाई आपको कुछ न कुछ सीखाएगा और ये पॉजिटिव होगा. बशर्तें आप सीखने के इच्छुक रहें."

प्रभु राम का चरित्र निभाने वाले अरुण गोविल को असल जिंदगी में कैसे देखती हैं 'रामायण' की सीता?

दीपिका चिखलिया कहती हैं, "रामायण का हर किरदार बहुत रियल और सच है. आप सीताजी और कौश्लया का उदाहरण देखिए. दोनों में कितनी ममता हैं. जब कौश्लया जी छोटे से रामलला को अपनी गोद में उठाती हैं, इसमें आपको जो प्यार, पवित्रता, सत्यता नजर आएगी, मेरे ख्याल से आज के दिनों वो ये सब चीजें आपको देखने को नहीं मिलेगी. रामायण में आज की तरह छल-कपट नहीं था. जब कैकेयी जी ने अपनी बात रखी, तो बहुत सफाई से रखीं. उसमें कोई छल-कपट नहीं था. कोई शतरंज का खेल नहीं था. रामायण सच्चे इमोशन के साथ एक सच्ची स्टोरी है. उसमें सभी किरदार अच्छे लोग थे."

सीताजी की भूमिका करके आया ठहराव- दीपिका चिखलिया
दीपिका चिखलिया ने कहा, "सीताजी का चरित्र निभाने के दौरान मैं बहुत युवा और चंचल थी. इस उम्र में हर स्त्री का जो थिंकिंग प्रोसेस होता है, वो पुरुषों से ज्यादा तेज होता है और चंचल रहता है. जब मैंने सीताजी का रोल किया तो इससे जो समझ मुझे आई, उसमें सबसे बड़ी चीज ठहराव ही था. किसी से शांति से बात करना. मैं मानती हूं कि डेस्टिनी (भाग्य) पहले से ही लिखी होती है. भगवान ने तो सब कुछ तय करके रखा है. आपके हाथ में कर्म करने के लिए सिवा और कुछ नहीं है. आप मुझसे कैसे बात करते हैं और मैं आपसे कैसे बात करती हूं, यही है कर्म. हमारे हाथ में इतना ही है कि हम अच्छे से रहें. सामने वाला अपने आप अच्छे से रहेगा."

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