अयोध्या मामले की सुनवाई कर रहे प्रधान न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा है कि पीठ शनिवार को सुनवाई नहीं करेगी. आज इस केस की लगातार 37वें दिन सुनवाई हुई. मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट अनुच्छेद 142 के तहत मिली अपरिहार्य शक्तियों के तहत दोनों ही पक्षों कि गतिविधियों को ध्यान में रखकर इस मामले का निपटारा करे. उन्होंने कहा कि इस मामले में मस्जिद पर जबरन कब्जा किया गया. लोगों को धर्म के नाम पर उकसाया गया, रथयात्रा निकाली गई, लंबित मामले में दबाव बनाया गया. धवन ने कहा कि मस्जिद ध्वस्त की गई और उस समय मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह ने एक दिन कि जेल अवमानना के चलते काटी थी. अदालत से गुजारिश है कि तमाम घटनाओं को ध्यान में रखे.
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राजीव धवन ने कहा कि हम कैसे देखते हैं कि इतिहास महत्वपूर्ण है. केके नय्यर के खिलाफ लगे आरोप पब्लिक डोमेन में हैं. गलत तरीके से आरोप लगाए गए. एक व्यक्ति को भी वहां पर सोने तक की इजाजत नहीं थी. मुस्लिम पक्ष के वकील धवन ने कहा कि मस्जिद वह है जहां कोई अल्लाह का नाम लेता है, नमाज अदा करता है. इसी बीच जस्टिस बोबड़े ने पूछा कि क्या क्या मस्जिद दैवीय है? इस पर धवन ने जवाब दिया कि यह हमेशा से ही दैवीय रहती है. जस्टिस बोबड़े ने फिर पूछा कि क्या यह अल्लाह को समर्पित होती है? धवन ने जवाब दिया, 'हम दिन में 5 बार नमाज पढ़ते हैं अल्लाह का नाम लेते हैं. यह अल्लाह को समर्पित ही है.' धवन ने इसके आगे रेस ज्यूडिकाटा को लेकर दलील देते हुए कहा कि जब 1934 में दंगा फसाद के बाद ही ये तय हो गया था कि हिन्दू बाहर पूजा करेंगे तो 22/23 दिसंबर 1949 की रात हिन्दू इमारत में कैसे गए? ट्रेसपासिंग की गई थी.
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उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 12 के जरिए देश भर के सार्वजनिक संस्थान भी नियमित किए गए. 1934 में दंगों के दौरान इमारत को नुकसान पहुंचा और धारा 144 लगाई गई. धवन ने इतिहास की बातों का जिक्र करते हुए कहा कि बाबर पर मन्दिर तोड़कर मस्जिद बनाने का इल्जाम लगाया जाता है. बाबर कोई विध्वंसक नहीं था. मस्जिद तो मीर बाकी ने बनाई वह भी एक सूफी के कहने पर. धवन ने इसके आगे एक लाइन कही, 'है राम के वजूद पर हिन्दोस्तां को नाज़ अहले नज़र समझते हैं उसको इमाम ए हिन्द!'
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धवन ने कहा कि कोई भी अयोध्या को राम के जन्म स्थान के रूप में मना नहीं कर रहा है. यह विवाद बहुत पहले ही सुलझ गया होता अगर यह स्वीकार कर लिया जाता कि राम केंद्रीय गुंबद के नीचे पैदा नहीं हुए थे. हिंदुओं ने जोर देकर कहा है कि राम केंद्रीय गुंबद के नीचे पैदा हु्ए थे. सटीक जन्म स्थान ही मामले का मूल है. धवन ने पूछा कि क्या वे मूर्ति या भूमि या भूमि के ऊपर मूर्ति की पूजा कर रहे थे. वे प्रतिकूल कब्जे या सीमा से प्रतिबंधित नहीं होना चाहते हैं. एक भूमि जो 1989 तक शून्य थी अब एक न्यायिक व्यक्तित्व है.
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हिंदू कोर्ट को कानून का एक नया शासन बनाने के लिए कह रहे हैं. धवन ने कहा कि मध्यस्थता से पहले ट्विटर और सोशल मीडिया पर फैलाया गया था कि 500 मस्जिदें ऐसी है जिसकी लिस्ट तैयार की गई है, जो मंदिर की जगह पर बनाई गई है. रामलला विराजमान के वकील सीएस वैद्यनाथन ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि कोर्ट को इस तरह से ड्रामा नहीं होना चाहिए. धवन ने कहा कि हिन्दू पार्टी की तरफ से मध्यस्थता की बातों को भी मीडिया में बताया गया. इस पर भी सीएस वैद्यनाथन ने आपत्ति जताई और कहा कि इस तरह के आरोप कोर्ट में नहीं लगाने चाहिए.
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