प्रसिद्ध वकील और बीजेपी के सांसद महेश जेठमलानी ने आज NDTV को बताया कि कांग्रेस के राहुल गांधी 2013 के सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के तहत संसद से अपने आप अयोग्य हो गए हैं. उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर उनकी टिप्पणी से जुड़े मानहानि के मामले में सूरत की अदालत ने दो साल की सजा सुनाई है. जेठमलानी ने एक खास इंटरव्यू में एनडीटीवी से कहा, "कानून के अनुसार, वे अयोग्य हैं, हालांकि फैसले की सूचना अभी अध्यक्ष को दी जानी है. लेकिन आज की स्थिति में वे अयोग्य हैं."
लिली थॉमस बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि "किसी भी सांसद, विधायक या एमएलसी को किसी अपराध का दोषी ठहराया गया है और न्यूनतम दो साल की जेल दी गई है, तो वह तत्काल प्रभाव से सदन की सदस्यता खो देता है."
अदालत ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8 (4) को रद्द कर दिया था, जिसके तहत निर्वाचित प्रतिनिधियों को अपनी सजा के खिलाफ तीन माह तक अपील करने की इजाजत थी. कोर्ट ने इसे "असंवैधानिक" बताया था.
कोर्ट के फैसले के खिलाफ एक अध्यादेश मनमोहन सिंह सरकार द्वारा लाया गया था, जो कि उस समय सत्ता में थी. राहुल गांधी ने मीडिया के सामने यह कहते हुए इसे खारिज कर दिया था कि इसे "फाड़ कर फेंक दिया जाना चाहिए." आलोचकों ने इसे कांग्रेस के सहयोगी लालू यादव को बचाने का कदम बताया था. तब लालू यादव पर चारा घोटाले में मुकदमा चलाया जा रहा था.
महेश जेठमलानी ने कहा कि राहुल गांधी केवल तभी संसद में रह सकते हैं जब कोई हाईकोर्ट ट्रायल कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दे. जैसा कि पहले के कुछ मामलों में हुआ था.
बीजेपी इस साल की शुरुआत से ही राहुल गांधी की अयोग्यता की मांग कर रही है. बीजेपी ने शुरू में हिंडनबर्ग-अदाणी मुद्दे पर उनकी टिप्पणियों को लेकर और बाद में कैंब्रिज विश्वविद्यालय में उनकी टिप्पणियों को लेकर उन्हें संसद से बेदखल करने की मांग की. राहुल को बीजेपी ने राष्ट्र-विरोधी बताया है.
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