करीब 3,600 करोड़ रुपये के अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर करार के सिलसिले में दो पूर्व राज्यपालों- एमके नारायणन और भरत वीर वांचू से हुई पूछताछ के बाद इस मामले में सीबीआई जांच की आंच एनडीए की पिछली सरकार की भूमिका तक पहुंच सकती है।
दरअसल, नारायणन और वांचू ने सीबीआई को बताया है कि हेलीकॉप्टर की उड़ान की उंचाई में कमी करने का फैसला सैद्धांतिक तौर पर 2003 में लिया गया था, जब केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई वाली एनडीए की सरकार थी।
आधिकारिक सूत्रों ने यहां बताया कि अपना बयान दर्ज कराते हुए वांचू ने सीबीआई को 2003 में प्रधानमंत्री कार्यालय के शीर्ष अधिकारियों की एक बैठक के बारे में बताया जिसमें प्रधानमंत्री की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाले स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) से विचार-विमर्श के बाद 'व्यावहारिक परिचालनात्मक आवश्यकता' के बाबत सैद्धांतिक तौर पर फैसला किया गया था।
वांचू के बयान का ब्योरा देते हुए सूत्रों ने कहा कि इसके बाद नवंबर और दिसंबर 2003 में वायुसेना मुख्यालय एवं रक्षा मंत्रालय को पत्र लिखा गया कि वीवीआईपी हेलीकॉप्टरों की खरीद पर फिर से विचार कर प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दिया जाए।
पहली दफा सीबीआई ने राज्यपालों से ऐसे समय में पूछताछ की है जब वे अपने पद पर काबिज थे। वे 1 मार्च 2005 को हुई बैठक का हिस्सा थे, जिसमें हेलीकॉप्टर के उड़ान भरने की उंचाई यानी ‘सर्विस सीलिंग’ 6,000 मीटर से घटाकर 4,500 मीटर करने का फैसला किया गया था।
साल 2004 के बाद एसपीजी के प्रमुख रहे 63 साल के वांचू ने 4 जुलाई को गोवा के राज्यपाल पद से इस्तीफा दे दिया था। समझा जाता है कि वांचू ने अपना इस्तीफा तब दिया जब केंद्रीय गृह सचिव अनिल गोस्वामी ने उन्हें फोन करके उनके इस्तीफे की सरकार की इच्छा के बारे में बताया। वहीं साल 2010 तक राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहे एमके नारायणन ने भी 30 जून को पश्चिम बंगाल के राज्यपाल पद से इस्तीफा दिया था।
सूत्रों ने बताया कि तीन घंटे से ज्यादा समय तक चली पूछताछ के दौरान वांचू ने फैसले के पीछे के औचित्य के बारे में बताया और यह भी कहा कि एनडीए की पिछली सरकार में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहे ब्रजेश मिश्रा ने 2003 में हेलीकॉप्टर के उड़ान की उंचाई घटाने की वकालत की थी। सूत्रों ने यह भी बताया कि पूर्व एसपीजी प्रमुख ने कहा कि मार्च 2005 में हुई बैठक में भी उसी फैसले को दोहराया गया था। उन्होंने सीबीआई को बताया कि पिछली सरकार ने प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के साथ-साथ 1970 के दशक में वीवीआईपी हेलीकॉप्टरों की खरीद के लिए बनाए गए नियमों में बदलाव को ध्यान रखते हुए सैद्धांतिक तौर पर फैसला लिया था।
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