दिल्ली में अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे के बाद आतिशी (Atishi) 21 सितंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगी. केजरीवाल ने 17 सितंबर (मंगलवार) की शाम को उपराज्यपाल (LG) विनय सक्सेना को CM पद से इस्तीफा सौंपा था. उनके साथ आतिशी और 4 मंत्री मौजूद थे. इसके बाद आतिशी को विधायक दल का नेता चुना गया. फिर उन्होंने नई सरकार बनाने के लिए दावा पेश किया. उपराज्यपाल से शपथ ग्रहण की तारीख तय करने की भी मांग की है. दिल्ली सरकार ने 26 और 27 सितंबर को 2 दिन का विधानसभा सत्र बुलाया है.
आतिशी दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री होंगी. इससे पहले BJP की सुषमा स्वराज पहली सीएम बनी थीं. हालांकि, उनका कार्यकाल 52 दिन का रहा था. इसके बाद कांग्रेस की सरकार में शीला दीक्षित सीएम बनीं. शीला दीक्षित लगातार 3 बार CM रह चुकी हैं. उनका कार्यकाल 15 साल 25 दिन का रहा.
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इससे पहले CM चुने जाने के बाद आतिशी ने कहा था कि अगले चुनाव तक मेरे पास सिर्फ दो काम हैं. पहला- दिल्ली के लोगों की BJP की साजिश से रक्षा करना. दूसरा- केजरीवाल को फिर से CM बनाना.
आतिशी को ही क्यों चुना गया CM
दरअसल, आतिशी AAP में अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के बाद तीसरी बड़ी नेता हैं. वो केजरीवाल और सिसोदिया दोनों के बेहद करीबी हैं. AAP की भरोसेमंद नेता के तौर पर उनका काफी नाम है. आतिशी ने केजरीवाल और सिसोदिया के जेल में रहते हुए पार्टी और सरकार की जिम्मेदारियां बहुत अच्छे से निभाई थीं.
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आतिशी ने कहा, "दिल्ली आज गुस्से में है. उन्हें पता है कि केजरीवाल CM नहीं रहे तो फ्री बिजली नहीं मिलेगी. सरकारी स्कूल बदहाल हो जाएंगे. अस्पतालों में अच्छा इलाज नहीं मिलेगा. मोहल्ला क्लिनिक बंद हो जाएगी. महिलाओं की फ्री बस यात्रा, बुजुर्गों की तीर्थ यात्रा बंद हो जाएगी. उन्होंने देखा है कि 22 राज्यों में BJP की सरकार है. किसी एक में भी फ्री बिजली, बस यात्रा नहीं दे पा रहे."
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