अटल बिहारी वाजपेयी इस समय एम्स में भर्ती हैं. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी वेंटिलेटर पर हैं. पूरे देश में उनके लिये दुआओं का दौर जारी है. 93 साल के वाजपेयी पिछले 24 घंटे से मौत से जूझ रहे हैं और लोग उनकी ही लिखी कविता याद कर रहे हैं, 'मौत से ठन गई'. प्रधानमंत्री दूसरी बार उनकी सेहत का हालचाल लेकर एम्स से वापस आ गये हैं . बीजेपी मुख्यालय में 15 अगस्त के मौके पर की गई सजावट को हटा लिया गया है. एम्स की ओर से जारी हर मेडिकल बुलेटिन पर रखा जा रहा है. 8 डॉक्टरों की टीम उन पर नजर रख रही है. वाजपेयी की लगातार गिरती सेहत के बीच उनके राजनीतिक किस्से भी खूब याद किये जा रहे हैं. लोगों का कहना है कि अटल बिहारी वाजपेयी एक ऐसे नेता रहे हैं जो असहमतियों का सम्मान करते थे और इसके साथ उसका विरोध भी अपने ही तरीके से करते थे.
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ऐसा ही वकाया राजनीति कवर करने वाले कई पत्रकार बताते हैं जब बीजेपी के संगठन ने वेंकैया नायडू को पार्टी अध्यक्ष बनाने का फैसला का लिया. लेकिन फैसला लेने के पहले पीएम रहे वाजपेयी को नहीं बताया गया. जब यह तय हो गया कि पार्टी के अध्यक्ष अब वेंकैया नायडू होंगे तो जसवंत सिंह और अरुण जेटली को यह बताने के लिये अटल जी से मिलने पहुंचे. ऐसा माना जाता है कि वाजपेयी इस फैसले से खुश नहीं थे.वाजपेयी ने जसवंत और अरुण जेटली के लिये जूस मंगवाया और दोनों से पार्टी के फैसले के बारे में सुना. वाजपेयी आंखे मूंदे सुनते रहे लेकिन कहा कुछ ननहीं. इसी बीच जसवंत सिंह ने जूस पीने के बाद वहां गिलास लेने आये कर्मचारी से पूछा कि क्या जूस ताजा था?
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अपनी वाकपटुता के लिये मशहूर वाजपेयी ने जसवंत की बात सुनकर तुरंत जवाब दिया, अब पूछने से क्या फायदा? वाजपेयी ने बातों ही बातों में अपनी असहमति जता दी थी.
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