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48 KM रेंज वाली स्वदेशी तोप! LoC पार पाक की नींद उड़ाने वाला हथियार

48 किलोमीटर तक मार, अत्याधुनिक तकनीक और पूरी तरह से मेड इन इंडिया! चलिए, आज इस गेमचेंजर हथियार की पूरी कहानी जानते हैं!

क्या आपने कभी सोचा है कि एक ऐसी तोप हो, जो बिना LoC पार किए दुश्मन को धूल चटा दे? भारत की नई ATAGS आर्टिलरी गन कुछ ऐसा ही कमाल करने वाली है! 48 किलोमीटर तक मार, अत्याधुनिक तकनीक और पूरी तरह से मेड इन इंडिया! चलिए, आज इस गेमचेंजर हथियार की पूरी कहानी जानते हैं!

ATAGS क्या है और क्यों खास है? 

सबसे पहले बात करते हैं कि ये ATAGS है क्या बला? ATAGS यानी Advanced Towed Artillery Gun System, एक 155 मिमी 52-कैलिबर की तोप है, जिसे हमारे अपने DRDO ने बनाया है. और सुनिए, ये कोई छोटी-मोटी तोप नहीं है. इसकी मारक क्षमता 48 किलोमीटर तक है! यानी दूर बैठे दुश्मन को भी ये धूल चटा सकती है. इसके अलावा इसमें ऑल-इलेक्ट्रिक ड्राइव सिस्टम है, जो इसे सुपर रिलायबल बनाता है. रात में डायरेक्ट फायरिंग हो या फिर 2 मिनट में रेडी होना, ATAGS हर मोर्चे पर कमाल है. और हां, इसे पोखरण में टेस्ट किया गया, जहां इसने 48.074 किलोमीटर तक गोला दागकर रिकॉर्ड बनाया. सिक्किम में माइनस 20 डिग्री में भी इसने बाजी मारी. तो समझ गए ना, ये कितना तगड़ा हथियार है?

ATAGS का रणनीतिक और ऑपरेशनल फायदा 

अब सवाल ये है कि ATAGS हमारी सेना के लिए क्यों गेमचेंजर है? देखिए, भारत की पश्चिमी और उत्तरी सीमाओं पर चीन और पाकिस्तान से चुनौतियां बढ़ रही हैं. ऐसे में हमें एक ऐसे हथियार की जरूरत थी, जो दूर से ही दुश्मन को सबक सिखा दे. ATAGS वही हथियार है. ये पुरानी 105 मिमी और 130 मिमी तोपों की जगह लेगी, जो अब काफी हद तक पुरानी हो चुकी हैं. इसके लंबे बैरल और बड़े कैलिबर की वजह से ये ज्यादा विस्फोटक पेलोड डिलीवर कर सकती है. ऑटोमैटिक तैनाती और टारगेट इंगेजमेंट की खूबी से हमारे जवानों की मेहनत भी कम होगी, यानी ऑपरेशनल तैयारी और मारक क्षमता में जबरदस्त इजाफा.

मेक इन इंडिया का कमाल 

अब बात करते हैं ATAGS के मेड इन इंडिया होने की। ये तोप DRDO ने भारत फोर्ज और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स के साथ मिलकर बनाई है. और सुनो, इसके 65% से ज्यादा पार्ट्स भारत में ही बने हैं.  बैरल, मज़ल ब्रेक, फायरिंग सिस्टम, गोला-बारूद हैंडलिंग मैकेनिज्म – सब कुछ स्वदेशी. इसके नेविगेशन सिस्टम, म्यूज़ल वेलोसिटी रडार और सेंसर भी भारत में डिज़ाइन किए गए हैं. यानी विदेशी आयात पर हमारी निर्भरता अब ना के बराबर. ये मेक इन इंडिया का एक ऐसा उदाहरण है, जो हर भारतीय को गर्व से भर देगा.

लॉन्ग-टर्म फायदे और सपोर्ट 

चलिए, अब बात करते हैं ATAGS के लंबे वक्त के फायदों की. चूंकि ये पूरी तरह से स्वदेशी है, तो इसके स्पेयर पार्ट्स की सप्लाई में कोई दिक्कत नहीं होगी. मेंटेनेंस भी आसान होगा और सबसे बड़ी बात, ये लंबे समय तक हमारी सेना को सपोर्ट देगी. सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने 7000 करोड़ रुपये में 307 ATAGS खरीदने की मंजूरी दी है, यानी जल्द ही ये हमारी सेना का हिस्सा बनेगी और हां, आर्मेनिया जैसे देशों ने भी इसे खरीदा है. यानी ये भारत के रक्षा निर्यात को भी बढ़ावा देगी तो ATAGS ना सिर्फ हमारी सेना की ताकत बढ़ाएगी, बल्कि रक्षा में आत्मनिर्भरता की मिसाल भी बनेगी. आपको क्या लगता है? क्या ये भारत की सीमाओं को और मजबूत करेगी? अपनी राय कमेंट्स में जरूर बताएं.

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