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रेप के आरोपी को सुबह 4 बजे क्राइम सीन पर ले गई पुलिस, फिर आई मौत की खबर, असम में जानिए हुआ क्या

असम में नाबालिग से गैंगरेप के मामले में एक आरोपी की मौत हो गई है. पुलिस आरोपी को क्राइम सीन रीक्रिएट करने के लिए ले गई थी.

नई दिल्‍ली:

असम (Assam) के नागांव जिले में तीन व्‍यक्तियों ने 14 साल की एक किशोरी के साथ कथित रेप (Nagaon Minor Gangrape Case) की घटना को अंजाम दिया, जिसके बाद असम में व्‍यापक विरोध प्रदर्शन हुए हैं. हालांकि इस मामले में उस वक्‍त नया मोड़ आ गया जब गिरफ्तार आरोपी ने पुलिस हिरासत से भागने की कोशिश की. आरोपी एक तालाब में कूद गया और उसकी मौत हो गई. अब नागांव के ग्रामीणों ने आरोपी के अंतिम संस्‍कार के बहिष्‍कार का फैसला किया है. ग्रामीणों ने कहा कि यह जघन्‍य अपराध था और हम नहीं चाहते हैं कि किसी भी लड़की के साथ ऐसा हो. 

जानिए नगांव रेप मामले में कब, क्‍या हुआ

22 अगस्‍त 2024 : नगांव जिले के ढिंग इलाके में एक नाबालिग लड़की ट्यूशन से घर लौट रही थी. साइकिल सवार लड़की पर तीन लोगों ने हमला किया और फिर उसके साथ सामूहिक रेप किया गया. स्‍थानीय लोगों द्वारा बचाए जाने से पहले एक घंटे से अधिक वक्‍त तक वह अर्ध-बेहोशी की हालत में पड़ी रही. 
23 अगस्‍त 2024 : पुलिस ने इस मामले में तीन में से एक आरोपी तफाजुल इस्‍लाम को गिरफ्तार कर लिया. वहीं इस मामले के सामने आने के बाद राज्‍य में व्‍यापक विरोध प्रदर्शन हुए हैं. आम लोगों के साथ ही विभिन्‍न राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किए हैं. 
24 अगस्‍त 2024 : पुलिस सुबह 4 बजे क्राइम सीन को रीकिएट करने के लिए तफासुल इस्लाम को ढिंग इलाके में एक तालाब के पास क्राइम सीन पर लेकर गई थी, जहां कथित सामूहिक बलात्कार हुआ था. नगांव के पुलिस अधीक्षक स्वप्ननील डेका ने बताया कि आरोपी को पूछताछ के बाद अपराध स्थल पर लाया गया था. हालांकि पुलिस गिरफ्त से भागने के दौरान वह एक तालाब में गिर गया, जो पानी से लबालब भरा हुआ था. सूचना मिलने के बाद एसडीआरएफ ने तालाब से उसका शव बरामद किया. साथ ही उन्‍होंने बताया कि आरोपी के भागने के दौरान हथकड़ी से बंधी रस्सी को पकड़ने वाला एक कांस्टेबल भी घायल हो गया. 

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ग्रामीणों का अंतिम संस्‍कार के बहिष्‍कार का फैसला 

ढिंग इलाके के बोरभेटी गांव के ग्रामीणों ने मीडियाकर्मियों से कहा, "हमने रेप आरोपी के अंतिम संस्कार का बहिष्कार का फैसला किया है. यह जघन्य अपराध था और हम नहीं चाहते कि किसी भी लड़की के साथ ऐसा हो. गांव का कोई भी व्यक्ति आरोपी के अंतिम संस्कार में हिस्सा नहीं लेगा और हमारा मानना ​​है कि भगवान ने उसे सजा दे दी है." यह वही इलाका है, जहां पर आरोपी रहता था. साथ ही ग्रामीणों ने दावा किया कि अन्य दो आरोपी भी गांव के आसपास के इलाकों में रहते हैं और उन्हें तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए. 

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ग्रामीणों ने कहा, "गांव के लोगों ने प्रण किया है कि हमें बलात्कार, हत्या, नशीली दवाओं की तस्करी जैसे मामलों में शामिल किसी भी व्यक्ति को नहीं छोड़ना चाहिए. इसलिए ग्रामीण आगामी दिनों में भी अपराधियों के अंतिम संस्कार का बहिष्कार करेंगे." 

नगांव की घटना पर क्‍या बोले CM सरमा?

घटना के बाद मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने जघन्य अपराध में शामिल दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है. सरमा ने शुक्रवार को कहा, "ढिंग की एक नाबालिग हिंदू लड़की के खिलाफ जघन्य अपराध करने की हिम्मत करने वाले अपराधियों को बख्शा नहीं जाएगा." 

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उन्‍होंने आरोप लगाया कि लोकसभा चुनाव के बाद, "एक विशेष समुदाय के सदस्यों का एक वर्ग बेहद सक्रिय हो गया है और उन्‍हें ऐसे अपराध करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है. हालांकि हम अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई करेंगे और किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा." साथ ही उन्होंने कहा कि पिछले दो महीनों में महिलाओं के खिलाफ ऐसे 22 अपराध हुए हैं और राज्य में यह 23वीं ऐसी घटना है. 

पहले भी सामने आ चुकी हैं ऐसी घटनाएं 

पुलिस की गिरफ्त से आरोपियों के भागने की घटना कोई नई बात नहीं है. ऐसे मामले पहले भी सामने आ चुके हैं. सबसे चर्चित मामला जुलाई 2020 में उत्तर प्रदेश में सामने आया था. उत्तर प्रदेश पुलिस की एक टीम मध्‍य प्रदेश के उज्‍जैन से विकास दुबे को सड़क मार्ग से कानपुर लेकर जा रही थी. इसी दौरान रास्‍ते में गाड़ी पलट गई थी. पुलिस के मुताबिक, विकास दुबे ने गाड़ी पलटने के बाद जवान की पिस्‍तौल लेकर भागने की कोशिश की थी. इसके बाद पुलिस को गोली चलानी पड़ी थी, जिसमें दुबे की मौत हो गई. इस मामले में गठित न्‍यायिक आयोग ने पुलिस की थ्‍योरी को सही माना था.

वहीं ऐसा मामला हैदराबाद में सामने आया था. जहां नवंबर 2019 में वेटनरी डॉक्‍टर के साथ गैंगरेप और हत्‍या के मामले में पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया था. बाद में पुलिस ने चारों को मार गिराया था. पुलिस ने कहा था कि आरोपियों ने पिस्‍तौल छीनकर भागने की कोशिश की थी, जिसके बाद जवाबी कार्रवाई में उनकी मौत हो गई. हालांकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित आयोग ने इस फर्जी करार दिया था और पुलिसकर्मियों पर हत्‍या का मामला चलाने की सिफारिश की थी.

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