बिहार के बक्सर से टिकट कटने के बाद सोमवार को भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे का दर्द छलक गया. उन्होंने खुद को फकीर बताते हुए कहा कि मैं गिरगिट की तरह रंग बदलने वाला नहीं हूं. उन्होंने पटना पहुंचने पर पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा, ''मेरा कसूर सिर्फ यही है कि मैं एक फकीर हूं. मैं ब्राह्मण हूं, परशुराम का वंशज हूं. कभी संस्कार नहीं छोड़ सकता. मेरा रंग भगवा है और इसी में लिपट कर जाऊंगा."
उन्होंने टिकट कटने के सवाल पर कहा कि पार्टी ने मुझे सब कुछ दिया है. मैंने भी पार्टी के लिए सब कुछ किया और संघर्ष हमारा जीवन है, यह हमारे जीवन की पूंजी है. कभी किसी के सामने हाथ नहीं फैलाया है. हम टिकट बांटने वालों में से थे. यह टिकट नहीं कटा है. मुझे पार्टी में जो सम्मान दिया गया है, आगे भी सम्मान देने की बात हो रही है.
अश्विनी चौबे ने कहा कि संघर्ष और सत्य ही हमारे जीवन की पूंजी रही है. बचपन में भी मैंने किसी के सामने हाथ नहीं फैलाया है तो अब क्या हाथ फैलाऊंगा. अब जरूरत है कि मैं पार्टी को सम्मान दूं. मैं कभी भी पार्टी से नाराज नहीं हूं बल्कि नाराज तो वह लोग होकर जाएंगे, जो यहां के नहीं हैं, मैं तो बक्सर का हूं और बक्सर का ही बनकर रहूंगा. रामचरितमानस की एक चौपाई का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हम रामकाज के लिए हैं, जो हो गया, सो हो गया. भाजपा हमारी मां है, भाजपा ने सबकुछ दिया है.
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