
हवलदार हंगपन दादा को मरणोपरांत दिया जाएगा अशोक चक्र सम्मान.
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इस साल 27 मई को शहीद हुए थे हंगपन.
LoC में घुसपैठियों से लड़ते हुए हो गए शहीद.
साल 1997 में आर्मी में शामिल हुए थे हंगपन दादा.
सरकार ने स्वतंत्रता दिवस की पूर्वसंध्या पर आज सेना के जवानों को दिए जाने वाले सर्वोच्च शांतिकालीन पुरस्कारों की घोषणा की जिसमें हंगपन को मरणोपरांत सम्मान के लिए चुना गया है. इस साल 27 मई को देश के लिए अपनी जान दे देने वाले 36 साल के दादा ने उत्तरी कश्मीर के शमसाबरी रेंज में बहादुरी के साथ संघर्ष करते हुए चार हथियारबंद आतंकवादियों को समाप्त कर दिया जो पाक के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से उत्तरी कश्मीर में घुस आये थे.
अरणाचल प्रदेश के बोदुरिया गांव के रहने वाले हवलदार हंगपन अपनी टीम में 'दादा' के नाम से लोकप्रिय थे. वह पिछले साल से उच्च पर्वतीय रेंज में तैनात थे. 1997 में सेना की असम रेजीमेंट में शामिल किये गये दादा को 35 राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात किया गया था.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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