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This Article is From Apr 13, 2024

गर्मी बढ़ने के साथ दक्षिण भारत के राज्यों में गहराता जा रहा पानी का संकट

सेंट्रल वाटर कमीशन की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक- देश के 150 बड़े जलाशयों में पानी का स्टोरेज लेवल घटकर उनकी कुल क्षमता का 33 प्रतिशत रह गया है.

गर्मी बढ़ने के साथ दक्षिण भारत के राज्यों में गहराता जा रहा पानी का संकट
प्रतीकात्मक तस्वीर.
नई दिल्ली:

दक्षिण भारत के राज्यों में पानी का संकट गहराता जा रहा है. पानी संकट से जूझ रहे बेंगलुरु की एक हाउसिंग सोसाइटी के नाराज लोगों ने लोकसभा चुनावों का बहिष्कार करने का फैसला किया है. इस बीच देश के बड़े जलाशयों और नदियों में पानी का स्तर धीरे-धीरे घटता जा रहा है. गर्मी बढ़ने से पानी का संकट और बढ़ने की आशंका है.

पानी नहीं तो वोट नहीं- ये ऐलान किसी सुदूर गांव से नहीं, बेंगलुरु के जेपीनगर से आया है. रॉयल लेक फ्रंट रेजीडेंसी फेज -1 के 100 से अधिक वाशिंदों ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया को पत्र लिखकर कहा है कि वे लोकसभा चुनावों का बहिष्कार करेंगे.

सेंट्रल वाटर कमीशन के पूर्व चेयरमैन एके बजाज ने NDTV से कहा, "बेंगलुरु की तीन-चार बड़ी झीलें खत्म हो चुकी हैं. उनके ऊपर इंफ्रास्ट्रक्चर बन गया है. लोगों को समझ आ गया है कि यह गलत हुआ है ...  बेंगलुरु को नई वॉटर बॉडीज बनानी चाहिए."

दरअसल देश के कई हिस्सों में गर्मी बढ़ने के साथ ही पानी की खपत तेजी से बढ़ती जा रही है और इसके साथ ही पानी का संकट भी बढ़ रहा है. 12 अप्रैल, 2024 को जारी की गई सेंट्रल वाटर कमीशन की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक- देश के 150 बड़े जलाशयों में पानी का स्टोरेज लेवल घटकर उनकी कुल क्षमता का 33% रह गया है. 

रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल के मुकाबले 12 अप्रैल, 2024 तक 150 बड़े जलाशयों में वाटर स्टोरेज लेवल 17% कम है, और पिछले दस साल के औसत से 5% कम. दक्षिण भारत के 42 बड़े जलाशयों में पानी का स्टोरेज लेवल घटकर 18% तक पहुंच गया है. पिछले साल 12 अप्रैल को इन 42 बड़े जलाशयों में पानी का स्टोरेज लेवल 32% हो गया था, और पिछले दस साल के औसत से 8% कम.

जो राज्य पानी के संकट से जूझ रहे हैं उनके लिए क्या एडवाइजरी है?  मानसून के आने में अभी कई हफ्ते लगेंगे. क्या अगले 7-8 हफ्ते बेहद चुनौतीपूर्ण होंगे इन राज्यों के लिए? सवाल पर एके बजाज ने कहा कि, ''जब जलाशयों में पानी काफी घट जाता है तो नेशनल वाटर पालिसी की गाइडलाइन है कि जो पानी जलाशय में बचा है उसका सबसे पहले इस्तेमाल पीने के पानी के लिए करना होगा. एग्रीकल्चर के लिए पानी का इस्तेमाल कम करना पड़ेगा.''  

एके बजाज के मुताबिक नदियों में पानी का स्तर बारिश पर निर्भर करता है. क्लाइमेट चेंज की वजह से बारिश का पैटर्न बदल रहा है. इस बार दक्षिण में बारिश कम हुई है तो वहां की नदियों में भी पानी का स्तर कम है. आने वाले दिनों में गर्मी बढ़ने से जलाशयों में पानी का जल स्तर और घटने की आशंका है, ऐसे में देश के कुछ हिस्सों में पानी का संकट और गहरा सकता है. 

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