अरुण जेटली का फाइल फोटो...
नई दिल्ली:
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बीजेपी नेताओं से कहा है कि नोटबंदी से आम लोगों को बहुत राहत पहुंचेगी और ब्याज दरें अटल बिहारी वाजपेयी के वक्त जैसी हो जाएंगी. उन्होंने कहा कि ये नैतिकता की लड़ाई है, जिसमें जीत हमारी होगी. जेटली ने कहा कि मोदी सरकार के कदम से ईमानदार लोगों में मजबूत भावना जागृत हुई है और भ्रष्ट लोग चिंतित हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ऐसे ही लोगों की बात उठा रही है.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बीजेपी मुख्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए देश भर में बीजेपी नेताओं से बातचीत की. इसमें पार्टी नेताओं को बताया गया कि नोटबंदी के पीछे केंद्र सरकार का क्या मकसद है और इसके क्या फायदे हैं.
बीजेपी नेताओं के मुताबिक, वित्त मंत्री ने नोटबंदी का इतिहास बताया. उन्होंने कहा कि ये देश में इससे पहले दो बार हुआ था. सबसे पहली बार ये कदम 1946 में उठाया गया था. तब रियासतों को छूट दी गई थी, लेकिन तब यह योजना कामयाब नहीं हो सकी थी. दूसरी बार ऐसा 1978 में किया गया, तब 80 करोड़ रुपए में से 60 करोड़ वापस आए, लेकिन 20 करोड़ रुपए बाजार में घूमते रहे. तब 500-1000 के कम नोट थे. ये प्रयास भी अधिक कामयाब नहीं रहा.
क्यों हुई नोटबंदी?
जेटली ने पार्टी नेताओं को कुछ आंकड़े दिए. उन्होंने कहा कि जीडीपी का कुल 4 फीसदी ही नगद में होना चाहिए. पर भारत में ये 14 फीसदी था. उन्होंने अर्थव्यस्था में अधिक नगदी के खराब नतीजों का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि इससे आतंकवाद को बढ़ावा मिलता है. इससे भ्रष्टाचार बढ़ता है. नकली नोट फैलते हैं. समानांतर अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है. इसका तरीका यही है कि कैशलैस अर्थव्यवस्था की ओर देश चले.
जेटली ने कहा कि देश भर में 1.25 लाख बैंक शाखाएं और 1.55 लाख पोस्ट ऑफिस हैं. 4,000 कोषालयों से नोट इन जगहों पर भेजे जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि शहरों में लाइनें कम हो गई हैं. अब सरकार का अधिक ध्यान ग्रामीण इलाकों पर है. वित्त मंत्री ने बताया कि नाबार्ड से कहा गया है कि वह ऐसी सहकारी संस्थाओं और बैंकों की पहचान करे, जहां कामकाज में पारदर्शिता है. ताकि उन्हें ऋण दिया जा सके.
'आगे की सोचती है बीजेपी'
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि बीजेपी आगे की सोचने वाली पार्टी है. उन्होंने कहा कि 1996 में मुंबई में पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में लाल कृष्ण आडवाणी ने प्रधानमंत्री पद के लिए अटल बिहारी वाजपेयी का नाम रखा. इस अधिवेशन की तैयारी के लिए तब छह मोबाइल फोन खरीदे गए थे. अगले दिन अखबार में ये खबर नहीं छपी कि अटल बिहारी वाजपेयी बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बनाए गए, बल्कि ये छपा कि बीजेपी अमीरों की पार्टी है, क्योंकि इसके छह नेताओं के पास मोबाइल फोन हैं. आज मोबाइल फोन हर आदमी के हाथ में है. हम आगे की सोचते हैं.
जेटली ने कहा कि देश नकदी मुक्त अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है. आज सवा दो करोड़ लोग ट्रेन से यात्रा करते हैं. इनमें 56 फीसदी लोग ऑनलाइन टिकट खरीदते हैं. देश बदल रहा है.
विपक्ष पर हमला
बीजेपी नेताओं से चर्चा में वित्त मंत्री ने विपक्षी दलों पर तीखा हमला किया. उन्होंने कहा कि नोटबंदी से ईमानदार लोगों में मजबूत भावना जाग्रत हुई है. भ्रष्ट लोग चिंतित हैं. कांग्रेस ऐसे ही लोगों की बात उठा रही है. उन्होंने कहा कि सरकार ने हिम्मत का परिचय दिया है, लेकिन यूपीए ऐसी हिम्मत नहीं दिखा सकी थी.
जेटली ने कहा कि 2005 में पी. चिदंबरम ने कैश ट्रांजेक्शन टैक्स लगाया था, लेकिन विरोध के बाद उन्हें अपने कदम पीछे खींचने पड़े थे. वित्त मंत्री ने वामपंथी दलों की आलोचना की. उन्होंने कहा कि इन दलों को नहीं पता कि वो क्या बोल रहे हैं. अभी मजदूरों को न्यूनतम वेतन नगदी में मिलता है, जिसे बिचौलिए खा जाते हैं, लेकिन आगे ऐसा नहीं होगा.
कालेधन पर सरकार के कदम
वित्त मंत्री ने जानकारी दी कि मोदी सरकार ने मई 2014 से अब तक काले धन को रोकने के लिए क्या कदम उठाए हैं. उन्होंने कहा कि काले धन पर एसआईटी बनाने की बात 2011 से थी, लेकिन यूपीए सरकार ने ऐसा नहीं किया. जबकि मोदी सरकार ने पहला फैसला ही यही किया. इसी तरह बेनामी संपत्ति पर पाबंदी का कानून बनाया गया. भारत में पैसा लाने के लिए मॉरीशस और साइप्रस का रास्ता रोका गया और सिंगापुर से इस बारे में बात चल रही है.
जेटली ने कहा कि सरकार को ये जानकारी मिली है कि कुछ लोग काले धन से सोने की ईंट खरीद रहे हैं. सरकार की इस पर नजर बनी हुई है. इस तरह काले धन को काले धन में ही बदलने की कोशिश की जा रही है. आयकर विभाग तथा दूसरी एजेंसियों की इस पर नजर है तथा उचित कार्रवाई की जाएगी.
नोटबंदी का असर
वित्त मंत्री ने कहा कि नोटबंदी से बैंकों के पास तरल पूंजी बढ़ेगी और इससे ब्याज दरों में कमी आएगी. उन्होंने कहा कि अटल सरकार के समय जो ब्याज दरें थीं, बैंकों की ब्याज दरें उसी स्तर तक आ जाएंगी. इसके लंबी अवधि में फायदे हैं. फौरी तौर पर अर्थव्यवस्था की गति थोड़ी धीमी होगी, लेकिन दीर्घ काल में अर्थव्यवस्था का आकार बढ़ेगा.
उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में पर्याप्त मात्रा में नोट आने में थोड़ा समय लगेगा और ऐसा होने के बाद बैंकिग व्यवस्था पर लगी पाबंदियां हट जाएंगी. वित्त मंत्री ने पार्टी नेताओं से कहा कि उन्हें जनता के बीच ये सारी जानकारी लेकर जाना चाहिए.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बीजेपी मुख्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए देश भर में बीजेपी नेताओं से बातचीत की. इसमें पार्टी नेताओं को बताया गया कि नोटबंदी के पीछे केंद्र सरकार का क्या मकसद है और इसके क्या फायदे हैं.
बीजेपी नेताओं के मुताबिक, वित्त मंत्री ने नोटबंदी का इतिहास बताया. उन्होंने कहा कि ये देश में इससे पहले दो बार हुआ था. सबसे पहली बार ये कदम 1946 में उठाया गया था. तब रियासतों को छूट दी गई थी, लेकिन तब यह योजना कामयाब नहीं हो सकी थी. दूसरी बार ऐसा 1978 में किया गया, तब 80 करोड़ रुपए में से 60 करोड़ वापस आए, लेकिन 20 करोड़ रुपए बाजार में घूमते रहे. तब 500-1000 के कम नोट थे. ये प्रयास भी अधिक कामयाब नहीं रहा.
क्यों हुई नोटबंदी?
जेटली ने पार्टी नेताओं को कुछ आंकड़े दिए. उन्होंने कहा कि जीडीपी का कुल 4 फीसदी ही नगद में होना चाहिए. पर भारत में ये 14 फीसदी था. उन्होंने अर्थव्यस्था में अधिक नगदी के खराब नतीजों का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि इससे आतंकवाद को बढ़ावा मिलता है. इससे भ्रष्टाचार बढ़ता है. नकली नोट फैलते हैं. समानांतर अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है. इसका तरीका यही है कि कैशलैस अर्थव्यवस्था की ओर देश चले.
जेटली ने कहा कि देश भर में 1.25 लाख बैंक शाखाएं और 1.55 लाख पोस्ट ऑफिस हैं. 4,000 कोषालयों से नोट इन जगहों पर भेजे जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि शहरों में लाइनें कम हो गई हैं. अब सरकार का अधिक ध्यान ग्रामीण इलाकों पर है. वित्त मंत्री ने बताया कि नाबार्ड से कहा गया है कि वह ऐसी सहकारी संस्थाओं और बैंकों की पहचान करे, जहां कामकाज में पारदर्शिता है. ताकि उन्हें ऋण दिया जा सके.
'आगे की सोचती है बीजेपी'
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि बीजेपी आगे की सोचने वाली पार्टी है. उन्होंने कहा कि 1996 में मुंबई में पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में लाल कृष्ण आडवाणी ने प्रधानमंत्री पद के लिए अटल बिहारी वाजपेयी का नाम रखा. इस अधिवेशन की तैयारी के लिए तब छह मोबाइल फोन खरीदे गए थे. अगले दिन अखबार में ये खबर नहीं छपी कि अटल बिहारी वाजपेयी बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बनाए गए, बल्कि ये छपा कि बीजेपी अमीरों की पार्टी है, क्योंकि इसके छह नेताओं के पास मोबाइल फोन हैं. आज मोबाइल फोन हर आदमी के हाथ में है. हम आगे की सोचते हैं.
जेटली ने कहा कि देश नकदी मुक्त अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है. आज सवा दो करोड़ लोग ट्रेन से यात्रा करते हैं. इनमें 56 फीसदी लोग ऑनलाइन टिकट खरीदते हैं. देश बदल रहा है.
विपक्ष पर हमला
बीजेपी नेताओं से चर्चा में वित्त मंत्री ने विपक्षी दलों पर तीखा हमला किया. उन्होंने कहा कि नोटबंदी से ईमानदार लोगों में मजबूत भावना जाग्रत हुई है. भ्रष्ट लोग चिंतित हैं. कांग्रेस ऐसे ही लोगों की बात उठा रही है. उन्होंने कहा कि सरकार ने हिम्मत का परिचय दिया है, लेकिन यूपीए ऐसी हिम्मत नहीं दिखा सकी थी.
जेटली ने कहा कि 2005 में पी. चिदंबरम ने कैश ट्रांजेक्शन टैक्स लगाया था, लेकिन विरोध के बाद उन्हें अपने कदम पीछे खींचने पड़े थे. वित्त मंत्री ने वामपंथी दलों की आलोचना की. उन्होंने कहा कि इन दलों को नहीं पता कि वो क्या बोल रहे हैं. अभी मजदूरों को न्यूनतम वेतन नगदी में मिलता है, जिसे बिचौलिए खा जाते हैं, लेकिन आगे ऐसा नहीं होगा.
कालेधन पर सरकार के कदम
वित्त मंत्री ने जानकारी दी कि मोदी सरकार ने मई 2014 से अब तक काले धन को रोकने के लिए क्या कदम उठाए हैं. उन्होंने कहा कि काले धन पर एसआईटी बनाने की बात 2011 से थी, लेकिन यूपीए सरकार ने ऐसा नहीं किया. जबकि मोदी सरकार ने पहला फैसला ही यही किया. इसी तरह बेनामी संपत्ति पर पाबंदी का कानून बनाया गया. भारत में पैसा लाने के लिए मॉरीशस और साइप्रस का रास्ता रोका गया और सिंगापुर से इस बारे में बात चल रही है.
जेटली ने कहा कि सरकार को ये जानकारी मिली है कि कुछ लोग काले धन से सोने की ईंट खरीद रहे हैं. सरकार की इस पर नजर बनी हुई है. इस तरह काले धन को काले धन में ही बदलने की कोशिश की जा रही है. आयकर विभाग तथा दूसरी एजेंसियों की इस पर नजर है तथा उचित कार्रवाई की जाएगी.
नोटबंदी का असर
वित्त मंत्री ने कहा कि नोटबंदी से बैंकों के पास तरल पूंजी बढ़ेगी और इससे ब्याज दरों में कमी आएगी. उन्होंने कहा कि अटल सरकार के समय जो ब्याज दरें थीं, बैंकों की ब्याज दरें उसी स्तर तक आ जाएंगी. इसके लंबी अवधि में फायदे हैं. फौरी तौर पर अर्थव्यवस्था की गति थोड़ी धीमी होगी, लेकिन दीर्घ काल में अर्थव्यवस्था का आकार बढ़ेगा.
उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में पर्याप्त मात्रा में नोट आने में थोड़ा समय लगेगा और ऐसा होने के बाद बैंकिग व्यवस्था पर लगी पाबंदियां हट जाएंगी. वित्त मंत्री ने पार्टी नेताओं से कहा कि उन्हें जनता के बीच ये सारी जानकारी लेकर जाना चाहिए.
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