वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राफेल लड़ाकू विमान सौदे और 15 औद्योगिक घरानों का कर्ज माफ करने के बारे में फैलाये जा रहे झूठ को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की कड़ी आलोचना की है. फेसबुक पर एक लेख में जेटली ने कहा है कि एक परिपक्व लोकतंत्र में जो झूठ के सहारे रहते हैं वह सार्वजनिक जीवन के लिए फिट नहीं बैठते हैं. जेटली ने अपने इस लेख का शीर्षक दिया है, 'मसखरे शाहजादे का झूठ.' उन्होंने इसमें लिखा है, 'आपने राफेल सौदे पर झूठ बोला, आपने बैंकों के एनपीए पर झूठ बोला. तथ्यों को तोड़ने-मरोड़ने की आप की प्रवृत्ति से एक वैध प्रश्न खड़ा होता है कि, क्या ऐसे लोग जिनकी स्वाभाविक वरीयता झूठ फैलाना है क्या वे सार्वजनिक संवाद में शामिल होने लायक हैं?'
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जेटली ने आगे कहा है, 'सार्वजनिक संवाद एक गंभीर विषय है. यह कोई चुटकुलेबाजी की प्रतियोगिता नहीं है. आप इसे गले मिलने, आंख मारने यहा बार-बार झूठ बोलने जैसी हरकतों के स्तर तक नहीं ले जा सकते. दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश को इस बारे में गंभीरता के साथ सोचना होगा कि, क्या सार्वजनिक बहसों को किसी 'मसखरे शाहजादे' की झूठी बातों से प्रदूषित करने की छूट दी जानी चाहिए.'
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जेटली ने राहुल गांधी पर आरोप लगाया कि वह 'झूठ गढ़ते हैं' और उसे बार दोहराते हैं और तब तक दोहराते रहते हैं जब तक कि वह वापस वहीं नहीं पहुंच जाते जो बातें उन्होंने राफेल सौदे को लेकर इन्हीं आरोपों का विरोध करते हुए पहले कही थी. उन्होंने कहा, 'परिपक्व लोकतंत्र में जो झूठ पर निर्भर रहते हैं उन्हें सार्वजनिक जीवन के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता है. कइयों को सार्वजनिक जीवन से हाथ धोना पड़ा है, क्योंकि वह झूठ बोलते हुए पकड़े गए. लेकिन यह नियम राजवंशी पार्टी कांग्रेस जैसे एक बड़े संगठन के ऊपर लागू नहीं होता है.'
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जेटली ने कहा, 'राफेल के बारे में जो कुछ भी कहा जा रहा है वह पहला बड़ा झूठ है, जबकि दूसरा झूठ जो बार बार कहा जा रहा है वह यह कि मोदी सरकार ने 15 उद्योगपतियों का 2.50 लाख करोड़ रुपये का कर्ज माफ कर दिया. राहुल गांधी के इस वाक्य में कहा जाना वाला हर शब्द झूठ है.' जेटली ने बैंकों का कर्ज नहीं लौटाने वाले बड़े कर्जदारों की सूची गिनाते हुए कहा कि भूषण स्टील, एस्सार स्टील सहित 12 कर्जदार हैं, जिन्होंने पैसा नहीं लौटाया. वहीं, पिछली संप्रग सरकार के नेता कह रहे हैं कि 2014 में जब उनकी सरकार थी तब बैंकों का एनपीए मात्र 2.5 लाख करोड़ रुपये था. सच्चाई यह है कि एनपीए को छुपाया गया था.
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वित्त मंत्री ने कहा, '2015 में रिजर्व बैंक ने बैंकों की संपत्ति गुणवत्ता समीक्षा की थी. इस समीक्षा में जो सामने आया वह यह कि बैंकों का एनपीए वास्तव में 8.96 लाख करोड़ रुपये था.
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