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This Article is From Dec 27, 2018

आतंकी मॉड्यूल के भंडाफोड़ पर अरुण जेटली ने थपथपाई NIA की पीठ, विपक्ष पर दागे कई सवाल

NIA ने भारत में पनप रहे आतंकी गिरोह इस्लामिक स्टेट के बड़े मॉड्यूल 'हरकत उल हर्ब ए इस्लाम' का भांडाफोड़ किया.

आतंकी मॉड्यूल के भंडाफोड़ पर अरुण जेटली ने थपथपाई NIA की पीठ, विपक्ष पर दागे कई सवाल
अरुण जेटली (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

नेशनल इनवेस्टिगेटिव एजेंसी यानी की एनआईए ने भारत में पनप रहे आतंकी गिरोह इस्लामिक स्टेट के बड़े मॉड्यूल 'हरकत उल हर्ब ए इस्लाम' का भंडाफोड़ किया, जिसकी तारीफ वित्त मंत्री अरुण जेटली ने की. इस मौके पर उन्होंने विपक्ष को निशाने पर भी लिया. ये लोग दिल्ली में 26 जनवरी के पहले बड़े पैमाने पर हमले की तैयारी कर रहे थे. इनके पास से बड़ी मात्रा में बम बनाने का सामान, रॉकेट लॉन्चर और हथियार मिले हैं.  

बता दें पिछले दिनों गृह मंत्रालय ने नोटिफिकेशन जारी करते हुए एजेंसियों को कंप्यूटर जांच करने का अधिकार दिया था. गृह मंत्रालय के इस नोटिफिकेशन पर विपक्ष में विरोध जताया था और इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया था. इसी मुद्दे पर जेटली ने विपक्ष से पूछा कि क्या बिना अधिकार के इस बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया जा सकता था. जेटली ने यूपीए पर सवाल दागते हुए अपने ट्विटर अकाउंट से लिखा कि क्या यूपीए सरकार के शासन में सबसे ज्यादा इंटरसेप्ट किए गए थे. यहां उन्होंने ओरवेल का जिक्र करते हुए मजाकिया लहजे में लिखा कि निश्चित तौर पर जॉर्ज ओरविल मई 2014 में पैदा नहीं हुए थे. 

इसके बाद जेटली ने दो टूक लिखा कि राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता सर्वोपरि है. एक मजबूत लोकतंत्र में ही जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता बची रहेगी. न कि आतंकवाद से प्रभावित देश में.      

बता दें कि विपक्षी दलों ने मोदी सरकार के कंप्यूटरों पर निगरानी के फैसले पर सवाल उठाते हुए इसे मौलिक अधिकारों के खिलाफ बताया था. कोर्ट में दाखिल की गई याचिका में नोटिफिकेशन को रद्द करने की अपील की गई है. याचिका के अनुसार केंद्र ने यह आदेश जारी कर आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनजर विपक्ष, सत्ता के खिलाफ बोलने वाले व सोचने वालों को चुप कराने की कोशिश की है. ये अघोषित इमरजेंसी है और आजाद भारत में नागरिकों को गुलाम बनाने जैसा है. सरकार को किसी भी ऐसे मामले में किसी नागरिक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने से रोका जाए, जिसमें उम्रकैद तक की सजा और दो लाख रुपए के जुर्माने तक का प्रावधान है. 

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