उन्नाव रेप पीड़िता के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट, दिल्ली महिला आयोग ने पीड़िता को कानूनी मदद का दिया भरोसा

उन्नाव रेप पीड़िता के खिलाफ उन्नाव अदालत द्वारा जारी गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट मामले में दिल्ली महिला आयोग ने पीड़िता को मदद का भरोसा दिया है. 

उन्नाव रेप पीड़िता के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट, दिल्ली महिला आयोग ने पीड़िता को कानूनी मदद का दिया भरोसा

उन्नाव पीड़िता ने आयोग से संपर्क किया था और कानूनी सहायता प्रदान करने का अनुरोध किया था

नई दिल्ली:

उन्नाव रेप पीड़िता के खिलाफ उन्नाव अदालत द्वारा जारी गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट मामले में दिल्ली महिला आयोग ने पीड़िता को मदद का भरोसा दिया है. पीड़िता ने स्वाती मालीवाल से इस मामले में मदद मांगी थी. पूरे मामले पर स्वाती मालीवाल ने ट्वीट किया है कि उन्नाव रेप पीड़िता के खिलाफ अब एक आरोपी ने ही यूपी से एक अरेस्ट वारंट जारी करवा दिया है। कुलदीप सेंगर पहले से ही मामले में दोषी करार है. हम चाहते हैं कि ये मामला दिल्ली के कोर्ट में ट्रांसफर हो, लड़की उन्नाव में सुरक्षित नहीं है. कोर्ट जा रहे हैं, लड़की को हर संभव मदद करेंगे.

पीड़िता ने कानूनी मदद के लिए आयोग का दरवाजा खटखटाया था. क्योंकि उसके खिलाफ उन्नाव की एक निचली अदालत ने गैर जमानती वारंट जारी किया है. दिसंबर 2018 में, उन्नाव में शिकायतकर्ता हरिपाल सिंह के कहने पर पीड़िता के स्कूल छोड़ने के प्रमाण पत्र के संबंध में पीड़िता, उसकी मां और चाचा के खिलाफ जालसाजी, धोखाधड़ी आदि के लिए प्राथमिकी दर्ज की गई थी. हरिपाल सिंह शुभम सिंह का पिता है, जिस पर 11 जून 2017 को पीड़िता के अपहरण और बलात्कार का आरोप है, और वर्तमान में दिल्ली में पीड़िता के सामूहिक बलात्कार के लिए उस पर मुकदमा चलाया जा रहा है. शिकायतकर्ता हरिपाल सिंह द्वारा आरोप लगाया गया है कि पीड़िता के 'फर्जी स्कूल ट्रांसफर सर्टिफिकेट' के आधार पर उसके बेटे, उसकी पत्नी और कुलदीप सेंगर के खिलाफ झूठा मामला दर्ज किया गया था.

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दिल्ली महिला आयोग ने मामले में वरिष्ठ वकील वृंदा ग्रोवर से कानूनी सहायता मांगी है. वृंदा ग्रोवर जी की देखरेख में गैर जमानती वारंट की वापसी  के लिए आवेदन के साथ ही मामले में पीड़िता के वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश होने के लिए आवेदन किया जा रहा है . मामला उन्नाव में वकील अजय गौतम द्वारा लड़ा जा रहा है. इसके अलावा, मामले को उन्नाव से दिल्ली स्थानांतरित करने के लिए मामले को सुप्रीम कोर्ट में दायर करने का प्रयास किया जा रहा है.