सरकार के दबाव में 'अग्निपथ' के खिलाफ खुलकर नहीं बोल रहे सेनाधिकारी : परमवीर चक्र विजेता ऑनररी कैप्टन योगेन्द्र सिंह यादव

मोदी सरकार की नई सेना भर्ती योजना  "अग्निपथ"  के बारे में एनडीटीवी ने परमवीर चक्र विजेता ऑनररी कैप्टन योगेन्द्र सिंह यादव से  Exclusive बातचीत की. यादव ने इस मुद्दे पर बड़ी बेबाकी से अपनी राय रखी.  पेश हैं बातचीत के कुछ खास अंश...

नई दिल्ली:

मोदी सरकार (Modi government) की नई सेना भर्ती योजना "अग्निपथ" (Agnipath) को लेकर परमवीर चक्र विजेता ऑनररी कैप्टन योगेन्द्र सिंह यादव ने कहा कि सेना को जवानों के साथ ही यंग ऑफिसरों की भी जरूरत है. ऐसे में सेना के अधिकारियों का कार्यकाल भी 4 साल निर्धारित कर देना चाहिए. यहां पढ़े विस्तृत सवाल और उनके जवाब...

सवाल: अग्निपथ को लेकर लोग सेना और सरकार दोनों की बहुत तारीफ कर रहे हैं. इस पर आप क्या कहेंगे? 

जवाब : बिल्कुल, यह सरकार की तो यह योजना है तो जाहिर सी बात है वो तारीफ करेंगे और जो सैन्य अधिकारी हैं, वर्दीधारी हैं, कहीं ना कहीं उनके दबाव में आकर खुलकर नहीं बोल पा रहे हैं. लेकिन सबके दिल के अंदर दर्द है, जिसको महसूस कर पा रहे हैं. 

सवाल: क्या यह योजना सेना को और मजबूत बनाएगी? इससे सेना और जवान हो रही है

जवाब: अब से 1947 से लेकर 1999 तक जो हमारे युद्ध लड़े गए हैं, उसमें जो सेना होती है वह दुश्मनों को मारने के लिए होती है ना कि वह मरने के लिए. सारे युद्ध का मूल्यांकन करेंगे तो पाएंगे कि युद्ध में यंग होने से कहीं ज्यादा जरूरत अनुभव की होती है. अभी हाल ही में करगिल युद्ध के बाद एक कमेटी बैठी थी कि इतने यंग अफसर कैसे मारे गए? यंग अफसर जो होते हैं उनके पास जो जोश जुनून होता है उनके पास अनुभव नहीं होता. आज हम अपनी सेना को कहीं ना कहीं अनुभवहीन बना रहे हैं. इससे भविष्य में सेना कमजोर होगी.

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सवाल: लेकिन सरकार का कहना है कि इससे अनुभव और जोश का मिलाप हो रहा है. आप सोचते हैं?  

जवाब: अनुभव और जोश का मिलान कैसे हो रहा है, मुझे भी बताइए. अग्निवीर जब सेना की क.. ख..ग समझ पाएगा तक को वापस चला जाएगा. इससे सेना और देश के लिए क्या फायदा होगा. अग्निवीरों को रिटायरमेंच के बाद गार्ड में भर्ती करने की बात हो रही है तो क्या राष्ट्र का रक्षक अग्निवीर इसलिए बनाया जा रहा है कि वह गार्ड बने. इससे बड़ा देश का दुर्भाग्य और क्या होगा.

सवाल: चार साल की नौकरी के बाद 25 फीसदी जवानों को परमानेंट किया जाएगा. 75 फ़ीसदी के लिए बाहर नौकरी की कोशिश की जा रही है. इसका क्या मतलब है?

जवाब: ढाई साल से सेना में भर्ती नहीं हुई है. हर साल एक से सवा लाख पेंशन आ जाता है कोई अपनी सैन्य सेवा पूरा करके आ रहा है. कोई वीआरएस लेकर आ रहा है, तो तीनों सेनाओं को मिलाकर करीब एक लाख 46000 पेंशन में आ जाते हैं. ढाई साल से जवानो की भर्ती बंद है ढाई. पौने तीन लाख पहले से डिफिशिएंसी हैं और फिर यह 45,000 भर्ती कर रहे हैं और इसमें से कितने जाएंगे साढे 12,000 जाएंगे और अगर अकेले थल सेना की बात करें तो 50,000 रिटायरमेंट हो जाता है तो सारे 12,500 जा रहे हैं तो फिर हर साल 37500 डिफिशिएंसी हो रही है. अगर मान लिया कि 1 साल के अंदर एक लाख में भर्ती की तो उसमें अंदर तो 25000 ही जाएंगे तो 25000 हर साल डिफिशिएंसी आएगी ना आने वाले और 10-15  सालों में सेना की संख्या आधी रह जाएगी. 

यह जो सेना में जा रहे हैं इन्फेंट्री वाले तो 6 महीने में राइफल चलाना तो सीख जाएंगे, लेकिन हमारे आर्म्ड सिग्नल, आर्टलरी, ईएमई उनके अंदर तो यह थोड़ा सा भी नहीं सीख पाएंगे और जो 25 प्रतिशत लिए जाएंगे वह कौन सा लिए जाएंगे जिनको कंपनी कमांडर या फिर सीओ साहब ने रिकमेंड किया है तो कौन से लोग आएंगे. 

सवाल: इस भर्ती प्रक्रिया में सब कुछ पारदर्शी होगा यह दावा किया जा रहा है. इस पर आपकी क्या राय है?  

जवाब:कैसे पारदर्शी होगी? आज जो फौज के हमारे स्तंभ हैं वह रेजिमेंट हैं और जिस तरह भर्ती हो रही है वह साफ है. या तो आप कहो कि रेजिमेंट नहीं रहेगी. अगर रेजिमेंट होंगे तो कास्ट और क्षेत्र के हिसाब से होंगे, तो वैसे ही भर्तियां होंगी और जब क्षेत्र और कास्ट के हिसाब से भर्ती होगी तो फिर भर्ती कौन करेगा. 

सवाल: रेजिमेंट सिस्टम रहेगा लेकिन आने वाली सेना की जरूरतों के लिए हैं सब किया जा रहा है?

जवाब:तकनीक आपके काम को आसान कर सकती है, लेकिन युद्ध में आप को जीत नहीं दिला सकती. युद्ध में जीत सैनिक का साहस, धैर्य और अनुभव दिलाता है. आपको याद होगा की 1987 में सियाचिन में पोस्ट था. कैद पोस्ट उसको कैप्टन बाना सिंह अनुभव प्लानिंग की वजह से ही वह कैद पोस्ट दोबारा मिला और आज बाना पोस्ट माना जाता है. उस समय भी एक लेफ्टिनेंट राजीव थे, उनकी बटालियन के यंगेस्ट थे और वह सफल नहीं हुए.

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सवाल: बड़े अफसर कह रहे हैं कि इसको लेकर उन्होंने बहुत स्टडी किया है. देश-विदेश हर जगह उसके बाद इस नतीजे पर पहुंचे हैं.

जवाब: स्टडी कर रहे हैं लेकिन कभी जवानों से बात की है, जो सिपाही में भर्ती होते हैं क्या सिपाही का लास्ट रैंक सुबेदार मेजर होता है. उनसे आपने बात की नहीं किया ना आपने आप बताएं जवानों के लिए ही 4 साल की 5 साल या 10 साल क्यों नहीं यह भी तो एक सवाल है. जैसे अफसर का एक सर्विस कमीशन होता है वह 10 साल के लिए 5 साल के लिए होता है. 5 साल बाद उसको एक्स सर्विसमैन का कोटा मिलता है. तमाम तरह की सुविधा मिलती हैं. इन जवानों के लिए वह चीज नहीं मिलनी चाहिए इनको 5 या 10 साल के लिए मौका दिया जा रहा. 

सवाल: अगर अग्निपथ योजना सेना के लिए अच्छी है तो फिर अफसरों के लिए क्यों नहीं है?

जवाब: अगर इतनी अच्छी है और 4 साल में हमारी फौज को यंगेस्ट अफसर भी मिलने चाहिए यह स्कीम अफसर के लिए भी लाना चाहिए. पुराने जो रिटायर्ड जनरल हैं और चीफ साहेब साफ हैं मैं उनसे रिक्वेस्ट करता हूं कि यह योजना जवानों के लिए 4 साल क्यों, अफसरों के लिए क्यों नहीं है. या तो जवानों के लिए भी दस साल कीजिए या फिर अफसर के लिए भी 4 साल कीजिए. वैसे भी छोटे स्तर पर अफसर की कमी है डिफिशिएंसी है वह भी पूरी हो जाएगी.

सवाल: सरकार का कहना है कि बहुत सारी सुविधा मिलेंगी, पे अलाउंस मिलेगा, शहीद होने वाले परिवार को एक करोड़ मिलेगा.

जवाब: देखिए यह एक फिक्स राशि दे रहे हैं, जैसे एक फैक्ट्री के अंदर मिलती है. सेना कोई फैक्ट्री नहीं है या 30000 का पैकेज दे रहे हैं, जिसमें डीए और अलाउंस नहीं मिलेगा. 

सवाल: वह तो कह रहे हैं कि सियाचिन में जो आम जवान को अलाउंस मिलता है वह इनको ही मिलेगा

जवाब:अलाउंस तो दे रहे हैं. एक शहीद के परिवार को दे रहे हैं. इतने भर से उसका परिवार का काम चल जाएगा. अगर उसकी शादी हो गई होगी बीवी और उसके बच्चे का काम हो जाएगा. इतने से गुजर बसर कर लेगा उसको पेंशन का प्रावधान क्यों नहीं दिया. जब हमारे अफसर शहीद जाते हैं शॉर्ट सर्विस कमिशन वाला उसके परिवार वाले को शहीद होने पर पेंशन दिया जाता है.

सवाल: तो आपको लग रहा है कि सेना में अफसर और जवान में भेदभाव हो रहा है. क्या अफसर में लागू नहीं कर रहे हैं और जवान में कर रहे हैं.

जवाब: यह तो बिल्कुल स्पष्ट भेदभाव होता चला जा रहा है. दरारें फटती हुई चली जा रही हैं. एक एमएसपी की बात करते थे ना मिलिट्री सर्विस पे जो फौज के अंदर सेवा करता है उसके लिए यह अलाउंस है. उसमें 5200 जवानों का है और अफसर का 15000 है. इस खाई को बढ़ाते क्यों जा रहे हैं, क्यों कम नहीं करते हैं. क्या हम हिंदुस्तानी नहीं है.

सवाल: आपको लगता है कि 4 साल के आज की ठीक नहीं है और फैक्टरी की बात कर रहे हैं थे

जवाब: बिल्कुल यह तो एक फैक्ट्री जैसा स्कीम है एकमुश्त राशि है 30,000 मिलेगा 9000 कट जाएगा चार साल के बाद वापस जाएंगे, तो 10 -12 लाख मिल जाएंगे. इसके बाद कोई पक्का भविष्य नहीं है कि आपको लिया जाएगा 1- 2 सरकारें आकर बोल रही हैं. अग्नि वीरों को लेंगे लेकिन कोई अगली ब्यूरो को नहीं लेता आप ही देख लीजिए प्रत्यक्ष को प्रमाण की जरूरत नहीं है. 5th पे कमिशन 6th पे कमिशन सेवंथ पे कमिशन लिखित में है की 15,18 साल वापस आते हैं उनको प्राथमिकता में सरकार नौकरी देगी लेकिन कहां लिया जाता है राज्य सरकार ने कर रखा है 1-2-5 फीसदी यह भी उन्हीं को मिलता है जो तकनीकी होते हैं जनरल ड्यूटी वाले को हां मिल पाता है क्योंकि उसके पास योग्यता सिर्फ राइफल चलाने की होती है वह इसके अलावा कुछ भी नहीं कर पाता है.

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सवाल: अंतिम सवाल जब भी अच्छी बात नहीं है तो फिर सेना और सरकार इसे क्यों लेकर आई है और जो कह रही है कि विरोध कीजिएगा उसके लिए अग्निवीर के रास्ते बंद हो जाएंगे.

जवाब: यह तो एक तानाशाही है. अगर विरोध करेंगे तो आपके ऊपर हम केस डाल देंगे. यह तो जीवन बर्बाद करने वाली बात है. यह नौजवानों का देश है और नौजवान इस देश की ताकत हैं और अगर नौजवानों का भविष्य अंधकार में डाला तो याद रखिए इस राष्ट्र का भविष्य भी अंधकार में चला जाएगा.

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सवाल: तो आपको लगता है कि इसकी कीमत पूरे देश को चुकानी पड़ेगी
जवाब: इसकी कीमत तो पूरे देश को चुकानी पड़ेगी. आज एक्सपेरिमेंट करने के लिए सेना नहीं है. भाई ऐसा नहीं है कि आप कोई भी प्रयोग कर लो, करने के लिए बहुत सारी संस्थाएं हैं वहां पर कर लो यहां पर नहीं.