लद्दाख के गलवान घाटी (Ladakh's Galwan Valley) में चीनी सेना के साथ हुई हिंसक झड़प के बाद सेना ने LAC (वास्तविक नियंत्रण रेखा) पर होने वाले ऐसे टकरावों के मद्देनजर नियमों में बदलाव किया है. नियम बदले जाने के बाद फील्ड कमांडर ही 'असाधारण' परिस्थितियों में आग्नेयास्त्रों के उपयोग को मंजूरी दे सकेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले भी कहा था कि सेना को जमीनी स्थिति से निपटने के लिए पूरी छूट दी गई है.
दोनों सेनाओं के बीच 1996 और 2005 में हुए समझौते के प्रावधानों के अनुसार टकराव के दौरान आग्नेयास्त्रों का इस्तेमाल नहीं करने पर सहमति बनी थी. उस समय दोनों देशों ने एलएसी के दोनों ओर दो किलोमीटर के भीतर विस्फोटकों या आग्नेयास्त्रों का उपयोग नहीं करने पर भी सहमति व्यक्त की थी. दशकों पुराने नियमों में बदलाव पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के एक हफ्ते से भी कम समय के बाद हुआ है, जिसमें 20 भारतीय जवानों की जान चली गई थी.
सेना ने हाल ही में बताया था कि गलवान घाटी (Galwan Valley) में चीनी सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प में भारतीय सेना का कोई भी जवान अब गंभीर रूप से घायल नहीं है और सबकी हालत स्थिर है. सेना के अधिकारियों ने बताया था, 'हमारे सभी जवानों की हालत ठीक है और कोई भी सैनिक गंभीर नहीं है. लेह के अस्पताल में हमारे 18 जवान हैं और वह 15 दिन के भीतर ही ड्यूटी ज्वाइन कर लेंगे. इसके अलावा 56 जवान दूसरे अस्पतालों में हैं, जो मामूली तौर पर घायल हैं और वह एक हफ्ते भर के भीतर ही ड्यूटी पर लौट आएंगे.
बता दें कि 15 जून की शाम को बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल संतोष बाबू ने चीन के कमांडिंग ऑफिसर से समझौते का पालन करने को कहा और गलवान नदी के पास जगह को खाली करने को कहा. इस पर चीनी सेना का बर्ताव बहुत ही आक्रामक था. उन्होंने फौरन भारी संख्या में हमला बोल दिया और पत्थरबाजी शुरू कर दी और आयरन रॉड से मारना शुरू कर दिया. इस दौरान चीनी सैनिकों के डंडे पर बंधे कटीली तारों का भी इस्तेमाल किया, जिसमें कर्नल समेत सेना के 20 जवानों की जान चली गई.
चीन के कितने सैनिक मारे गए या घायल हुए इसकी जानकारी न तो सेना ने दी और न ही सरकार ने. हालांकि NDTV को सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस दौरान चीन के करीब 45 सैनिक भी मारे गए.
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