केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरेन रिजीजू 450 करोड़ रुपये के घोटाले के आरोप का सामना कर रहे हैं
नई दिल्ली:
कांग्रेस ने अरुणाचल प्रदेश में एक बिजली परियोजना से जुड़ा बिल पास करने के लिए बिजली मंत्रालय को प्रभावित करने के आरोप से घिरे केंद्रीय मंत्री किरण रिजीजू का दावा है कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया. रिजीजू ने एनडीटीवी से बात करते हुए पारिवारिक घोटाले के आरोपों को नकारते हुए उसे विपक्ष की साजिश बताया. अपना बचाव करते हुए ऑडियों के संबंध में उन्होंने कहा कि कोई भी "भैया" हो सकता है.
(पढ़ें : 450 करोड़ घोटाले के आरोप पर केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरेन रिजीजू ने कहा- 'जूतों से लिया जाएगा बदला')
इससे पहले कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके आरोप लगाया कि रिजीजू के रिश्तेदार, जो 600 मेगावाट की बिजली परियोजना में ठेकेदार रहा है, की कथित बातचीत का एक ऑडियो टेप और रिजीजू के उस पत्र को जारी किया जिसमें केंद्रीय मंत्री ने भुगतान जारी करने की सिफारिश की थी. उन्होंने आरोप लगाया कि यह गलत और बढ़ा-चढ़ाकर तैयार किए गए परिवहन बिलों के रूप में 450 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है.
किरेन रिजीजू के संसदीय सीट में हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट के तहत दो बांधों के निर्माण हो रहा है. इसका निर्माण सार्वजनिक उद्यम नार्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पॉवर कॉरपोरेशन (एनईईपीसीओ) द्वारा किया जा रहा है. इस कंपनी के मुख्य सतर्कता अधिकारी (सीवीओ) सतीश वर्मा ने अपनी 129 पेज की रिपोर्ट में गोबोई रिजीजू, कंपनी के चेयरमैन, मैनेजिंग डाइरेक्टर समेत कई शीर्ष अधिकारियों की भूमिका पर सवाल खड़े किए.
घोटाले में मुख्य रूप से यह बात निकलकर आई कि बांध के निर्माण के लिए बोल्डर को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के नाम पर कांट्रैक्टर ने फर्जी और बढ़ा-चढ़ाकर बिलों को पेश किया. इसमें मुख्य रूप से पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड (पीईएल) के तमाम बिल फर्जी पाए गए. इस कांट्रैक्टर फर्म से गोबोई रिजीजू भी सब-कांट्रैक्टर के रूप में जुड़े थे.
वर्मा द्वारा प्रोजेक्ट हेड को अनियमितता की रिपोर्ट दिए जाने के बाद पिछले साल मई और जुलाई के इन बिलों की पेमेंट एनईईपीसीओ द्वारा रोक दी गई. उसके बाद नवंबर 2015 में किरेन रिजीजू ने ऊर्जा मंत्रालय को खत लिखकर पेमेंट रिलीज करने का आग्रह किया और उनके कजिन गोबोई रिजीजू ने वर्मा से मुलाकात की. नतीजतन कुछ पेमेंट रिलीज की गई.
कांग्रेस का कहना है कि रिजीजू ने अपने पत्र में इस बात का खुलासा नहीं किया कि कांट्रैक्टर फर्म से गोबोई रिजीजू भी सब-कांट्रैक्टर के रूप में जुड़े थे. वहीं, रिजीजू का कहना है, "वह मेरा सगा संबंधी नहीं है." जनजातीय समुदाय और गांव में 'हर कोई एक दूसरे का संबंधी होता है." विपक्ष के आरोपों को नकारते हुए उन्होंने दावा किया कि कोई भी भैया हो सकता है. हम सब उसी गांव से हैं. बस इतनी सी बात है."
(पढ़ें : 450 करोड़ घोटाले के आरोप पर केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरेन रिजीजू ने कहा- 'जूतों से लिया जाएगा बदला')
इससे पहले कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके आरोप लगाया कि रिजीजू के रिश्तेदार, जो 600 मेगावाट की बिजली परियोजना में ठेकेदार रहा है, की कथित बातचीत का एक ऑडियो टेप और रिजीजू के उस पत्र को जारी किया जिसमें केंद्रीय मंत्री ने भुगतान जारी करने की सिफारिश की थी. उन्होंने आरोप लगाया कि यह गलत और बढ़ा-चढ़ाकर तैयार किए गए परिवहन बिलों के रूप में 450 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है.
किरेन रिजीजू के संसदीय सीट में हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट के तहत दो बांधों के निर्माण हो रहा है. इसका निर्माण सार्वजनिक उद्यम नार्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पॉवर कॉरपोरेशन (एनईईपीसीओ) द्वारा किया जा रहा है. इस कंपनी के मुख्य सतर्कता अधिकारी (सीवीओ) सतीश वर्मा ने अपनी 129 पेज की रिपोर्ट में गोबोई रिजीजू, कंपनी के चेयरमैन, मैनेजिंग डाइरेक्टर समेत कई शीर्ष अधिकारियों की भूमिका पर सवाल खड़े किए.
घोटाले में मुख्य रूप से यह बात निकलकर आई कि बांध के निर्माण के लिए बोल्डर को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के नाम पर कांट्रैक्टर ने फर्जी और बढ़ा-चढ़ाकर बिलों को पेश किया. इसमें मुख्य रूप से पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड (पीईएल) के तमाम बिल फर्जी पाए गए. इस कांट्रैक्टर फर्म से गोबोई रिजीजू भी सब-कांट्रैक्टर के रूप में जुड़े थे.
वर्मा द्वारा प्रोजेक्ट हेड को अनियमितता की रिपोर्ट दिए जाने के बाद पिछले साल मई और जुलाई के इन बिलों की पेमेंट एनईईपीसीओ द्वारा रोक दी गई. उसके बाद नवंबर 2015 में किरेन रिजीजू ने ऊर्जा मंत्रालय को खत लिखकर पेमेंट रिलीज करने का आग्रह किया और उनके कजिन गोबोई रिजीजू ने वर्मा से मुलाकात की. नतीजतन कुछ पेमेंट रिलीज की गई.
कांग्रेस का कहना है कि रिजीजू ने अपने पत्र में इस बात का खुलासा नहीं किया कि कांट्रैक्टर फर्म से गोबोई रिजीजू भी सब-कांट्रैक्टर के रूप में जुड़े थे. वहीं, रिजीजू का कहना है, "वह मेरा सगा संबंधी नहीं है." जनजातीय समुदाय और गांव में 'हर कोई एक दूसरे का संबंधी होता है." विपक्ष के आरोपों को नकारते हुए उन्होंने दावा किया कि कोई भी भैया हो सकता है. हम सब उसी गांव से हैं. बस इतनी सी बात है."
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