नई दिल्ली:
रक्षा मंत्री एके एंटनी ने सोमवार को सेना से कहा कि सैन्य खरीदारी की प्रक्रिया ऐसी हो ताकि किसी गड़बड़ी की स्थिति में जवाबदेही तय की जा सके।
यह बात एंटनी ने साउथ ब्लाक में सेना के मुख्य अधिग्रहण प्रस्तावों को अंतिम रूप देने के लिए आयोजित एक बैठक में जनरल वीके सिंह के नेतृत्व वाले सैन्य अधिकारियों के दल से कही।
सेवानिवृत्त अधिकारी द्वारा रिश्वत की पेशकश और प्रधानमंत्री को लिखे गोपनीय पत्र के लीक होने को लेकर बढ़ी दूरियों के बाद पहली बार एंटनी और जनरल सिंह आमने-सामने हुए हैं।
यह बैठक पिछले वर्ष सितम्बर और फिर जनवरी में हुई समीक्षा बैठकों की अगली कड़ी थी।
रक्षा मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने यहां कहा, "बैठक में एंटनी ने सेना को निर्देश दिया कि अधिग्रहण प्रक्रिया इस तरीके की हो कि किसी गड़बड़ी की स्थिति में जवाबदेही तय की जा सके।"
एंटनी ने रक्षा मंत्रालय और सेना के अधिकारियों से यह भी कहा कि तकनीकी मूल्यांकनों और परीक्षणों के लिए कम समय रखने की सम्भावना तलाशी जाए।
ऐसा देखा गया है कि सेना और रक्षा मंत्रालय किसी प्रमुख उपकरण की खरीदी प्रक्रिया पूरी करने में लगभग सात वर्ष लगाते हैं।
एंटनी ने कहा कि यदि सैन्य मुख्यालय को अधिक वित्तीय अधिकार देने से सेना के लिए उपकरणों, प्लेटफार्मो और प्रणालियों के अधिग्रहण में तेजी आ सकती है, तो वे इसका समर्थन करेंगे।
मौजूदा समय में सेना के वाइस चीफ 50 करोड़ रुपये या इससे कम धनराशि के रक्षा करारों को मंजूरी दे सकते हैं।
इसके अलावा रक्षा अधिग्रहण को मंजूरी देने के अधिकार रक्षा सचिव, रक्षा मंत्री तथा रक्षा मंत्रालय के पास हैं। रक्षा सचिव 75 करोड़ रुपये के करार को मंजूरी दे सकते हैं, रक्षा मंत्री 500 करोड़ रुपये के करार को मंजूरी दे सकते हैं, और रक्षा मंत्रालय वित्त मंत्री की सहमति से 1,000 करोड़ रुपये के करार को मंजूरी दे सकता है।
बैठक में रक्षा सचिव शशिकांत शर्मा, महानिदेशक (अधिग्रहण) विवेक राय और सेना के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
सेना के लम्बित प्रमुख अधिग्रहणों में 20,000 करोड़ रुपये कीमत की तोपें शामिल हैं, जो पुरानी तोपों व हवाई रक्षा हथियारों का स्थान लेंगी।
यह बात एंटनी ने साउथ ब्लाक में सेना के मुख्य अधिग्रहण प्रस्तावों को अंतिम रूप देने के लिए आयोजित एक बैठक में जनरल वीके सिंह के नेतृत्व वाले सैन्य अधिकारियों के दल से कही।
सेवानिवृत्त अधिकारी द्वारा रिश्वत की पेशकश और प्रधानमंत्री को लिखे गोपनीय पत्र के लीक होने को लेकर बढ़ी दूरियों के बाद पहली बार एंटनी और जनरल सिंह आमने-सामने हुए हैं।
यह बैठक पिछले वर्ष सितम्बर और फिर जनवरी में हुई समीक्षा बैठकों की अगली कड़ी थी।
रक्षा मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने यहां कहा, "बैठक में एंटनी ने सेना को निर्देश दिया कि अधिग्रहण प्रक्रिया इस तरीके की हो कि किसी गड़बड़ी की स्थिति में जवाबदेही तय की जा सके।"
एंटनी ने रक्षा मंत्रालय और सेना के अधिकारियों से यह भी कहा कि तकनीकी मूल्यांकनों और परीक्षणों के लिए कम समय रखने की सम्भावना तलाशी जाए।
ऐसा देखा गया है कि सेना और रक्षा मंत्रालय किसी प्रमुख उपकरण की खरीदी प्रक्रिया पूरी करने में लगभग सात वर्ष लगाते हैं।
एंटनी ने कहा कि यदि सैन्य मुख्यालय को अधिक वित्तीय अधिकार देने से सेना के लिए उपकरणों, प्लेटफार्मो और प्रणालियों के अधिग्रहण में तेजी आ सकती है, तो वे इसका समर्थन करेंगे।
मौजूदा समय में सेना के वाइस चीफ 50 करोड़ रुपये या इससे कम धनराशि के रक्षा करारों को मंजूरी दे सकते हैं।
इसके अलावा रक्षा अधिग्रहण को मंजूरी देने के अधिकार रक्षा सचिव, रक्षा मंत्री तथा रक्षा मंत्रालय के पास हैं। रक्षा सचिव 75 करोड़ रुपये के करार को मंजूरी दे सकते हैं, रक्षा मंत्री 500 करोड़ रुपये के करार को मंजूरी दे सकते हैं, और रक्षा मंत्रालय वित्त मंत्री की सहमति से 1,000 करोड़ रुपये के करार को मंजूरी दे सकता है।
बैठक में रक्षा सचिव शशिकांत शर्मा, महानिदेशक (अधिग्रहण) विवेक राय और सेना के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
सेना के लम्बित प्रमुख अधिग्रहणों में 20,000 करोड़ रुपये कीमत की तोपें शामिल हैं, जो पुरानी तोपों व हवाई रक्षा हथियारों का स्थान लेंगी।