हैदराबाद:
दुनिया के सबसे बड़े मालवाहक हवाईजहाज (कार्गो एयरक्राफ्ट) एन्टोनोव एएन - 225 मृया (Antonov AN - 225 Mriya), जिसे 'ड्रीम' (Dream) भी कहा जाता है, ने हैदराबाद के राजीव गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर लैन्ड किया, जो इसकी लैंडिंग का भारत में पहला मौका है। यह जानकारी यूक्रेन की कंपनी के भागीदारों ने मुंबई में बुधवार को दी।
एक बयान में बताया गया है कि बहुत फैले हुए ढांचे वाले इस विमान को छह टर्बोफैन इंजनों की मदद से चलाया जाता है, और यह अब तक का सबसे लंबा और सबसे भारी विमान है, जो कुल मिलाकर 640 टन वज़न के साथ उड़ सकता है। बयान के मुताबिक, इसके पंखों का फैलाव दुनिया के किसी भी चालू विमान से ज़्यादा है।
खासतौर पर अंतर-महाद्वीपीय उड़ानों के लिए तैयार किया गया यह विमान 180-230 टन तक सामान उठाकर ले जा सकता है, और यह तुर्कमेनिस्तान से हैदराबाद पहुंचा।
गौरतलब है कि अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस डिफेन्स ने पिछले माह यूक्रेन की एन्टोनिक कंपनी से विमान के प्लेटफॉर्मों की असेम्बलिंग, उत्पादन, रखरखाव और सुधार के लिए करार भी कर लिया है, जो सैन्य तथा वाणिज्यिक उद्देश्यों से किया जाएगा।
एन्टोनोव के साथ मिलकर रिलायंस डिफेन्स अब एचएएल की 50-80 सीट वाले यात्री विमान कार्यक्रम सहित विभिन्न ज़रूरतों को पूरा करने की ओर ध्यान देगी, जिनमें मूलभूत कन्फिगरेशन तथा यातायात, समुद्री गश्त व अन्य सैन्य ज़रूरतें शामिल होंगी।
कहा जाता है कि भारत को 200 से भी ज़्यादा मध्यम दर्जे का वज़न उठाने में सक्षम टर्बोफैन विमानों की ज़रूरत होगी, जिनकी कीमत लगभग 35,000 करोड़ रुपये आंकी गई है। ये विमान वायुसेना, थलसेना तथा अर्द्धसैनिक बलों को सभी यातायात सुविधाएं देने के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं।
एक बयान में बताया गया है कि बहुत फैले हुए ढांचे वाले इस विमान को छह टर्बोफैन इंजनों की मदद से चलाया जाता है, और यह अब तक का सबसे लंबा और सबसे भारी विमान है, जो कुल मिलाकर 640 टन वज़न के साथ उड़ सकता है। बयान के मुताबिक, इसके पंखों का फैलाव दुनिया के किसी भी चालू विमान से ज़्यादा है।
खासतौर पर अंतर-महाद्वीपीय उड़ानों के लिए तैयार किया गया यह विमान 180-230 टन तक सामान उठाकर ले जा सकता है, और यह तुर्कमेनिस्तान से हैदराबाद पहुंचा।
गौरतलब है कि अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस डिफेन्स ने पिछले माह यूक्रेन की एन्टोनिक कंपनी से विमान के प्लेटफॉर्मों की असेम्बलिंग, उत्पादन, रखरखाव और सुधार के लिए करार भी कर लिया है, जो सैन्य तथा वाणिज्यिक उद्देश्यों से किया जाएगा।
एन्टोनोव के साथ मिलकर रिलायंस डिफेन्स अब एचएएल की 50-80 सीट वाले यात्री विमान कार्यक्रम सहित विभिन्न ज़रूरतों को पूरा करने की ओर ध्यान देगी, जिनमें मूलभूत कन्फिगरेशन तथा यातायात, समुद्री गश्त व अन्य सैन्य ज़रूरतें शामिल होंगी।
कहा जाता है कि भारत को 200 से भी ज़्यादा मध्यम दर्जे का वज़न उठाने में सक्षम टर्बोफैन विमानों की ज़रूरत होगी, जिनकी कीमत लगभग 35,000 करोड़ रुपये आंकी गई है। ये विमान वायुसेना, थलसेना तथा अर्द्धसैनिक बलों को सभी यातायात सुविधाएं देने के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं।
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