
Rafale deal: राफेल डील पर दसॉल्ट की सफाई
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राफेल पर दसॉ की सफाई.
राफेल सौदे को लेकर सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि फ्रांस में भी हलचल है.
दसॉल्ट ने कहा कि हमने बिना दवाब के रिलायंस को अपना पार्टनर चुना.
राफेल सौदे में नया खुलासा, दसॉल्ट के दस्तावेज में लिखा- रिलायंस की साझेदारी जरूरी : रिपोर्ट
मीडियापार्ट के दावे के बाद दसाल्ट की ओर से कहा गया है कि भारत और फ्रांस के सरकार के बीच यह समझौता हुआ है और बिना दवाब के दसॉल्ट ने रिलायंस को चुना. इतना ही नहीं, कई कंपनियों के साथ समझौता हुआ है. कंपनी ने कहा कि भारत और फ्रांस के बीच 36 रफ़ाल विमानों की ख़रीद की डील हुई है और भारत सरकार के नियमों के तहत समझौता है. कंपनी का दावा है कि क़ीमत का 50% भारत में ऑफ़सेट के लिए समझौता हुआ है. ऑफ़सेट के लिए भारतीय कंपनियों से समझौता हुआ है, जिनमें महिंद्रा, बीटीएसल, काइनेटिक आदि शामिल हैं.
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कंपनी का स्पष्टीकरण है कि उसने भारतीय नियमों (डिफेंस प्रॉक्यूरमेंट प्रोसीजर) और ऐसे सौदों की परंपरा के अनुसार किसी भारतीय कंपनी को ऑफसेट पार्टनर चुनने का वादा किया था. इसके लिए कंपनी ने जॉइंट-वेंचर बनाने का फैसला किया. दसॉल्ट कंपनी (दसॉ कंपनी) ने कहा है कि उसने रिलायंस ग्रुप को अपनी मर्जी से ऑफसेट पार्टनर चुना था और यह जॉइंट-वेंचर दसॉल्ट रिलायंस एयरोस्पेस लिमिटेड (DRAL) फरवरी 2017 में बनाया गया.
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कंपनी अपने बयान में कहती है कि रिलांयस के अलावा, बीटीएसएल, DEFSYS, काइनेटिक, महिंद्रा, मियानी, सैमटेल.. कंपनियों के साथ भी दूसरे समझौते किए गए हैं. वहीं, सैकड़ों संभावित साझेदारों के साथ अभी बातचीत जारी है.
मीडिया पार्ट के दावे के बाद दसाल्ट की ओर से कहा गया है कि भारत और फ्रांस के सरकार के बीच यह समझौता हुआ है और बिना दवाब के दसॉल्ट ने रिलायंस को चुना. इतना ही नहीं, कई कंपनियों के साथ समझौता हुआ है. कंपनी ने कहा कि भारत और फ्रांस के बीच 36 रफ़ाल विमानों की ख़रीद की डील हुई है और भारत सरकार के नियमों के तहत समझौता है. कंपनी का दावा है कि क़ीमत का 50% भारत में ऑफ़सेट के लिए समझौता हुआ है. ऑफ़सेट के लिए भारतीय कंपनियों से समझौता हुआ है, जिनमें महिंद्रा, बीटीएसल, काइनेटिक आदि शामिल हैं.

गौरतलब है कि पहले भी दसॉल्ट ने आधिकारिक बयान जारी कर कहा था राफेल सौदा दो सरकारों के बीच हुआ है. लेकिन नए खुलासे ने इस दावे पर सवाल खड़ा कर दिया है और एक तरह से यह ओलांद के दावे की पुष्टि करता है. इससे पहले मीडिया पार्ट को दिए इंटरव्यू में फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने खुलासा किया था कि किस तरह रिलायंस को पार्टनर बनाने के लिए फ्रांस की सरकार को भारत सरकार ने कहा था.
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मीडियापार्ट के अनुसार राफेल लड़ाकू विमान बनाने वाली कम्पनी दसॉल्ट के एक आंतरिक दस्तावेज के मुताबिक भारत से 36 राफेल विमान सौदे में अनिल अम्बानी की कंपनी रिलायंस डिफेंस को भारत में आफसेट पार्टनर बनाना आवश्यक था. मीडियापार्ट ने अपने लेख में कहा है कि दसॉल्ट के दस्तावेज में रिलायंस को आफसेट पार्टनर बनाने के लिए फ्रेंच शब्द 'contrepartie' का उपयोग किया. इस शब्द का अंग्रेजी में अर्थ "counterpart" है.
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NDTV ने दसॉल्ट से इस रिपोर्ट को लेकर संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उसकी तरफ से कोई रिस्पांस नहीं मिला. बता दें कि फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने पिछले महीने मीडियापार्ट को दिए एक साक्षात्कार में दावा किया था कि फ्रांस के पास कोई विकल्प नहीं था. भारत सरकार ने 59, 000 करोड़ रुपये का राफेल सौदा किया. विमान निर्माता दसॉल्ट ने स्पष्ट किया था कि रिलायंस डिफेंस के साथ साझेदारी करने का निर्णय स्वयं भारत का ही था.
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