विज्ञापन
Story ProgressBack
This Article is From Aug 24, 2018

एससी-एसटी अत्याचार संशोधित कानून के खिलाफ एक और याचिका दाखिल

कोर्ट के फैसले को निष्प्रभावी करने के लिए लाए गए संशोधित कानून को बराबरी, अभिव्यक्ति की आजादी और जीवन के मौलिक अधिकार के खिलाफ बताया

Read Time: 5 mins
एससी-एसटी अत्याचार संशोधित कानून के खिलाफ एक और याचिका दाखिल
सुप्रीम कोर्ट.
नई दिल्ली: एससी-एसटी अत्याचार कानून में तत्काल एफआईआर और तुरंत गिरफ्तारी बहाल करने वाले संशोधित कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दाखिल की गई है.

वकील संदीप लाम्बा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कोर्ट के फैसले को निष्प्रभावी करने के लिए लाए गए संशोधित कानून को बराबरी, अभिव्यक्ति की आजादी और जीवन के मौलिक अधिकार के खिलाफ बताते हुए रद्द करने की मांग की है.

इससे पहले एससी-एसटी संशोधन के नए कानून 2018 को लेकर वकील पृथ्वीराज चौहान और प्रिया शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के 20 मार्च के आदेश को लागू किया जाए. एससी-एसटी संशोधन के माध्यम से जोड़े गए नए कानून 2018 में नए प्रावधान 18 A के लागू होने से फिर दलितों को सताने के मामले में तत्काल गिरफ्तारी होगी और अग्रिम जमानत भी नहीं मिल पाएगी. याचिका में नए कानून को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की गई है.

यह भी पढ़ें : अमित शाह से मिले रामविलास पासवान, दलितों के खिलाफ अपराध पर अध्यादेश लाने की रखी मांग

एससी एसटी संशोधन कानून 2018 को लोकसभा और राज्यसभा ने पास कर दिया था और नोटिफिकेशन जारी हो चुका है. सुप्रीम कोर्ट ने गत 20 मार्च को दिए गए फैसले में एससी-एसटी कानून के दुरुपयोग पर चिंता जताते हुए दिशा निर्देश जारी किए थे.

यह भी पढ़ें : SC/ST एक्ट को लेकर रामविलास पासवान पर बरसे जीतन राम मांझी, कहा- सिर्फ श्रेय लेना चाहते हैं

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एससी-एसटी अत्याचार निरोधक कानून में शिकायत मिलने के बाद तुरंत मामला दर्ज नहीं होगा डीएसपी पहले शिकायत की प्रारंभिक जांच करके पता लगाएगा कि मामला झूठा या दुर्भावना से प्रेरित तो नहीं है. इसके अलावा इस कानून में एफआईआर दर्ज होने के बाद अभियुक्त को तुरंत गिरफ्तार नहीं किया जाएगा. सरकारी कर्मचारी की गिरफ्तारी से पहले सक्षम अधिकारी और सामान्य व्यक्ति की गिरफ्तारी से पहले एसएसपी की मंजूरी ली जाएगी. इतना ही नहीं कोर्ट ने अभियुक्त की अग्रिम जमानत का भी रास्ता खोल दिया था.

यह भी पढ़ें : सुप्रीम कोर्ट ने अगर SC/ST कानून को ‘हल्का’ किया, तो केन्द्र लाएगा अध्यादेश: पासवान

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद देशव्यापी विरोध हुआ था. जिसके बाद सरकार ने कानून को पूर्ववत रूप में लाने के लिए एससी-एसटी संशोधन बिल संसद में पेश किया था और दोनों सदनों से बिल पास होने के बाद इसे राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा गया था. राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद संशोधन कानून प्रभावी हो गया है. इस संशोधित कानून के जरिए एससी-एसटी अत्याचार निरोधक कानून में धारा 18 ए जोड़ी गई है जो कहती है कि इस कानून का उल्लंघन करने वाले के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच की जरूरत नहीं है और न ही जांच अधिकारी को गिरफ्तारी करने से पहले किसी से इजाजत लेने की जरूरत है.

यह भी पढ़ें : बिना चर्चा के अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण संशोधन बिल 2015 पारित

संशोधित कानून में यह भी कहा गया है कि इस कानून के तहत अपराध करने वाले आरोपी को अग्रिम जमानत के प्रावधान (सीआरपीसी धारा 438) का लाभ नहीं मिलेगा. यानि अग्रिम जमानत नहीं मिलेगी. संशोधित कानून में साफ कहा गया है कि इस कानून के उल्लंघन पर कानून में दी गई प्रक्रिया का ही पालन होगा और अग्रिम जमानत नहीं मिलेगी.

साफ है कि अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बिल्कुल उलट होगा. पूर्व की भांति इस कानून में शिकायत मिलते ही एफआईआर दर्ज होगी. अभियुक्त की गिरफ्तारी होगी और अभियुक्त को अग्रिम जमानत नहीं मिलेगी यानी जेल जाना होगा.

VIDEO : तुरंत नहीं होगी गिरफ्तारी

वैसे  फैसले के खिलाफ केन्द्र सरकार की पुनर्विचार याचिका अभी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. पुनर्विचार याचिका पर मुख्य फैसला देने वाली पीठ जस्टिस आदर्श कुमार गोयल व जस्टिस यूयू ललित की पीठ सुनवाई कर रही थी और इस पीठ ने फैसले पर अंतरिम रोक लगाने की सरकार की मांग ठुकरा दी थी. इस बीच जस्टिस गोयल सेवानिवृत हो चुके हैं. ऐसे में पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के लिए नई पीठ का गठन होना है. हालांकि नए कानून के बाद इसके मायने रह नहीं गए हैं.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Our Offerings: NDTV
  • मध्य प्रदेश
  • राजस्थान
  • इंडिया
  • मराठी
  • 24X7
Choose Your Destination
Previous Article
चक्रवात 'रेमल' का असर कब तक? मौसम विभाग ने क्यों दी बिहार को 5 दिन सावधान रहने की सलाह
एससी-एसटी अत्याचार संशोधित कानून के खिलाफ एक और याचिका दाखिल
क्‍या पीएम मोदी की भविष्‍यवाणी की ओर बढ़ रहा शेयर बाजार...!
Next Article
क्‍या पीएम मोदी की भविष्‍यवाणी की ओर बढ़ रहा शेयर बाजार...!
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com
;