सामाजिक कार्यकर्ता अण्णा हजारे भूमि अधिग्रहण कानून में केंद्र की ओर से किये गए संशोधनों के खिलाफ इस महीने के अंत में जंतर मंतर पर दो दिन का प्रदर्शन करेंगे। आंदोलन का किसानों से जुड़े कई संगठन और मेधा पाटकर सहित कई सामाजिक कार्यकर्ता समर्थन करेंगे।
हजारे के कार्यालय ने कहा, 23 फरवरी से शुरू होने वाला दो दिवसीय प्रदर्शन नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से भूमि अधिग्रहण कानून में किए गए किसान विरोधी संशोधनों के खिलाफ होगा। इसमें देशभर के किसान संगठन हिस्सा लेंगे। इस आंदोलन में मेधा पाटकर के भी हिस्सा लेने की उम्मीद है। हजारे 23 फरवरी सुबह राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली पहुंचेंगे। इससे पहले वह हरियाणा के पलवल जाएंगे और वहां किसानों के आंदोलन में हिस्सा लेंगे।
हजारे की आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल एवं पार्टी की राष्ट्रीय राजधानी की दिल्ली में भारी जीत के बाद दिल्ली की पहली यात्रा होगी। संयोग से आप ने भी भूमि अधिग्रहण कानून में किये गए संशोधनों का विरोध किया है।
आप के वरिष्ठ नेता कुमार विश्वास ने कहा, हम अन्नाजी के संघर्ष का समर्थन करेंगे। हम उनका सम्मान करते हैं। हम उनके रुख का समर्थन करते हैं और उनका आदेश हमारे लिए निर्देश है। उन्होंने कहा, यद्यपि उनका संघर्ष राजनीतिक पार्टियों से अलग है। इसके बावजूद मैं उनसे समय मांगूंगा और यदि वह मुझे समय देते हैं तो मैं उनसे निश्चित तौर पर मुलाकात करूंगा। मैं सभी से अनुरोध करता हूं कि वह इस संघर्ष का समर्थन करें।
भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के खिलाफ जंतर-मंतर पर अपने विरोध प्रदर्शन से पहले प्रख्यात समाजसेवी अण्णा हजारे ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए कहा कि वह उद्योगपतियों के लिए तो सोच रहे हैं, लेकिन किसानों और गरीबों के लिए नहीं।
मोदी पर निशाना साधते हुए अन्ना ने कहा कि उनके सत्ता में आने के बाद से ‘‘सिर्फ उद्योगपतियों के अच्छे दिन आए’’ हैं। उन्होंने दावा किया कि इन नीतियों का पालन करने से भारत का भविष्य उज्ज्वल नहीं रहेगा ।
गौरतलब है कि लोकसभा चुनावों के दौरान ‘‘अच्छे दिन’’ का नारा भाजपा की प्रचार थीम था ।
पिछली यूपीए सरकार के दौरान भ्रष्टाचार-विरोधी आंदोलन कर चुके अण्णा ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तारीफ की और उम्मीद जताई कि उनके पूर्व सहयोगी राजधानी को एक ‘आदर्श शहर’ बनाने की उनकी कुछ योजनाएं लागू करेंगे ।
अण्णा ने एक न्यूज चैनल से बातचीत में कहा, मोदी जी उद्योगपतियों की बेहतरी के बारे में सोचते हैं, गरीबों एवं किसानों के लिए नहीं। उनके सत्ता में आने के बाद ऐसा लगा था कि ‘अच्छे दिन’ आएंगे, लेकिन ‘अच्छे दिन’ तो सिर्फ उद्योगपतियों के आए हैं।’’ उन्होंने यह भी कहा कि नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता में कमी आई है।
आगामी 23 और 24 फरवरी को अण्णा दिल्ली में किसान संगठनों के साथ मिलकर भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के विरोध में प्रदर्शन करने वाले हैं ।
अण्णा ने भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के उस प्रावधान का विरोध किया जिसमें कहा गया है कि किसानों की जमीन लेने से पहले उनकी सहमति लेने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार औद्योगिक घरानों के इशारे पर काम कर रही है।
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