
अंजुम जब चार साल की थी तब उसके पिता की हत्या हो गई थी
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अंजुम के पिता की मुज्जफरनगर में हार्डवेयर की दुकान थी
चार साल की उम्र में उठा अंजुम के सिर से पिता का साया
UPSC की पीसीएस जे-2016 की परीक्षा में पाई कामयाबी
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कोई 25 साल बीत गए उस बच्ची को अपने सपनों को पूरा करने में. अंजुम सैफी आज जज बनाने के दहलीज़ पर खड़ी है. उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की जुडिशल सेवा के लिए आयोजित परीक्षा में वह सफल रही.

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अंजुम सैफी ने बताया कि अपने वालिद के अरमानों को पूरा करने के लिए उसने कड़ी मेहनत की. पिता की मौत के बाद परिवार के सामने घर चलना काफी मुशील हो गया था. बड़े भाई ने कम उम्र में ही नौकरी शुरू कि और बाकि भाई-बहन के लिए सहारा बने. बड़े भाई दिलशाद अहमद बताते हैं कि अंजुम बचपन से ही पढ़ाई में काफी अच्छी है, लिहाज़ा घर की बाकि जरूरतों को पीछे रख कर उन्होंने बहन की पढ़ाई पर खास ध्यान दिया. जब भी घरवाले शादी की ज़िद करते बड़े भाई अपना फ़र्ज़ निभाते और और सबको समझते कि अंजुम का सपना कुछ और है.
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अंजुम सैफी ने मुज़फ्फरनगर के एक प्राईवेट स्कूल से पढ़ाई की, फिर सनातन धर्म इंटर कॉलेज से कॉमर्स में इंटरमीडिएट और चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की. अंजुम 2013 में भी इस परीक्षा में इंटरव्यू तक पहुंच चुकी थी. इस साल आखिरकर उसे 159 रैंक हासिल हुआ. अब करीब साल भर कि ट्रेनिंग कि बाद उसे जुडिशल सर्विस में काम करने का मौका मिलेगा. अंजुम ख़ासतौर पर देश की बेटियों के लिए काम करना चाहती है. एक अरमान ये भी है कि जो बेटियां आर्थिक रूप से कमजोर हैं वह उनके लिए सहारा बन सके तो यही पिता को सच्ची श्रद्धांजलि होगी.
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