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This Article is From Dec 23, 2020

वयस्क की अपनी मर्जी से शादी और धर्म परिवर्तन में दखल नहीं दे सकते : कलकत्ता हाईकोर्ट

19 साल की एक युवती ने एक दूसरे धर्म में शादी कर ली थी और फिर धर्म परिवर्तन कर लिया था. लड़की की पिता का आरोप है कि उसने दूसरों के प्रभाव आकर ऐसा किया है, जबकि लड़की इसका विरोध कर रही है.

वयस्क की अपनी मर्जी से शादी और धर्म परिवर्तन में दखल नहीं दे सकते : कलकत्ता हाईकोर्ट
शादी के बाद धर्म परिवर्तन के एक मामले पर हाईकोर्ट ने की टिप्पणी.

इस वक्त जब देश में शादी के बाद धर्म परिवर्तन (Conversion) को लेकर बहस छिड़ी हुई है. कलकत्ता हाईकोर्ट (Kolkata High Court) ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए टिप्पणी की है कि अगर कोई वयस्क लड़की अपनी पसंद से शादी और धर्म परिवर्तन करती है तो इसमें हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता. कोर्ट एक ऐसी याचिका पर सुनवाई कर रहा था कि जिसमें पिता ने दावा किया था कि उसकी बेटी को दूसरे धर्म के व्यक्ति से शादी करने के लिए गलत तरीके से प्रभावित किया गया है.

याचिकाकर्ता ने अपनी 19 वर्षीय बेटी के अपनी पसंद के एक व्यक्ति से शादी करने के खिलाफ अदालत में याचिका दायर कर शिकायत की थी कि उसकी बेटी ने मजिस्ट्रेट के सामने जो बयान दर्ज कराया है, वह हो सकता है कि ऐसे माहौल में दर्ज न कराया गया हो, जिसमें वह सहज महसूस कर रही हो. पिता के एफआईआर दर्ज कराए जाने के बाद पुलिस ने युवती को न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया था. युवती ने मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज कराते हुए कहा था कि उसने अपनी मर्जी से शादी की है.

न्यायमूर्ति संजीव बनर्जी और न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी की बेंच ने सोमवार को कहा, 'अगर कोई वयस्क अपनी पसंद से शादी करती है और धर्म परिवर्तन का फैसला करती है और अपने पिता के घर लौटने से इनकार कर देती है, तो ऐसे मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता.'

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पिता की शिकायत पर अदालत ने आदेश दिया कि युवती की तेहट्टा में वरिष्ठतम अतिरिक्त जिला न्यायाधीश से मुलाकात कराई जाए और इस बात का पूरा ख्याल रखा जाए कि उस पर कोई अनुचित दबाव न बनाया जाए. बेंच ने कहा कि अतिरिक्त जिला जज की स्पष्ट रिपोर्ट के बावजूद इस मामले में पिता संदेह जता रहे हैं. 

याचिकाकर्ता का पक्ष रख रही वकील सुष्मिता साहा दत्ता ने डिवीजन बेंच के सामने दावा किया कि जब युवती नदिया में जज के सामने पेश हुई थी तो उसका पति कोर्ट परिसर में ही मौजूद था.

बेंच ने आदेश दिया कि पिता के संदेहों को दूर करने के लिए युवती अतिरिक्त सरकारी वकील सईबल बापुली से 23 दिसंबर को उनके चैंबर में मिलेगी. बापुली मामले में राज्य का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. कोर्ट ने आदेश दिया है कि बयान दर्ज कराते वक्त कमरे में महिला के पति के साथ-साथ और कोई भी नहीं होगा. कोर्ट ने बापुली को 24 दिसंबर को फिर से सुनवाई के लिए बयान पर एक रिपोर्ट फाइल करने को कहा है.ॉॉ

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