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This Article is From Jan 26, 2023

'Fact-Check' विवाद के बीच केंद्र सरकार ने IT नियमों के मसौदे पर प्रतिक्रिया के लिए समय सीमा बढ़ाई

मंत्रालय की अधिसूचना में कहा गया है, "हितधारकों के आग्रह के मद्देनजर मंत्रालय ने इन संशोधन पर प्रतिक्रिया प्राप्त करने की अंतिम तिथि 20 फरवरी 2023 तक बढ़ाने का फैसला किया है. पिछली समय सीमा 25 जनवरी निर्धारित की गई थी."

'Fact-Check' विवाद के बीच केंद्र सरकार ने IT नियमों के मसौदे पर प्रतिक्रिया के लिए समय सीमा बढ़ाई
प्रतीकात्‍मक फोटो
नई दिल्‍ली:

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने आईटी (Intermediary Guidelines and Digital Media Ethics Code) नियम, 2021 के विवादास्पद मसौदा संशोधन पर प्रतिक्रिया के लिए समय सीमा बढ़ा दी है. मंत्रालय ने यह फैसला प्रेस एसोसिएशन और द एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया सहित शीर्ष मीडिया निकायों की ओर से इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव को पत्र लिखकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से उन समाचार या सूचनाएं, जिनकी पत्र सूचना ब्यूरो की फैक्ट चेकिंग यूनिट द्वारा "फर्जी" के रूप में पहचान की गई है, को हटाने के लिए IT नियमों में संशोधन की मांग के आग्रह के बाद लिया है. मंत्रालय की अधिसूचना में कहा गया है, "हितधारकों के आग्रह के मद्देनजर मंत्रालय ने इन संशोधन पर प्रतिक्रिया प्राप्त करने की अंतिम तिथि 20 फरवरी 2023 तक बढ़ाने का फैसला किया है. पिछली समय सीमा 25 जनवरी निर्धारित की गई थी. 

गौरतलब है कि ऑनलाइन गेमिंग से संबंधित मसौदा संशोधन पर फीडबैक के लिए समयसीमा नहीं बढ़ाई गई है, इसके लिए भी समयसीमा 25 जनवरी ही निर्धारित थी. प्रेस बॉडीज, मीडिया संगठनों और अन्य हितधारकों के साथ परामर्श शुरू करने के प्रस्तावित संशोधन को काफी आलोचना का सामना करना पड़ा था और इसे प्रेस की स्‍वतंत्रता को कम करने का प्रयास करार दिया गया था.

एडिटर्स गिल्‍ड ने बुधवार को एक पत्र में कहा था, "यह नई प्रक्रिया मूल रूप से स्वतंत्र प्रेस की आवाज दबाने का कार्य करती है. यह पीआईबी, या 'तथ्यों की जांच के लिए केंद्र सरकार द्वारा अधिकृत किसी अन्य एजेंसी' को व्यापक अधिकार देगी, ताकि ऑनलाइन बिचौलियों को उस सामग्री को हटाने के लिए मजबूर किया जा सके जिससे सरकार को समस्या हो सकती है." गिल्‍ड ने जोर देकर कहा कि प्रक्रियाओं की परवाह किए बिना, संशोधन अपने आप में एक अवैध कदम है क्योंकि PIB के पास किसी भी क्षमता में प्रेस का नियामक होने का कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है. इससे पहले, सरकार से मान्यता प्राप्त मीडियाकर्मियों के एक प्रतिनिधि निकाय प्रेस एसोसिएशन ने भी एक बयान में इसी तरह की चिंता जताई थी.

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