नई दिल्ली: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि देश के सभी सरकारी मेंटल हेल्थ केयर हॉस्पिटलों की हालत बहुत खराब है. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के प्रवक्ता जैमिनी कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि देश में 46 सरकारी मेंटल हेल्थ केयर इंस्टीट्यूशंस हैं. इनमें डॉक्टर, स्टाफ, दवाई, साफ-सफाई की कमी यहां देखी जा सकती है. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव से लेकर, संस्थान के निदेशक, चीफ सेक्रेटरी, डीजीपी को नोटिस भेजा है और छह हफ्तों की मोहलत दी है.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने पिछले 3-4 महीनों के दौरान मेंटल हेल्थ केयर सेंटरों की स्थिति का जायजा लिया. आयोग ने शुरुआत ग्वालियर के मेंटल हेल्थ केयर हॉस्पिटल का दौरा की की, फिर आगरा और रांची के हॉस्पिटल का भी दौरा किया. इस दौरान सब जगह हालात बहुत खराब दिखे. इसके बाद भी देश के जितने मेंटल हेल्थकेयर सेंटरों का दौरा किया गया, लगभग सभी के हालात ऐसे ही नजर आए.
साल 2017 के मेंटल हेल्थकेयर एक्ट के मुताबिक, मेंटल हेल्थकेयर सेंटरों में जो सुविधाएं दी जानी चाहिए, वो यहां नदारद दिखीं. यहां डॉक्टरों और स्टाफ की संख्या मरीजों के हिसाब से बेहद कम है. दवाई की भी यहां भारी कमी देखने को मिली. साफ-सफाई का भी इन सेंटरों में बुरा हाल दिखा. सुविधाओं के नाम पर इन सेंटरों में कुछ भी नहीं है. इन हेल्थ केयर सेंटरों में कुछ ऐसे लोग भी देखने को मिले, जो काफी पहले ठीक हो चुके हैं. इन लोगों को रिहैबिलिटेट नहीं किया जा रहा. इन लोगों को परिवार नहीं ले रहा, उनको तो प्रावधान हाफ वे होम का है एक्ट में..उसका इंतजाम भी नहीं किया गया.
मेंटल हेल्थकेयर एक्ट के हिसाब से रूल्स फ्रेम करके सेंट्रल अथॉरिटी बननी थी. ये भी नहीं किया गया. देश में कुल 46 सरकारी मेंटल हेल्थकेयर इंस्टीट्यूट हैं, सबकी स्थिति बहुत खराब है. सवाल उठता है कि स्वस्थ लोग हैं, वो वहां क्यों रह रहे हैं? क्या सरकार से मिलने वाले ग्रांट को हासिल करने के लिए क्या नंबर बढ़ाने के लिए ऐसा किया जा रहा है? ऐसे में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने एक्शन रिपोर्ट मांगी है.
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