विज्ञापन
This Article is From Aug 19, 2019

कश्मीर पर सरकार के फैसले की नोबेल विजेता अमर्त्य सेन ने की आलोचना, बोले- 'भारतीय के रूप में इस पर गर्व नहीं'

नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन (Amartya Sen) ने कश्मीर पर सरकार द्वारा उठाए गए कदक की कड़ी आलोचना की.

कश्मीर पर सरकार के फैसले की नोबेल विजेता अमर्त्य सेन ने की आलोचना, बोले- 'भारतीय के रूप में इस पर गर्व नहीं'
नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन.
नई दिल्ली:

नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन (Amartya Sen) ने कश्मीर पर सरकार द्वारा उठाए गए कदक की कड़ी आलोचना की. उन्होंने NDTV को दिए एक इंटरव्यू में सरकार के इस फैसले को न सिर्फ बहुसंख्यकवाद की हुकूमत बताया, बल्कि यह भी कहा कि यह सभी लोगों के लिए समान अधिकारों के खिलाफ भी है. मुझे नहीं लगता कि लोकतंत्र के बिना जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में कोई समाधान निकलेगा. कई स्तरों पर सरकार के फैसले में खामियों की ओर इशारा करते हुए, 85 वर्षीय अमर्त्य सेन (Amartya Sen) ने इंटरव्यू के दौरान कहा, 'एक भारतीय के रूप में इस बात पर गर्व नहीं कर सकता कि एक लोकतांत्रिक देश की हैसियत से तमाम उपलब्धियों के बावजूद हमने इस फैसले से अपनी प्रतिष्ठा खो दी है.' बता दें कि सरकार ने इस महीने की शुरुआत में जम्मू कश्मीर को मिले विशेष राज्य का दर्जा खत्म करते हुए उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटा था, जिसे कई राजनीतिक दलों और राजनेताओं का समर्थन हासिल हुआ था.

जम्मू-कश्मीर के हालात को लेकर NSA अजित डोभाल और IB चीफ से मिले गृहमंत्री अमित शाह

जम्मू कश्मीर पुनर्गठन बिल को कई प्रमुख विपक्षी दलों और बड़े नेताओं का समर्थन मिला था. यहां तक की कांग्रेस के एक धड़े ने भी जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त किए जाने की भूरी-भूरी प्रशंसा की है. विशेष दर्जा समाप्त किए जाने के बाद अब राज्य का दर्जा भारत के शेष राज्यों के बराबर हो गया है. इसका अर्थ यह है कि अब जम्मू-कश्मीर का अपना कोई संविधान, झंडा और अपनी कोई दंड संहिता नहीं होगी. साथ ही, अब राज्य को यह भी तय करने का अधिकार नहीं होगा कि घाटी में कौन जमीन खरीद सकता है और कौन नहीं. 

श्रीनगर में 190 स्कूल खुले, जानें- अनुच्छेद 370 हटने के दो हफ्ते बाद कैसे हैं घाटी में हालात

विषेष दर्जा खत्म होने के बाद दूसरे राज्यों के लोगों के द्वारा जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदने जैसी बातों को लेकर अमर्त्य सेन का कहना है कि वहां के लोगों को इस बारे में फैसला लेना चाहिए. उन्होंने कहा, इसका हक सिर्फ कश्मीरियों के पास ही होना चाहिए क्योंकि ये उनकी जमीन है.' नोबेल विजेता अर्थशास्त्री ने वहां से राजनेताओं को हाउस अरेस्ट किए जाने की भी आलोचना की. उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं लगता है कि आप वहां के लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाले नेताओं की आवाज सुने बिना न्याय कर पाएंगे. 

जम्मू-कश्मीर में लंबे समय तक शांति बहाल रखने के लिए सरकार ने तैयार किया यह 'ब्लूप्रिंट'

VIDEO: पटरी पर लौटता कश्मीर

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com