नई दिल्ली:
दिल्ली गैंगरेप मामले में फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में मंगलवार को चार अहम गवाहों के बयान दर्ज हो रहे हैं। गवाहों में पीड़िता का दोस्त, और हाई-वे पर सबसे पहले देखने वाले पेट्रोलिंग स्टाफ के तीन लोग भी शामिल हैं। पीड़िता का दोस्त आज व्हीलचेयर पर कोर्ट में बयान देने पहुंचा।
इन्हीं लोगों ने सबसे पहले पीड़ित लड़की और उसके दोस्त को देखा और पुलिस को सूचित किया था। पुलिस आज इस मामले में एक अनुपूरक चार्जशीट भी दाखिल कर सकती है जिसमें सिंगापुर के अस्पताल से लाई गई पॉस्टमॉर्टम रिपोर्ट भी होगी।
इससे पहले सोमवार को केंद्र सरकार ने आपराधिक कानून संशोधन अध्यादेश पर सफाई दी और कहा जस्टिस वर्मा कमेटी की सिफारिशों को नामंज़ूर नहीं किया गया है। कुछ विवादास्पद मुद्दों पर ज़रूर सबकी राय लेने की कोशिश होगी। इसमें किशोर अपराधियों की उम्र तय करने का मामला भी है।
सोमवार को सरकार के दो बड़े मंत्रियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। वित्तमंत्री पी चिदंबरम और सूचना−प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी साथ आए। चिदंबरम ने साफ़ कहा कि अध्यादेश में जस्टिस वर्मा की सिफ़ारिशें नामंज़ूर नहीं की गई हैं। कुछ पर मतभेद थे जिन्हें आगे बहस के लिए रोका गया है। सरकार ने साफ़ किया कि जुवेनाइल की उम्र घटाने पर वह अलग से विचार करेगी। शादी के भीतर बलात्कार की सज़ा पर भी बात होगी।
दरअसल, ये ज़्यादा मुकम्मिल कानून की तरफ़ एक क़दम है। लेकिन, पिछले ही सत्र में सरकार ने एक संशोधन बिल रखा था जो संसदीय कमेटी के पास है। सूत्रों के मुताबिक कमेटी के अध्यक्ष वेंकैया नायडू ने इस पर गृह सचिव और कानून सचिव को तलब भी किया। जाहिर है इस अध्यादेश पर विवाद बने हुए हैं। सरकार को और सफाई देनी पड़ सकती है।
इन्हीं लोगों ने सबसे पहले पीड़ित लड़की और उसके दोस्त को देखा और पुलिस को सूचित किया था। पुलिस आज इस मामले में एक अनुपूरक चार्जशीट भी दाखिल कर सकती है जिसमें सिंगापुर के अस्पताल से लाई गई पॉस्टमॉर्टम रिपोर्ट भी होगी।
इससे पहले सोमवार को केंद्र सरकार ने आपराधिक कानून संशोधन अध्यादेश पर सफाई दी और कहा जस्टिस वर्मा कमेटी की सिफारिशों को नामंज़ूर नहीं किया गया है। कुछ विवादास्पद मुद्दों पर ज़रूर सबकी राय लेने की कोशिश होगी। इसमें किशोर अपराधियों की उम्र तय करने का मामला भी है।
सोमवार को सरकार के दो बड़े मंत्रियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। वित्तमंत्री पी चिदंबरम और सूचना−प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी साथ आए। चिदंबरम ने साफ़ कहा कि अध्यादेश में जस्टिस वर्मा की सिफ़ारिशें नामंज़ूर नहीं की गई हैं। कुछ पर मतभेद थे जिन्हें आगे बहस के लिए रोका गया है। सरकार ने साफ़ किया कि जुवेनाइल की उम्र घटाने पर वह अलग से विचार करेगी। शादी के भीतर बलात्कार की सज़ा पर भी बात होगी।
दरअसल, ये ज़्यादा मुकम्मिल कानून की तरफ़ एक क़दम है। लेकिन, पिछले ही सत्र में सरकार ने एक संशोधन बिल रखा था जो संसदीय कमेटी के पास है। सूत्रों के मुताबिक कमेटी के अध्यक्ष वेंकैया नायडू ने इस पर गृह सचिव और कानून सचिव को तलब भी किया। जाहिर है इस अध्यादेश पर विवाद बने हुए हैं। सरकार को और सफाई देनी पड़ सकती है।
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