दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की कि राज्य सरकार को बिजली वितरण कंपनियों (डिस्काम) के साथ किए गए समझौतों को रद्द करने की अनुमति दी जाए। केजरीवाल का कहना है कि ये डिस्काम ऊंची दरों पर बिजली बेच रही हैं।
उन्होंने दिल्ली में संवाददाताओं से कहा, 'मैं प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप का आग्रह करता हूं क्योंकि इस (केंद्र) के पास समझौतों को रद्द करने का अधिकार है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अनेक बिजली कंपनियां 2.5 रुपये या तीन रुपये प्रति यूनिट पर बिजली उपलब्ध कराने को तैयार हैं।
केजरीवाल ने कहा कि यदि एक घंटे से ज्यादा समय तक बिजली कटौती होगी तो आपूर्ति करने वाली कंपनी पर जुर्माना लगाया जाएगा। देश के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) की एक प्रारंभिक रिपोर्ट ने आप सरकार के इस आरोप को और मजबूत किया है कि दिल्ली की बिजली वितरण कंपनियां अपने खाते में हेराफेरी करती हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि राजधानी की तीनों डिस्कॉम कंपनियों ने बढ़ा-चढ़ाकर घाटा दिखाया है।
आप द्वारा जारी ट्विटर संदेश के मुताबिक, मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से दिल्ली सरकार को सस्ते दर पर बिजली खरीदने की अनुमति देने का आग्रह किया और कहा कि सस्ते दर पर बिजली उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में बिजली दर ऊंची इसलिए है, क्योंकि आधी से अधिक बिजली प्रति यूनिट 5.50 रुपये की दर से खरीदी जा रही है।
उन्होंने कहा,‘ हम आधी बिजली 5.5 रुपये प्रति यूनिट पर क्यों खरीद रहे हैं जबकि अन्य कंपनियां इसे कहीं सस्ती दर पर उपलब्ध कराने का वादा कर रही हैं।' केजरीवाल ने कहा कि सरकार की बिजली कंपनियों से कोई दुश्मनी नहीं है और वह तो केवल सस्ती दर पर 24 घंटे बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करना चाहती है।
मुख्यमंत्री ने कहा, 'पिछली सरकार के कार्यकाल में बिजली आपूर्ति में घोटाले, रिश्वतखोरी व भ्रष्टाचार हुआ और सारा बोझ बिजली दर बढ़ाकर उपभोक्ताओं पर डाल दिया गया।' उन्होंने कहा कि अब किसी तरह की गड़बड़ी या भ्रष्टाचार नहीं है। उन्होंने बिजली वितरण कंपनियों से कहा कि वे विसंगति को दूर कर अपनी प्रणालियों को दुरुस्त करें। इसके साथ ही उन्होंने आश्वस्त किया कि सरकार उनके साथ काम करने को तैयार है।
मुख्यमंत्री ने कहा, 'मैं केंद्र सरकार और मोदी से आग्रह करता हूं कि वे हमें निजी कंपनियों से किए गए समझौते रद्द करने की अनुमति दें।' बिजली विवाद निपटान योजना पूर्वी दिल्ली के विनोद नगर में लागू की गई है। यह ऐसे लोगों के लिए है, जो अधिक बिल भेजे जाने, मीटर के साथ छेड़छाड़ किए जाने और अनधिकृत कनेक्शन जैसे विवादों में शामिल हैं।
एक महीने की इस योजना से करीब 2.5 लाख परिवारों को लाभ मिलेगा। केजरीवाल ने कहा, 'मेरे खयाल से इससे अच्छी योजना नहीं हो सकती। चाहे कितना भी पुराना विवाद हो, झुग्गीवासी 250 रुपये भुगतान कर विवाद निपटा सकते हैं।' उन्होंने डिस्कॉम कंपनियों से भी यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि उनके कर्मचारी अधिक बिल नहीं भेजा करें।
हालांकि उन्होंने यह चेतावनी भी दी कि अगर इन कंपनियों के काम में गड़बड़ी पाई गई तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, बिजली मंत्री सत्येंद्र जैन तथा दिल्ली की तीनों बिजली वितरण कंपनियों के अधिकारी भी यहां बिजली बिल विवाद निपटान योजना की शुरुआत के अवसर पर मौजूद थे।
उन्होंने दिल्ली में संवाददाताओं से कहा, 'मैं प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप का आग्रह करता हूं क्योंकि इस (केंद्र) के पास समझौतों को रद्द करने का अधिकार है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अनेक बिजली कंपनियां 2.5 रुपये या तीन रुपये प्रति यूनिट पर बिजली उपलब्ध कराने को तैयार हैं।
केजरीवाल ने कहा कि यदि एक घंटे से ज्यादा समय तक बिजली कटौती होगी तो आपूर्ति करने वाली कंपनी पर जुर्माना लगाया जाएगा। देश के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) की एक प्रारंभिक रिपोर्ट ने आप सरकार के इस आरोप को और मजबूत किया है कि दिल्ली की बिजली वितरण कंपनियां अपने खाते में हेराफेरी करती हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि राजधानी की तीनों डिस्कॉम कंपनियों ने बढ़ा-चढ़ाकर घाटा दिखाया है।
आप द्वारा जारी ट्विटर संदेश के मुताबिक, मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से दिल्ली सरकार को सस्ते दर पर बिजली खरीदने की अनुमति देने का आग्रह किया और कहा कि सस्ते दर पर बिजली उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में बिजली दर ऊंची इसलिए है, क्योंकि आधी से अधिक बिजली प्रति यूनिट 5.50 रुपये की दर से खरीदी जा रही है।
उन्होंने कहा,‘ हम आधी बिजली 5.5 रुपये प्रति यूनिट पर क्यों खरीद रहे हैं जबकि अन्य कंपनियां इसे कहीं सस्ती दर पर उपलब्ध कराने का वादा कर रही हैं।' केजरीवाल ने कहा कि सरकार की बिजली कंपनियों से कोई दुश्मनी नहीं है और वह तो केवल सस्ती दर पर 24 घंटे बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करना चाहती है।
मुख्यमंत्री ने कहा, 'पिछली सरकार के कार्यकाल में बिजली आपूर्ति में घोटाले, रिश्वतखोरी व भ्रष्टाचार हुआ और सारा बोझ बिजली दर बढ़ाकर उपभोक्ताओं पर डाल दिया गया।' उन्होंने कहा कि अब किसी तरह की गड़बड़ी या भ्रष्टाचार नहीं है। उन्होंने बिजली वितरण कंपनियों से कहा कि वे विसंगति को दूर कर अपनी प्रणालियों को दुरुस्त करें। इसके साथ ही उन्होंने आश्वस्त किया कि सरकार उनके साथ काम करने को तैयार है।
मुख्यमंत्री ने कहा, 'मैं केंद्र सरकार और मोदी से आग्रह करता हूं कि वे हमें निजी कंपनियों से किए गए समझौते रद्द करने की अनुमति दें।' बिजली विवाद निपटान योजना पूर्वी दिल्ली के विनोद नगर में लागू की गई है। यह ऐसे लोगों के लिए है, जो अधिक बिल भेजे जाने, मीटर के साथ छेड़छाड़ किए जाने और अनधिकृत कनेक्शन जैसे विवादों में शामिल हैं।
एक महीने की इस योजना से करीब 2.5 लाख परिवारों को लाभ मिलेगा। केजरीवाल ने कहा, 'मेरे खयाल से इससे अच्छी योजना नहीं हो सकती। चाहे कितना भी पुराना विवाद हो, झुग्गीवासी 250 रुपये भुगतान कर विवाद निपटा सकते हैं।' उन्होंने डिस्कॉम कंपनियों से भी यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि उनके कर्मचारी अधिक बिल नहीं भेजा करें।
हालांकि उन्होंने यह चेतावनी भी दी कि अगर इन कंपनियों के काम में गड़बड़ी पाई गई तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, बिजली मंत्री सत्येंद्र जैन तथा दिल्ली की तीनों बिजली वितरण कंपनियों के अधिकारी भी यहां बिजली बिल विवाद निपटान योजना की शुरुआत के अवसर पर मौजूद थे।
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