इलाहाबाद:
उत्तर प्रदेश में स्टेट पब्लिक सर्विस कमीशन में आरक्षण के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है। इस बीच हाईकोर्ट ने नए इंटरव्यू पर रोक लगा दी है। 26 जुलाई से स्टेट पब्लिक सर्विस कमीशन के लिए इंटरव्यू होने थे। कोर्ट ने नई भर्ती के इंटरव्यू पर फिलहाल 10 दिन की रोक लगा दी है।
यह मामला काफी विवादित है और आरक्षण के नए नियमों के खिलाफ 15 जुलाई को इलाहाबाद में छात्रों ने जबरदस्त तोड़−फोड़ पथराव और आगजनी की थी। इसमें करीब 100 गाड़ियां जला दी गई थीं।
आज फैसला आने की संभावना देखते हुए इलाहाबाद में काफी कड़ी सुरक्षा की गई थी। शहर में तीन हजार से ज्यादा पुलिस पीएसी और आरएएफ के जवान तैनात किए गए थे। साथ ही कई रास्तों की बैरिकेडिंग की गई थी। इलाहाबाद में धारा 144 लागू कर दी गई थी और सभी स्कूल कॉलेजों को दो दिन के लिए बंद कर दिया गया था।
मामले में बहस करने वाले वकील संतोष श्रीवास्तव और कंदर्प मिश्रा ने कहा है कि न्यायाल ने उस याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है। 26 जुलाई से जो मुख्य परीक्षा के बाद इंटरव्यू होने थे उस पर भी रोक लागू रहेगी।
दरअसल आरक्षण के कानून के मुताबिक सिर्फ 50 फीसदी सीटें आरक्षित की जा सकती है, लेकिन यूपी स्टेट पब्लिक सर्विस कमीशन ने ऐसे नियम बना दिए हैं कि आरक्षण के दायरे में आने वाले छात्रों के नंबर अगर अधिक होते हैं तो उन्हें जनरल कैटेगरी में भेजा जाता है। ऐसे में प्रदर्शनकारी छात्रों का आरोप है कि आरक्षण 50 फीसदी से बढ़कर 70 फीसदी हो जाता है।
यह मामला काफी विवादित है और आरक्षण के नए नियमों के खिलाफ 15 जुलाई को इलाहाबाद में छात्रों ने जबरदस्त तोड़−फोड़ पथराव और आगजनी की थी। इसमें करीब 100 गाड़ियां जला दी गई थीं।
आज फैसला आने की संभावना देखते हुए इलाहाबाद में काफी कड़ी सुरक्षा की गई थी। शहर में तीन हजार से ज्यादा पुलिस पीएसी और आरएएफ के जवान तैनात किए गए थे। साथ ही कई रास्तों की बैरिकेडिंग की गई थी। इलाहाबाद में धारा 144 लागू कर दी गई थी और सभी स्कूल कॉलेजों को दो दिन के लिए बंद कर दिया गया था।
मामले में बहस करने वाले वकील संतोष श्रीवास्तव और कंदर्प मिश्रा ने कहा है कि न्यायाल ने उस याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है। 26 जुलाई से जो मुख्य परीक्षा के बाद इंटरव्यू होने थे उस पर भी रोक लागू रहेगी।
दरअसल आरक्षण के कानून के मुताबिक सिर्फ 50 फीसदी सीटें आरक्षित की जा सकती है, लेकिन यूपी स्टेट पब्लिक सर्विस कमीशन ने ऐसे नियम बना दिए हैं कि आरक्षण के दायरे में आने वाले छात्रों के नंबर अगर अधिक होते हैं तो उन्हें जनरल कैटेगरी में भेजा जाता है। ऐसे में प्रदर्शनकारी छात्रों का आरोप है कि आरक्षण 50 फीसदी से बढ़कर 70 फीसदी हो जाता है।
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