गांधीनगर:
गुजरात सरकार 10 से 13 जनवरी को होने वाले वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट-2017 की तैयारियों में जूटी है. सरकार को उम्मीद है कि इस समिट में दुनियाभर से आने वाले निवेशक राज्य में बड़ी मात्रा में निवेश करेंगे. लेकिन सरकार की मुश्किलें उस समय बढ़ गई जब विभिन्न मुद्दों पर सरकार का विरोध कर रहे तमाम दल एकजुट होकर वाइब्रेंट गुजरात समिट के विरोध में सुर निकालने लगे हैं.
बता दें कि निश्चित वेतन के मुद्दे पर तमाम दल आंदोलन कर रहे हैं. इनमें पाटीदार आंदोलन, ओबीसी आंदोलन और दलित आंदोलन के नेता भी शामिल हैं. बीते रविवार को यह आंदोलन गांधीनगर पहुंचा और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.
आंदोलनकारियों की मांग थी कि गुजरात में पिछले 12 सालों से चल रही फिक्स्ड सैलरी की नीति रद्द की जाए और नए कर्मचारियों को स्थाई कर्मचारियों के तौर पर वेतन मिले. आंदोलनकारियों ने 6 जनवरी को राज्यव्यापी स्तर पर बड़ी रैली निकालने का फैसला किया है.
ओबीसी आंदोलन के नेता अल्पेश ठाकोर ने बताया कि वे वाइब्रेंट समिट कतई नहीं होने देंगे. प्रधानमंत्री इस सम्मेलन में भाग लेने के लिए गुजरात आ रहे हैं. वे उनका घेराव करेंगे. अल्पेश ने कहा कि राज्य का नौजवान बेरोजगार है. वे तीन महीने के अंदर 3 लाख यूवाओं को रोजगार मुहैया कराने की मांग प्रधानमंत्री के सामने रखेंगे.
पाटीदार आंदोलन समिति के प्रवक्ता वरुण पटेल ने बताया कि सरकार ने कहा है कि बीते 10 सालों में 60 लाख करोड़ रुपये का निवेश हुआ है, तो फिर 60 लाख नौजवान बेरोजगार क्यों हैं. वरुण ने मांग की कि सरकार बेरोजगारों को रोजगार दे और यहां निवेश कर रही कंपनियां अपने यहां 85 फीसदी गुजरातियों को रोजगार दे, यह उनकी मांग है, जिसे वे प्रधानमंत्री के सामने रखेंगे.
ऐसा पहली बार हुआ है कि अलग-अलग चल रहे आंदोलनों के नेता एकसाथ जुट गए हैं. इससे सरकार का सिरदर्द बढ़ा है. खासकर इसलिए कि वाइब्रेंट गुजरात में हिस्सा लेने के लिए 9-10 जनवरी को प्रधानमंत्री भी आ रहे हैं. इतना ही नहीं समिट में हिस्सा लेने आ रहे दुनियाभर के निवेशकों के सामने इस आंदोलन का क्या असर पड़ेगा, यह भी बड़ा सवाल बना हुआ है.
बता दें कि निश्चित वेतन के मुद्दे पर तमाम दल आंदोलन कर रहे हैं. इनमें पाटीदार आंदोलन, ओबीसी आंदोलन और दलित आंदोलन के नेता भी शामिल हैं. बीते रविवार को यह आंदोलन गांधीनगर पहुंचा और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.
आंदोलनकारियों की मांग थी कि गुजरात में पिछले 12 सालों से चल रही फिक्स्ड सैलरी की नीति रद्द की जाए और नए कर्मचारियों को स्थाई कर्मचारियों के तौर पर वेतन मिले. आंदोलनकारियों ने 6 जनवरी को राज्यव्यापी स्तर पर बड़ी रैली निकालने का फैसला किया है.
ओबीसी आंदोलन के नेता अल्पेश ठाकोर ने बताया कि वे वाइब्रेंट समिट कतई नहीं होने देंगे. प्रधानमंत्री इस सम्मेलन में भाग लेने के लिए गुजरात आ रहे हैं. वे उनका घेराव करेंगे. अल्पेश ने कहा कि राज्य का नौजवान बेरोजगार है. वे तीन महीने के अंदर 3 लाख यूवाओं को रोजगार मुहैया कराने की मांग प्रधानमंत्री के सामने रखेंगे.
पाटीदार आंदोलन समिति के प्रवक्ता वरुण पटेल ने बताया कि सरकार ने कहा है कि बीते 10 सालों में 60 लाख करोड़ रुपये का निवेश हुआ है, तो फिर 60 लाख नौजवान बेरोजगार क्यों हैं. वरुण ने मांग की कि सरकार बेरोजगारों को रोजगार दे और यहां निवेश कर रही कंपनियां अपने यहां 85 फीसदी गुजरातियों को रोजगार दे, यह उनकी मांग है, जिसे वे प्रधानमंत्री के सामने रखेंगे.
ऐसा पहली बार हुआ है कि अलग-अलग चल रहे आंदोलनों के नेता एकसाथ जुट गए हैं. इससे सरकार का सिरदर्द बढ़ा है. खासकर इसलिए कि वाइब्रेंट गुजरात में हिस्सा लेने के लिए 9-10 जनवरी को प्रधानमंत्री भी आ रहे हैं. इतना ही नहीं समिट में हिस्सा लेने आ रहे दुनियाभर के निवेशकों के सामने इस आंदोलन का क्या असर पड़ेगा, यह भी बड़ा सवाल बना हुआ है.
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