
- दिल्ली एम्स के न्यूरोसर्जरी विभाग को एडुरैंक की 2025 वैश्विक रैंकिंग में विश्व में ग्यारहवां स्थान मिला है.
- एम्स न्यूरोसर्जरी विभाग को एशिया में दूसरा और भारत में प्रथम स्थान प्रदान किया गया है.
- विभाग में नौ अत्याधुनिक ऑपरेटिंग रूम, चौबीस से अधिक फैकल्टी सदस्य, अड़तीस रेजिडेंट और सात फेलो कार्यरत हैं.
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली का न्यूरोसर्जरी विभाग वैश्विक स्तर पर नई ऊंचाइयों पर पहुंच गया है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उच्च शिक्षा संस्थानों की गुणवत्ता का आकलन करने वाली प्रतिष्ठित एजेंसी एडुरैंक ने अपनी 2025 ग्लोबल रैंकिंग में एम्स न्यूरोसर्जरी विभाग को विश्व में 11वां, एशिया में दूसरा और भारत में पहला स्थान प्रदान किया है.

एम्स का न्यूरोसर्जरी विभाग यूसीएलए लॉस एंजिल्स, यूनिवर्सिटी ऑफ पिट्सबर्ग, जर्मनी की चारिटे-मेडिकल विश्वविद्यालय, फ्रांस की पियरे और मैरी क्यूरी विश्वविद्यालय, स्विट्जरलैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ बर्न, नॉर्थवेस्टर्न विश्वविद्यालय और यहां तक कि ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय जैसे विश्वविख्यात संस्थानों से भी आगे निकला है.
विभागाध्यक्ष प्रो. पी सरत चंद्रा ने कहा कि इस विभाग की एक समृद्ध विरासत है. यह विभाग 1 मार्च 1965 को प्रो पीएन टंडन और प्रो. एके बनर्जी ने स्थापित किया था. आज हम उनकी नींव पर खड़े हैं. वर्तमान में यह दुनिया के सबसे बड़े न्यूरोसर्जरी विभागों में से एक है, जहां हर साल 6 हजार से अधिक सर्जरी की जाती हैं. विभाग में 9 अत्याधुनिक ऑपरेटिंग रूम, 24 से अधिक फैकल्टी सदस्य, 38 रेज़िडेंट्स और 7 फेलोज हैं.

उन्होंने आगे बताया कि हमारे फेलोशिप कार्यक्रमों में मिर्गी और फंक्शनल न्यूरोसर्जरी, स्कल बेस और सेरेब्रोवास्कुलर सर्जरी, बच्चों की न्यूरोसर्जरी और स्पाइन सर्जरी जैसी उन्नत विशेषताएं भी शामिल हैं. हमारे संस्थापकों की परंपरा का पालन करते हुए, हमारा विभाग इस मायने में अद्वितीय रहा है कि इसमें कनेक्टोमिक्स, इंट्रासेल्युलर-इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी और जीनोमिक्स सहित बुनियादी विज्ञान अनुसंधान की सुविधाएं उपलब्ध हैं. हम नैदानिक और बुनियादी विज्ञान अनुसंधान, दोनों में प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में शोधपत्र प्रकाशित करते हैं, जिससे यह शायद दुनिया के ऐसे गिने-चुने विभागों में से एक है.
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