प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
दिल्ली के जैन को-ऑपरेटिव बैंक की अलग-अलग शाखाओं में आयकर विभाग की छापेमारी 26 दिसंबर से लगातार जारी है. यहां नोटबंदी के एक ऐसे गोरखधंधे का खुलासा हुआ है जिसके जरिये बैंक के चेयरमैन से लेकर चपरासी तक आरबीआई की गाइडलाइंस की धज़्ज़ियां उड़ाकर खुद नए नोट निकाल रहे थे. कालेधन को बड़े पैमाने पर सफ़ेद किया जा रहा था.
आयकर विभाग के मुताबिक 26 दिसंबर को एक गुप्त सूचना मिली के बाद जैन को-ऑपरेटिव बैंक के दरियागंज में हेड ऑफिस के अलावा करोलबाग,शाहदरा,गांधीनगर,लक्ष्मी नगर की शाखाओं में एक साथ छापा मारा गया. जांच में पता चला कि 8 नवंबर यानी नोटबंदी के बाद 12 नवंबर को दरियागंज में बैंक के मैनेजमेंट की मीटिंग हुई. मीटिंग में चेयरमैन राजेश कुमार जैन,वाइस चेयरमैन प्रदीप जैन के अलावा सभी 11 निदेशक भी शामिल हुए. मीटिंग के दौरान सीसीटीवी बैंक के सभी सीसीटीवी कैमरों को बंद कर दिया गया.
मीटिंग में तय हुआ कि सरकार ने जो 4500 रुपये तक के पुराने नोट बदलवाने की सीमा तय की है वो बैंक के सभी अधिकारी और कर्मचारी ग्राहकों को न देकर खुद ही निकालें. इसके लिए दूसरों के यानी पहले से बैंक में मौजूद ग्राहकों के पहचान पत्र का प्रयोग किया जाए. दूसरों के पहचान पत्र और पुराने नोट इकठ्ठा करने के लिए एक नोडल ऑफिसर भी नियुक्त किया गया. सभी अधिकारियों से लेकर कर्मचारियों तक के पैसे निकालने की लिमिट भी तय की गई.
जैसे चैयरमेन के लिए 5 लाख,वाइस चेयरमैन 4 लाख,निदेशक 2 लाख,जीएम 48 हज़ार,सीईओ 48 हज़ार,मैनेजर 28 हज़ार,डिप्टी मैनेजर 12 हज़ार,ओफिसर 8 हज़ार,क्लर्क 8 हज़ार और चपरासी 4000 तक के नोट हर रोज़ बदलवा सकता था. लिमिट के हिसाब से सबके लिए दूसरों के पहचान पत्रों की व्यवस्था की गई. चेयरमैन की हर रोज 5 लाख की लिमिट के लिए रोज 112 पहचान पत्रों की व्यवस्था की जाती थी.
आयकर विभाग के मुताबिक ये सिलसिला 14 दिसंबर तक चलता रहा लेकिन 15 दिसंबर को मीडिया में खबर चली की आरबीआई ने कोआपरेटिव बैंकों में पैसों को एक्सचेंज करने पर रोक लगा दी है,ये सुनकर बैंक के लोगों ने अपने पैसे एक्सचेंज करने की लिमिट डबल कर ली. यानी जो चेयरमैन पहले 5 लाख के नोट हर रोज़ एक्सचेंज कर रहा था वो अब 10 लाख हर रोज़ करने लगा,खुद के लिए पैसे बदलने का ये कारोबार 23 दिसंबर तक चलता रहा और करीब साढ़े 3 करोड़ के पुराने नोट, नए नोटों में बदल लिए गए. इस काम के लिए बैंक के सभी कर्मचारियों और अधिकारियों को प्रमोशन भी दिया. जांच भटकाने के लिए उनका तबादला दूसरी शाखाओं में कर दिया गया.
जांच में ये भी पता चला कि बैंक ने नोटबंदी के बाद 1200 नए खाते भी खोले गए. ये खाते या तो बेनामी हैं या फिर किसी और शख्स के नाम से खोले गए. इन खातों में करीब 120 करोड़ रुपये जमा किया गया. शक है कि ये पूरा कालाधन है. अभी बैंक के खिलाफ जांच जारी है.
आयकर विभाग के मुताबिक 26 दिसंबर को एक गुप्त सूचना मिली के बाद जैन को-ऑपरेटिव बैंक के दरियागंज में हेड ऑफिस के अलावा करोलबाग,शाहदरा,गांधीनगर,लक्ष्मी नगर की शाखाओं में एक साथ छापा मारा गया. जांच में पता चला कि 8 नवंबर यानी नोटबंदी के बाद 12 नवंबर को दरियागंज में बैंक के मैनेजमेंट की मीटिंग हुई. मीटिंग में चेयरमैन राजेश कुमार जैन,वाइस चेयरमैन प्रदीप जैन के अलावा सभी 11 निदेशक भी शामिल हुए. मीटिंग के दौरान सीसीटीवी बैंक के सभी सीसीटीवी कैमरों को बंद कर दिया गया.
मीटिंग में तय हुआ कि सरकार ने जो 4500 रुपये तक के पुराने नोट बदलवाने की सीमा तय की है वो बैंक के सभी अधिकारी और कर्मचारी ग्राहकों को न देकर खुद ही निकालें. इसके लिए दूसरों के यानी पहले से बैंक में मौजूद ग्राहकों के पहचान पत्र का प्रयोग किया जाए. दूसरों के पहचान पत्र और पुराने नोट इकठ्ठा करने के लिए एक नोडल ऑफिसर भी नियुक्त किया गया. सभी अधिकारियों से लेकर कर्मचारियों तक के पैसे निकालने की लिमिट भी तय की गई.
जैसे चैयरमेन के लिए 5 लाख,वाइस चेयरमैन 4 लाख,निदेशक 2 लाख,जीएम 48 हज़ार,सीईओ 48 हज़ार,मैनेजर 28 हज़ार,डिप्टी मैनेजर 12 हज़ार,ओफिसर 8 हज़ार,क्लर्क 8 हज़ार और चपरासी 4000 तक के नोट हर रोज़ बदलवा सकता था. लिमिट के हिसाब से सबके लिए दूसरों के पहचान पत्रों की व्यवस्था की गई. चेयरमैन की हर रोज 5 लाख की लिमिट के लिए रोज 112 पहचान पत्रों की व्यवस्था की जाती थी.
आयकर विभाग के मुताबिक ये सिलसिला 14 दिसंबर तक चलता रहा लेकिन 15 दिसंबर को मीडिया में खबर चली की आरबीआई ने कोआपरेटिव बैंकों में पैसों को एक्सचेंज करने पर रोक लगा दी है,ये सुनकर बैंक के लोगों ने अपने पैसे एक्सचेंज करने की लिमिट डबल कर ली. यानी जो चेयरमैन पहले 5 लाख के नोट हर रोज़ एक्सचेंज कर रहा था वो अब 10 लाख हर रोज़ करने लगा,खुद के लिए पैसे बदलने का ये कारोबार 23 दिसंबर तक चलता रहा और करीब साढ़े 3 करोड़ के पुराने नोट, नए नोटों में बदल लिए गए. इस काम के लिए बैंक के सभी कर्मचारियों और अधिकारियों को प्रमोशन भी दिया. जांच भटकाने के लिए उनका तबादला दूसरी शाखाओं में कर दिया गया.
जांच में ये भी पता चला कि बैंक ने नोटबंदी के बाद 1200 नए खाते भी खोले गए. ये खाते या तो बेनामी हैं या फिर किसी और शख्स के नाम से खोले गए. इन खातों में करीब 120 करोड़ रुपये जमा किया गया. शक है कि ये पूरा कालाधन है. अभी बैंक के खिलाफ जांच जारी है.
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